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रजिस्ट्रीकरण नियमावली के विरोध में कल प्रतिरोध मार्च निकालेगा भाकपा माले - जमीन का जमाबंदी

भाकपा माले के जिला सचिव बैजनाथ यादव ने कहा कि जमाबंदी खोलने की प्रक्रिया सरकार अपना रही है, वह 10 वर्षों में भी पूरी नहीं होगी.

भाकपा माले का संवाददाता सम्मेलन
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Published : Oct 21, 2019, 8:55 AM IST

दरभंगा: बिहार रजिस्ट्रीकरण नियमावली 2019 वापस लेने की मांग को लेकर रविवार को वामदलों के नेताओं ने जिला कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया. वामदल के नेताओं ने आगामी कल इस नियमावली के खिलाफ किसान संगठनों का प्रतिरोध मार्च निकालने की बात कही है.

इस मौके पर भाकपा माले जिला सचिव बैजनाथ यादव, शिवनंदन यादव, सीपीआई जिला सचिव अविनाश कुमार ठाकुर, दिलीप भगत, सीपीआई के राजीव कुमार चौधरी, विश्वनाथ मिश्रा, सुधीर कुमार सहित अनेक लोग उपस्थित थे. वामदलों ने इस नियम को वापस लेने की मांग की है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी जानकारी

नियम को वापस लेने की मांग
वामदल के नेताओं ने तत्काल इस नियम को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि पूर्वजों के नाम जमाबंदी वाली जमीन बिक्री पर रोक के कारण बीमारी में इलाज, शादी, श्राद्ध सहित अन्य कार्य के लिए पैसा का बंदोबस्त नहीं हो पा रहा है. सरकारी कर्मी के शिथिलता के कारण 99% किसानों के जमीन का जमाबंदी पूर्वजों के नाम पर है.

सचिव का बयान
भाकपा माले के जिला सचिव बैजनाथ यादव ने कहा कि जमाबंदी खोलने की प्रक्रिया सरकार अपना आ रही है, वह 10 वर्षों में भी पूरा नहीं होगा. इससे निबंधन कर्मचारी, अंचलाधिकारी मालामाल होंगे और अवैध उगाही का व्यापार काफी बढ़ेगा. वहीं, उन्होंने कहा कि इस जमीन बेचकर जो किसान इलाज, शादी, श्राद्ध इलाज सहित अन्य जरूरी कदमों को निपटाते थे, उनके सामने बड़ी समस्या हो गई है. आलम यह है कि जमीन रहते उनको पैसा कहीं से नहीं मिलेगा.

दरभंगा: बिहार रजिस्ट्रीकरण नियमावली 2019 वापस लेने की मांग को लेकर रविवार को वामदलों के नेताओं ने जिला कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया. वामदल के नेताओं ने आगामी कल इस नियमावली के खिलाफ किसान संगठनों का प्रतिरोध मार्च निकालने की बात कही है.

इस मौके पर भाकपा माले जिला सचिव बैजनाथ यादव, शिवनंदन यादव, सीपीआई जिला सचिव अविनाश कुमार ठाकुर, दिलीप भगत, सीपीआई के राजीव कुमार चौधरी, विश्वनाथ मिश्रा, सुधीर कुमार सहित अनेक लोग उपस्थित थे. वामदलों ने इस नियम को वापस लेने की मांग की है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी जानकारी

नियम को वापस लेने की मांग
वामदल के नेताओं ने तत्काल इस नियम को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि पूर्वजों के नाम जमाबंदी वाली जमीन बिक्री पर रोक के कारण बीमारी में इलाज, शादी, श्राद्ध सहित अन्य कार्य के लिए पैसा का बंदोबस्त नहीं हो पा रहा है. सरकारी कर्मी के शिथिलता के कारण 99% किसानों के जमीन का जमाबंदी पूर्वजों के नाम पर है.

सचिव का बयान
भाकपा माले के जिला सचिव बैजनाथ यादव ने कहा कि जमाबंदी खोलने की प्रक्रिया सरकार अपना आ रही है, वह 10 वर्षों में भी पूरा नहीं होगा. इससे निबंधन कर्मचारी, अंचलाधिकारी मालामाल होंगे और अवैध उगाही का व्यापार काफी बढ़ेगा. वहीं, उन्होंने कहा कि इस जमीन बेचकर जो किसान इलाज, शादी, श्राद्ध इलाज सहित अन्य जरूरी कदमों को निपटाते थे, उनके सामने बड़ी समस्या हो गई है. आलम यह है कि जमीन रहते उनको पैसा कहीं से नहीं मिलेगा.

Intro:बिहार रजिस्ट्रीकरण नियमावली 2019 वापस लेने की मांग को लेकर आज वामदलों के नेताओं के द्वारा भाजपा जिला कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया। संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए वामदलों के नेताओं ने कहा कि बिहार रजिस्ट्रीकरण नियमावली 2019 किसानों के बेटी की शादी, इलाज, श्राद्ध कर्म, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, पैतृक संबंधित जमीन जायदाद बेचकर ही करता पड़ता है। इस मौके पर भाकपा माले जिला सचिव बैजनाथ यादव, शिवनंदन यादव, सीपीआई जिला सचिव अविनाश कुमार ठाकुर, दिलीप भगत, सीपीआई के राजीव कुमार चौधरी, विश्वनाथ मिश्रा, सुधीर कुमार सहित अनेक लोग उपस्थित थे।


Body:वही वामदलों नेताओं ने तत्काल इस नियम को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि पूर्वजों के नाम जमाबंदी वाली जमीन बिक्री पर रोक के कारण बीमारी में इलाज, शादी, श्राद्ध सहित अन्य कार्य के लिए पैसा का बंदोबस्त नहीं हो पा रहा है। सरकारी कर्मी के शिथिलता के कारण 99% किसानों के जमीन का जमाबंदी पूर्वजों के नाम पर है। सरकार को सभी राजस्व को गांव में कम से कम एक कर्मचारी को तैनात कर के ग्रामीणों की उपस्थिति में वंशावली के अनुसार जोत कब्जा दिखाते हुए दाखिल खारिज कर, वर्तमान रैयत के नाम जमाबंदी खोलकर मालगुजारी रसीद काटने का अभियान 1 वर्ष तक चलाने के बाद ही वर्तमान रैयत के नाम जमाबंदी होना संभव होगा।


Conclusion:वही भाकपा माले के जिला सचिव बैजनाथ यादव ने कहा कि जमाबंदी खोलने की प्रक्रिया सरकार अपना आ रही है उसे 10 वर्षों में भी पूरा नहीं होगा और निबंधन कर्मचारी अंचलाधिकारी मालामाल होंगे तथा अवैध उगाही का व्यापार काफी बढ़ेगा। वही उन्होंने कहा कि इस जमीन बेचकर जो किसान इलाज शादी, श्राद्ध इलाज सहित अन्य जरूरी कदमों को निपटाते थे, उनके सामने बड़ी समस्या हो गई है। आलम यह है कि जमीन रहते उनको पैसा कहीं से नहीं मिलेगा। वहीं वाम दलों के नेताओं ने कहा कि सरकार को इस नियमावली शिथिल करते हुए जमीन की बिक्री पूर्व की तरह जारी नही रखती है, 22 अक्टूबर को इस नियमावली के खिलाफ किसान संगठनों का प्रतिरोध मार्च निकाला जायेगा।

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बैजनाथ यादव, जिला सचिव भाकपा माले
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