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जिलाधिकारियों के साथ बैठक में बोले सीएम- PHC में भी होगा चमकी बुखार का इलाज

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चमकी बुखार को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक उच्चस्तरीय बैठक की. इस बैठक में मुख्यमंत्री ने अपने स्तर पर जिलों की स्थिति के बारे में जानकारी लेने के साथ ही आगे की रणनीति पर चर्चा की गई.

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Published : May 26, 2021, 8:15 PM IST

दरभंगा: चमकी बुखार की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार सचेत है. इसी के तहत सीएम नीतीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से 18 जिलों के डीएम के साथ बैठक की. बैठक में एईएस-जेई से निपटने को लेकर हर संभव उपाय करने के निर्देश दिए गए. बैठक में विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव समेत कई अधिकारी मौजूद रहे. दरभंगा डीएम ने एईएस को लेकर की गई तैयारियों से अधिकारियों को अवगत कराया.

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि दरभंगा समेत मुजफ्फरपुर के आसपास के 9 जिले (एईएस) चमकी बुखार से और मगध प्रमंडल के 4 जिले गया, जहानाबाद, नवादा और औरंगाबाद के साथ नालंदा जिला जेईएस से प्रभावित रहता है.

इसे भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर: 20 बच्चों में AES की पुष्टि, चमकी बुखार से पीड़ित 5 बच्चे SKMCH में भर्ती, 1 की हालत नाजुक

इस वर्ष 24 मई तक कुल 21 मामले
वर्ष 2019 में मुजफ्फरपुर में एईएस के सर्वाधिक मामले सामने आए थे. जिनमें कांटी प्रखंड में सर्वाधिक 96 मामले पाए गए थे. इस वर्ष एईएस के बहुत कम कुल 21 मामले 24 मई तक आए हैं. जिनमें मुजफ्फरपुर के 6, सीतामढ़ी के 5, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण और पटना में दो-दो मामले, शिवहर, मधेपुरा, नालंदा और वैशाली में 01-01 मामले प्राप्त हुए हैं. एईएस के लिए विभाग के माध्यम से सभी संबंधित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सदर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के लिए एसओपी बनाया गया है. जिसका अनुश्रवण कराया जा रहा है.

स्वास्थ्य केंद्रों में भी इलाज की व्यवस्था
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेवल पर भी एईएस का इलाज प्रोटोकॉल के अनुसार किया जा रहा है. इसके लिए सभी संबंधित जिले के चिकित्सकों, एएनएम, आशा और चिकित्सीय तकनीशियन को प्रशिक्षण दिया गया है. साथ ही सभी जगहों पर एईएस के लिए दवा की किट्स उपलब्ध कराई गई है. इसके अतिरिक्त सभी संबंधित जिला अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 05 -05 बेड तैयार किया गया है. वहीं संबंधित 14 जिलों में पिकू में 10-10 बेड तैयार रखा गया है. उन्होंने कहा कि अभी तक 12 जिलों के 350 चिकित्सकों को वर्चुअल ट्रेनिंग दी गई है. पीकू वार्ड के 39 डॉक्टर, 47 नर्स को दिल्ली, पटना एम्स के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया है.

ये भी पढ़ें: चमकी बुखार को लेकर CM नीतीश कुमार कर रहे हैं उच्चस्तरीय बैठक

तकनीशियन को दी गई ट्रेनिंग
बैठक में बताया गया कि 846 इमरजेंसी तकनीशियन को ट्रेनिंग दी गई है. 03 माइक्रोबायोलॉजिस्ट और 04 लैब तकनीशियन (NIMHANS) निमहंस, बैंगलोर के प्रशिक्षण में भाग ले चुके हैं. सात शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक भी निमहंस, बैंगलोर से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. इसके अतिरिक्त 445 एमबीबीएस डॉक्टर, 749 आयुष डॉक्टर और 604 पारा मेडिकल स्टाफ को मास्टर ट्रेनर के रूप में चिन्हित किया गया है. जिन्हें आकस्मिक प्रतिनियुक्ति के लिए चिन्हित किया गया है.

डॉक्टरों की तैनाती
संबंधित जिलों में 24 घंटे डॉक्टर का रोस्टर बनाकर प्रतिनियुक्त किया गया है. उन्होंने कहा कि एईएस प्रभावित बच्चों को चिकित्सा केंद्र तक लाने के लिए निजी वाहनों के लिए भी राशि उपलब्ध कराई जा रही है. जिनमें 20 किलोमीटर तक के लिए 400 रुपये, 40 किलोमीटर तक के लिए 600 रुपये, 60 किलोमीटर तक के लिए 800 रुपये और अधिकतम 1000 रुपये उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कम से कम एक एंबुलेंस एईएस के लिए रखा गया है जो 102 नंबर पर कार्यरत है. संबंधित 12 जिलों में कुल 498 एंबुलेंस रखा गया है. उन्होंने कहा कि बिहार के 35 जिले में जेई का टीकाकरण दिया गया है.

दरभंगा: चमकी बुखार की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार सचेत है. इसी के तहत सीएम नीतीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से 18 जिलों के डीएम के साथ बैठक की. बैठक में एईएस-जेई से निपटने को लेकर हर संभव उपाय करने के निर्देश दिए गए. बैठक में विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव समेत कई अधिकारी मौजूद रहे. दरभंगा डीएम ने एईएस को लेकर की गई तैयारियों से अधिकारियों को अवगत कराया.

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि दरभंगा समेत मुजफ्फरपुर के आसपास के 9 जिले (एईएस) चमकी बुखार से और मगध प्रमंडल के 4 जिले गया, जहानाबाद, नवादा और औरंगाबाद के साथ नालंदा जिला जेईएस से प्रभावित रहता है.

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इस वर्ष 24 मई तक कुल 21 मामले
वर्ष 2019 में मुजफ्फरपुर में एईएस के सर्वाधिक मामले सामने आए थे. जिनमें कांटी प्रखंड में सर्वाधिक 96 मामले पाए गए थे. इस वर्ष एईएस के बहुत कम कुल 21 मामले 24 मई तक आए हैं. जिनमें मुजफ्फरपुर के 6, सीतामढ़ी के 5, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण और पटना में दो-दो मामले, शिवहर, मधेपुरा, नालंदा और वैशाली में 01-01 मामले प्राप्त हुए हैं. एईएस के लिए विभाग के माध्यम से सभी संबंधित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सदर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के लिए एसओपी बनाया गया है. जिसका अनुश्रवण कराया जा रहा है.

स्वास्थ्य केंद्रों में भी इलाज की व्यवस्था
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेवल पर भी एईएस का इलाज प्रोटोकॉल के अनुसार किया जा रहा है. इसके लिए सभी संबंधित जिले के चिकित्सकों, एएनएम, आशा और चिकित्सीय तकनीशियन को प्रशिक्षण दिया गया है. साथ ही सभी जगहों पर एईएस के लिए दवा की किट्स उपलब्ध कराई गई है. इसके अतिरिक्त सभी संबंधित जिला अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 05 -05 बेड तैयार किया गया है. वहीं संबंधित 14 जिलों में पिकू में 10-10 बेड तैयार रखा गया है. उन्होंने कहा कि अभी तक 12 जिलों के 350 चिकित्सकों को वर्चुअल ट्रेनिंग दी गई है. पीकू वार्ड के 39 डॉक्टर, 47 नर्स को दिल्ली, पटना एम्स के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया है.

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तकनीशियन को दी गई ट्रेनिंग
बैठक में बताया गया कि 846 इमरजेंसी तकनीशियन को ट्रेनिंग दी गई है. 03 माइक्रोबायोलॉजिस्ट और 04 लैब तकनीशियन (NIMHANS) निमहंस, बैंगलोर के प्रशिक्षण में भाग ले चुके हैं. सात शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक भी निमहंस, बैंगलोर से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. इसके अतिरिक्त 445 एमबीबीएस डॉक्टर, 749 आयुष डॉक्टर और 604 पारा मेडिकल स्टाफ को मास्टर ट्रेनर के रूप में चिन्हित किया गया है. जिन्हें आकस्मिक प्रतिनियुक्ति के लिए चिन्हित किया गया है.

डॉक्टरों की तैनाती
संबंधित जिलों में 24 घंटे डॉक्टर का रोस्टर बनाकर प्रतिनियुक्त किया गया है. उन्होंने कहा कि एईएस प्रभावित बच्चों को चिकित्सा केंद्र तक लाने के लिए निजी वाहनों के लिए भी राशि उपलब्ध कराई जा रही है. जिनमें 20 किलोमीटर तक के लिए 400 रुपये, 40 किलोमीटर तक के लिए 600 रुपये, 60 किलोमीटर तक के लिए 800 रुपये और अधिकतम 1000 रुपये उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कम से कम एक एंबुलेंस एईएस के लिए रखा गया है जो 102 नंबर पर कार्यरत है. संबंधित 12 जिलों में कुल 498 एंबुलेंस रखा गया है. उन्होंने कहा कि बिहार के 35 जिले में जेई का टीकाकरण दिया गया है.

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