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दरभंगा राज की कोशिशों से मिथिलांचल में पहुंची थी रेल : डीआरएम

इसमाद फाउंडेशन की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में डीआरएम ने कहा कि उत्तर बिहार और मिथिलांचल में रेलवे की शुरुआत करने का श्रेय दरभंगा राज को जाता है.

इसमाद फाउंडेशन की ओर से कार्यक्रम का आयोजन
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Published : Mar 28, 2019, 10:54 PM IST

दरभंगा: समस्तीपुर मंडल के डीआरएम आरके जैन उत्तर बिहार और मिथिलांचल में रेलवे की शुरुआत करने का श्रेय दरभंगा राज को जाता है. यहां के तत्कालीन महाराज ने अपनी रियासत की जमीन देकर यहां रेल की पटरियां बिछवाई थीं. तब इसे तिरहुत रेलवे के नाम से जाना जाता था, जिसका बाद में भारत सरकार ने अधिग्रहण कर पूर्वोत्तर रेलवे में समाहित कर दिया.

इसमाद फाउंडेशन की ओर से कार्यक्रम का आयोजन

अंग्रेजी रेल इंजीनिय ने किया था इसका निर्माण

डीआरएम ने कहा कि महाराज के प्रयास से 18 फरवरी 1874 को पटना जिले के बाढ़ से लेकर दरभंगा तक 55 मील रेल लाइन बिछाने की शुरुआत हुई. यह काम 15 अप्रैल 1874 को पूरा हो गया. इस रेल लाइन को अंग्रेजी रेल इंजीनियर एरफेस स्ट्रेंटम ने बनाया था.बाद में यही लाइन बाढ़ से हटाकर मोकामा से होते हुए बरौनी में मिला दी गयी. उन्होंने कहा कि भारत में उन शहरों का विकास अपेक्षाकृत ज़्यादा हुआ है जिनके किनारे से रेलवे गुजरता है.

इसमाद फाउंडेशन की ओर से कार्यक्रम का आयोजन

दरअसल, डीआरएम इसमाद फाउंडेशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे. यहां उन्होंने आचार्य रमानाथ झा हेरिटेज सीरीज के अंतर्गत 'आज़ादी से पहले मिथिला के विकास में रेलवे का योगदान' पर चर्चा की. इस व्याख्यान का उद्घाटन ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने किया. इसमें दरभंगा राज से जुड़े लोगों के अलावा कई गणमान्य लोग मौजूद थे.


दरभंगा: समस्तीपुर मंडल के डीआरएम आरके जैन उत्तर बिहार और मिथिलांचल में रेलवे की शुरुआत करने का श्रेय दरभंगा राज को जाता है. यहां के तत्कालीन महाराज ने अपनी रियासत की जमीन देकर यहां रेल की पटरियां बिछवाई थीं. तब इसे तिरहुत रेलवे के नाम से जाना जाता था, जिसका बाद में भारत सरकार ने अधिग्रहण कर पूर्वोत्तर रेलवे में समाहित कर दिया.

इसमाद फाउंडेशन की ओर से कार्यक्रम का आयोजन

अंग्रेजी रेल इंजीनिय ने किया था इसका निर्माण

डीआरएम ने कहा कि महाराज के प्रयास से 18 फरवरी 1874 को पटना जिले के बाढ़ से लेकर दरभंगा तक 55 मील रेल लाइन बिछाने की शुरुआत हुई. यह काम 15 अप्रैल 1874 को पूरा हो गया. इस रेल लाइन को अंग्रेजी रेल इंजीनियर एरफेस स्ट्रेंटम ने बनाया था.बाद में यही लाइन बाढ़ से हटाकर मोकामा से होते हुए बरौनी में मिला दी गयी. उन्होंने कहा कि भारत में उन शहरों का विकास अपेक्षाकृत ज़्यादा हुआ है जिनके किनारे से रेलवे गुजरता है.

इसमाद फाउंडेशन की ओर से कार्यक्रम का आयोजन

दरअसल, डीआरएम इसमाद फाउंडेशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे. यहां उन्होंने आचार्य रमानाथ झा हेरिटेज सीरीज के अंतर्गत 'आज़ादी से पहले मिथिला के विकास में रेलवे का योगदान' पर चर्चा की. इस व्याख्यान का उद्घाटन ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने किया. इसमें दरभंगा राज से जुड़े लोगों के अलावा कई गणमान्य लोग मौजूद थे.


Intro:दरभंगा। राज दरभंगा को उत्तर बिहार और मिथिलांचल में रेलवे की शुरुआत करने का श्रेय जाता है। तत्कालीन दरभंगा महाराज ने ही अपनी रियासत की जमीन देकर यहां रेल की पटरियां बिछवाई थीं। तब इसे तिरहुत रेलवे के नाम से जाना जाता था जिसका बाद में भारत सरकार ने अधिग्रहण कर पूर्वोत्तर रेलवे में समाहित कर दिया। ये बातें पूर्व मध्य रेल के समस्तीपुर मंडल के डीआरएम आरके जैन ने कहीं। वे इ समाद फाउंडेशन की ओर से आयोजित आचार्य रमानाथ झा हेरिटेज सीरीज के अंतर्गत 'आज़ादी से पहले मिथिला के विकास में रेलवे का योगदान' विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे।


Body:डीआरएम ने कहा कि महाराजा के प्रयास से 18 फरवरी 1874 को पटना जिले के बाढ़ से लेकर दरभंगा तक 55 मील रेल लाइन बिछाने की शुरुआत हुई और यह काम 15 अप्रैल 1874 को पूरा हो गया। इस रेल लाइन को बनाया था अंग्रेज रेल इंजीनियर थे एरफेस स्ट्रेंटम। बाद में यही लाइन बाढ़ से हटाकर मोकामा से होते हुए बरौनी में मिला दी गयी। उन्होंने कहा कि भारत में उन शहरों का विकास अपेक्षाकृत ज़्यादा हुआ है जिनके किनारे से रेलवे गुजरता है।


Conclusion:इस व्याख्यान का उद्घाटन ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने किया। इसमें दरभंगा राज से जुड़े लोगों के अलावा कई गणमान्य लोग मौजूद थे।


स्पीच 1- आरके जैन, डीआरएम, समस्तीपुर रेल मंडल


विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
दरभंगा
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