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बागमती का जलस्तर बढ़ने से रेल पुल पर बढ़ा दबाव, मनाही के बावजूद आवाजाही कर रहे हैं लोग - दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड

सड़क मार्ग का संपर्क टूटने के कारण हायाघाट प्रखंड के लोग जान जोखिम में डालकर मुंडा पुल को पार कर रहे हैं. बाइक और साइकिल सवार लोगों के लिए सबसे ज्यादा खतरा बना रहता है.

मुंडा पुल से गुजरते बाइक सवार
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Published : Aug 1, 2019, 2:40 PM IST

दरभंगा: जिले में बाढ़ का कहर लगातार जारी है. बागमती नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी के कारण दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड के हायाघाट स्थित पुल संख्या-16 पर बाढ़ का दबाव बरकरार है. इसके कारण परिचालन लगातार बाधित है. सड़क संपर्क टूटने के कारण रेलवे ट्रैक लोगों के लिए आवागमन का साधन बन चुका है. वहीं पैदल, साइकिल और बाइक सवार बाढ़ पीड़ित लोग जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं.

munda bridge in darbhaga
मुंडा पुल पर बढ़ रहा पानी का दबाव

जिले में बाढ़ के कारण हायाघाट-दरभंगा मुख्य सड़क का संपर्क टूट चुका है. इस वजह से हायाघाट प्रखंड के लोग जान जोखिम में डालकर मुंडा पुल को पार कर रहे हैं. दरअसल रेलवे ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से यहां से गुजरने वाले से सभी ट्रेनों का परिचालन रद्द कर दिया है. रेल परिचालन बंद होन के कारण लोगों के पास जाने के लिए कोई साधन नहीं है. इस वजह से जान जोखिम में डालकर ट्रैक से आवागमन कर रहे हैं. सबसे ज्यादा खतरा इस पुल से गुजरने वाले बाइक सवार का है.

rail emplyee
रेल कर्मी

मजबूरी में खतरा उठा रहे हैं लोग
स्थानीय युवक आशीष कुमार झा ने बताया कि मुख्यालय जाने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं है. इस कारण जान को जोखिम में डालना पड़ रहा है. डर लगता है पर क्या करें. मजबूरी में खतरा उठाना ही पड़ता है. रोजाना लोग इस खतरे से दो-चार हो रहे हैं. इसी पुल से स्कूली बच्चें भी गुजरते हैं. हमेशा डर लगा रहता है. मजबूरी में इस पुल से गुजरना पड़ता है.

darbhanga dm dr tyagrajan
जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन

कभी भी हो सकता है हादसा
वहीं, रेलवे कर्मचारी मुख्तार आलम कहते हैं कि लाख मनाही के बावजूद लोग यहां से गुजर रहे हैं. नदी अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. पुल पर पानी का काफी दबाव है. यहां से गुजरना जोखिम भरा है. मना करने पर लोग हाथापाई करते हैं. आरपीएफ यहां समय-समय पर अनाउंस कर लोगों को सतर्क भी करती है. ट्रैक को लोगों ने लाइफ लाइन बना लिया है. लेकिन यहां से गुजरना जोखिम भरा है. जलस्तर में वृद्धि होने पर कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

जान जोखिम में डालकर पुल पार करते बाइक सवार

पानी घटने पर होगा रेल परिचालन
वहीं, जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन ने ईटीवी से बातचीत में कहा कि इस संदर्भ में डीआरएम से बात हुई है. पुल से डेढ़ फीट पानी कम होने पर ही ट्रेन का परिचालन पर विचार होगा. उम्मीद है कि एक से दो दिन में परिचालन शुरू हो जायेगा. इस पर अंतिम निर्णय रेलवे अधिकारियों को लेना है. सुरक्षा का भी ख्याल रखा जा रहा है. रेलवे अभियंता इस पर नजर रख रहे हैं.

दरभंगा: जिले में बाढ़ का कहर लगातार जारी है. बागमती नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी के कारण दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड के हायाघाट स्थित पुल संख्या-16 पर बाढ़ का दबाव बरकरार है. इसके कारण परिचालन लगातार बाधित है. सड़क संपर्क टूटने के कारण रेलवे ट्रैक लोगों के लिए आवागमन का साधन बन चुका है. वहीं पैदल, साइकिल और बाइक सवार बाढ़ पीड़ित लोग जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं.

munda bridge in darbhaga
मुंडा पुल पर बढ़ रहा पानी का दबाव

जिले में बाढ़ के कारण हायाघाट-दरभंगा मुख्य सड़क का संपर्क टूट चुका है. इस वजह से हायाघाट प्रखंड के लोग जान जोखिम में डालकर मुंडा पुल को पार कर रहे हैं. दरअसल रेलवे ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से यहां से गुजरने वाले से सभी ट्रेनों का परिचालन रद्द कर दिया है. रेल परिचालन बंद होन के कारण लोगों के पास जाने के लिए कोई साधन नहीं है. इस वजह से जान जोखिम में डालकर ट्रैक से आवागमन कर रहे हैं. सबसे ज्यादा खतरा इस पुल से गुजरने वाले बाइक सवार का है.

rail emplyee
रेल कर्मी

मजबूरी में खतरा उठा रहे हैं लोग
स्थानीय युवक आशीष कुमार झा ने बताया कि मुख्यालय जाने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं है. इस कारण जान को जोखिम में डालना पड़ रहा है. डर लगता है पर क्या करें. मजबूरी में खतरा उठाना ही पड़ता है. रोजाना लोग इस खतरे से दो-चार हो रहे हैं. इसी पुल से स्कूली बच्चें भी गुजरते हैं. हमेशा डर लगा रहता है. मजबूरी में इस पुल से गुजरना पड़ता है.

darbhanga dm dr tyagrajan
जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन

कभी भी हो सकता है हादसा
वहीं, रेलवे कर्मचारी मुख्तार आलम कहते हैं कि लाख मनाही के बावजूद लोग यहां से गुजर रहे हैं. नदी अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. पुल पर पानी का काफी दबाव है. यहां से गुजरना जोखिम भरा है. मना करने पर लोग हाथापाई करते हैं. आरपीएफ यहां समय-समय पर अनाउंस कर लोगों को सतर्क भी करती है. ट्रैक को लोगों ने लाइफ लाइन बना लिया है. लेकिन यहां से गुजरना जोखिम भरा है. जलस्तर में वृद्धि होने पर कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

जान जोखिम में डालकर पुल पार करते बाइक सवार

पानी घटने पर होगा रेल परिचालन
वहीं, जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन ने ईटीवी से बातचीत में कहा कि इस संदर्भ में डीआरएम से बात हुई है. पुल से डेढ़ फीट पानी कम होने पर ही ट्रेन का परिचालन पर विचार होगा. उम्मीद है कि एक से दो दिन में परिचालन शुरू हो जायेगा. इस पर अंतिम निर्णय रेलवे अधिकारियों को लेना है. सुरक्षा का भी ख्याल रखा जा रहा है. रेलवे अभियंता इस पर नजर रख रहे हैं.

Intro:नदियों में जलस्तर में उतार - चढ़ाव से उत्तर बिहार के कई जिला सहित दरभंगा में अभी भी संकट बरकरार है। वही बागमती नदी में जलस्तर बढ़ने को लेकर दरभंगा - समस्तीपुर रेलखंड पर हायाघाट के पास पुल संख्या 16 पर बाढ़ के दबाव के चलते परिचालन लगातार बाधित है। तो दूसरी तरफ हायाघाट से दरभंगा मुख्यालय को जोड़ने वाली मुख्य सड़क बाढ़ के पानी के चलते पहले ही संपर्क टूट चुका है। जिसके चलते हायाघाट प्रखंड के लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर मोटरसाइकिल साइकिल व पैदल इस मुंडा पुल को पार कर रहे हैं।


Body:दरअसल दरभंगा - समस्तीपुर रेलखंड के हायाघाट रेलवे स्टेशन के पास कुल संख्या 16 पर बाढ़ के पानी का दबाव इतना बढ़ गया कि, रेलवे ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस पुल से गुजरने वाले सभी ट्रेनों का परिचालन अगले आदेश तक के लिए बंद कर दिया। ऐसे में जब हायाघाट प्रखंड के लोगों के पास दरभंगा आने जाने का कोई रास्ता नहीं बचा तो, यहां के लोगों ने अपनी जान को जोखिम में डालकर रेलवे के इस मुंडा पुल को अपना रास्ता बना लिया। क्योंकि हायाघाट से दरभंगा का सड़क संपर्क बाढ़ के कारण पहले ही भंग हो चुका था।

स्थानीय आशीष कुमार झा ने कहा कि हमलोगों को मुख्यालय आने जाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है। इसीलिए हम लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर किसी तरह पुल को पार कर अपने गंतव्य को जाने को मजबूर हैं। क्योंकि हमारा जो मुख्यालय में काम है, उसको करना तो अनिवार्य है, उसी को करने के लिए हम लोग रोज अपनी जान को जोखिम में डालकर आते और जाते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे छोटे भाई भी स्कूल और ट्यूशन इसी पुल से जाते हैं, उन लोगों को भी खतरा है। लेकिन हमलोग मजबूरी में इधर से गुजरते हैं। क्योंकि हमलोगों को आने जाने का कोई दूसरा रास्ता और साधन नहीं है।


Conclusion:वहीं रेलवे कर्मी मुख्तार आलम ने कहा कि अभी भी नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और पुल पर पानी का काफी दबाव बना हुआ है। वही उन्होंने कहा कि विभागीय प्रशासन के द्वारा लगातार इन लोगों को मना किया जा रहा है कि इधर से आने-जाने में जोखिम भरा हुआ है। रोकने पर आम जनता हाथापाई पर आ जाते हैं और कहते हैं कि यही हमारी लाइफ लाइन है। वे लोग कहते हैं कि किसी प्रकार का काम करने के लिए आने जाने का एक मात्र यही रास्ता है। लाख मना करने के बावजूद भी वह लोग नहीं मानते हैं।

वहीं जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन ने बताया कि रेलवे के डीआरएम से बात हुई है। उनका कहना है कि पुल से डेढ़ फीट पानी कम होने पर ही ट्रेन का परिचालन पर विचार किया जाएगा। वहीं उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि दो दिनों के अंदर रेल परिचालन शुरू हो जाएगा। लेकिन अंतिम निर्णय रेलवे के अधिकारियों को ही लेना है, क्योंकि यह सेफ्टी का इशू है। रेलवे अभियंता का जो अंतिम निर्णय होगा, उस पर काम किया जाएगा।

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आशीष कुमार झा, स्थानीय लोग
मुख्तार आलम, रेलवे कर्मी
डॉ त्यागराजन, जिलाधिकारी दरभंगा

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