दरभंगा: बिहार में कोरोना (Corona in Bihar) की दूसरी लहर ने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी है. दरभंगा में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) घोषणा के बावजूद भी आज तक चालू नहीं हुआ है. जिस लेकर भाकपा माले के आह्वान पर 'डीएमसीएच बचाओ जनस्वास्थ्य अभियान' के बैनर तले डीएमसीएच (DMCH) में करोड़ों रुपये के खर्च से बने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को चालू करने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
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भाकपा माले का विरोध प्रदर्शन
इसके साथ ही उन्होंने डीएमसीएच को बचाने और प्राइवेट अस्पतालों-नर्सिंग होम की मनमानी को लेकर रेगुलेटरी एक्ट बनाने की मांग भी की. भाकपा माले ने कर्पूरी चौराहे से सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल तक आक्रोश मार्च निकाला और नवनिर्मित अस्पतालों के सामने सभा की गई.
'अब तक चालू नहीं हुआ अस्पताल'
वहीं, सभा को सम्बोधित करते हुए माले पोलित ब्यूरो के सदस्य सह मिथिलांचल प्रभारी धीरेन्द्र झा ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले कहा गया था कि अस्पताल बनने में विलम्ब हुआ है, लेकिन इसे हर हालत में 2020 की जनवरी तक चालू कर दिया जाएगा, लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण आज तक ये चालू नहीं हो सका है.
'उदासीनता के चलते हो रही देरी'
उन्होंने कहा कि अगर ये अस्पताल चालू हो गया होता तो सैकड़ों मरीजों की जान नहीं जाती. हजारों लोगों को पटना के चक्कर नहीं लगाना पड़ते. सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को चालू करने को लेकर सीएम और पीएम को पत्र भेजा गया है. लेकिन इस जनपक्षीय मुद्दों के प्रति पटना-दिल्ली की सरकारें और भाजपा के सांसद-विधायकों की उदासीनता बनी हुई है.
''अगर एक महीने के भीतर इसे चालू नहीं किया गया, तो निर्णायक आंदोलन होगा. इसे लेकर मांगपत्र और अल्टीमेटम सीएम और पीएम को भेजा जा रहा है. नागरिक समाज के हस्तक्षेप से ही डीएमसीएच का ये ऐतिहासिक अस्पताल पटरी पर आएगा. नागरिक समाज को एकजुट होकर आगे आना होगा.''- धीरेन्द्र झा, माले पोलित ब्यूरो सदस्य
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बता दें कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 150 करोड़ की लागत से डीएमसीएच में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है. इस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में न्यूनाइट्रोलॉजी, गैस्ट्रोलॉजी, नैपरोलॉजी, बर्न, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, कार्डियोथोरेसिक, वेसकुलर और डायलिसिस विभाग होंगे. सभी विभाग में 20 बेड होंगे और आईसीयू में 50 बेड होंगे. कुल मिलाकर इस अस्पताल में 210 बेड होंगे. इसके शुरू होने के बाद मिथिलांचल सहित पड़ोसी देश नेपाल तक के मरीजों को दूसरे शहरों का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा.