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पटना के बाद दरभंगा में बन रहा बिहार का दूसरा तारामंडल, जानिए इसकी खासियत

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Published : Feb 19, 2022, 1:35 PM IST

अब तक जिस तारामंडल को देखने के लिए लोग पटना जाया करते थे, उससे भी आधुनिक तारामंडल अब उन्हें दरभंगा (Bihar second taramandal in Darbhanga) में ही देखने को मिलेगा. 31 मई 2022 तक यह बनकर तैयार हो जाएगा. लोग अंतरिक्ष की दुनिया की जानकारी ले पाएंगे. पढ़ें पूरी खबर..

Bihar second taramandal in Darbhanga
Bihar second taramandal in Darbhanga

दरभंगा: पटना के बाद दरभंगा में बिहार का दूसरा तारामंडल (Darbhanga Planetarium) बनकर तैयार हो रहा है. राज्य का अब तक का सबसे आधुनिक यह तारामंडल अगले कुछ महीनों में दर्शकों के लिए खोल दिया जाएगा. इसका काम युद्ध स्तर पर चल रहा है. साथ ही इसके निर्माण में बड़ी संख्या में स्थानीय मजदूर लगे हैं. लोगों के बीच रोजगार मिलने से खुशी देखी जा रही है. बिहार सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से 73 करोड़ 73 लाख 60 हजार 331 रुपये की लागत से साढ़े तीन एकड़ रकबे में इसका निर्माण दरभंगा पॉलिटेक्निक कॉलेज (Government Polytechnic Darbhanga) की जमीन पर हो रहा है.

पढ़ें- पटना के तारामंडल को सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर करने की मांग

दरभंगा में बिहार का दूसरा तारामंडल: इसके बन जाने के बाद भी आसपास के इलाके में रोजगार के कई नए साधन उभर कर आएंगे. तारामंडल परिसर में डेढ़ सौ सीटों के प्लैनेटेरियम और 300 सीटों के ऑडिटोरियम का निर्माण हो रहा है. इसके बन जाने से न सिर्फ उत्तर बिहार बल्कि पड़ोसी देश नेपाल के सीमावर्ती जिलों के छात्र-छात्राएं भी ग्रहों और तारों की दुनिया की सैर कर सकेंगे. साथ ही यहां कई तरह के खगोलीय रिसर्च भी होंगे. इसके छत के ऊपर खूबसूरत रूफ गार्डेनिंग लगाई जा रही है, जहां लोग खुदको प्रकृति के नजदीक महसूस करेंगे.

दरभंगा तारामंडल के निर्माण में लगे अभियंता अनिमेष राज ने कहा कि, यह बिहार का अब तक का सबसे आधुनिक तारामंडल होगा. 73 करोड़ 73 लाख 60 हजार 360 रुपये की लागत से इसका निर्माण हो रहा है और इसे 31 मई तक दर्शकों के लिए खोल देने की योजना है. उन्होंने कहा कि इस तारामंडल परिसर में डेढ़ सौ सीटों का प्लैनेटेरियम और 300 सीटों का एक ऑडिटोरियम बनाया जा रहा है. इसकी छत पर पाथवे बनाया जा रहा है और रूफ गार्डन विकसित किया जा रहा है. लोग वहां बैठकर प्रकृति के बीच इंजॉय कर सकेंगे.

पढ़ें- करोड़ों की लागत से हाईटेक होगा पटना का तारामंडल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने साइन किया MOU

"बिहार का यह दूसरा तारांमंडल है. यह लगभग बनकर तैयार हो चुका है. 31 मई 2022 को इसे हैंडओवर करने की तारीख है.डेढ़ सौ सीटों का प्लैनेटेरियम और 300 सीटों का एक ऑडिटोरियम है. एंट्री में ही अंदर क्या दिखाया जाएगा इसकी पूरी जानकारी लोगों को डिस्प्ले के माध्यम से दिखाई जाएगी."- अनिमेष राज, तारामंडल के अभियंता

बढ़े रोजगार के अवसर: स्थानीय सुजीत मल्लिक ने बताया कि, दरभंगा में बिहार का सबसे आधुनिक तारामंडल बन रहा है. इससे स्थानीय लोगों में बेहद खुशी है. उन्होंने कहा कि इसके बन जाने के बाद न सिर्फ उत्तर बिहार बल्कि नेपाल के लोग भी ग्रहों और तारों की दुनिया को नजदीक से देख सकेंगे. तारामंडल के बनने से यहां बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों और मजदूरों को रोजगार भी मिल रहा है.

"तारामंडल दरभंगा में खुल रहा है. लोगों में इसको लेकर काफी खुशी है. लोगों को रोजगार मिल रहा है. यहां वैज्ञानिक आएंगे. 200 से 250 के करीब स्थानीय लोगों को यहां रोजगार मिला है. इससे लोगों के साथ ही दरभंगा का भी विकास हो रहा है."- सुजीत मल्लिक, स्थानीय

पढ़ें - पटना: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने किया तारामंडल का निरीक्षण, पदाधिकारियों को दिए कई निर्देश

तारामंडल के निर्माण कार्य में लगे मधुबनी जिले के एक मजदूर धर्मेश मंडल ने कहा कि, वे पहले पंजाब के लुधियाना में काम करते थे. जब से यहां तारामंडल का निर्माण शुरू हुआ है उन्हें अपने घर के आस-पास ही रोजगार मिल गया है. जब यह बनकर तैयार होगा तो यहां आस-पास कई तरह की दुकानें खुलेंगी और दूसरे रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. सरकार अगर इसी तरीके से विकास के काम करे तो बिहार में ही रोजगार मिलेगा और लोगों को बाहर मजदूरी करने नहीं जाना पड़ेगा.

"पहले मुझे रोजगार के लिए लुधियाना जाना पड़ता था. लेकिन तारामंडल के निर्माण के बाद से अपने आस-पास के जिले में ही काम मिलने से बहुत आराम हुआ है. जितना पैसा वहां कमा रहे थे उतना ही अपने मां बाप के साथ रहकर भी कमा रहे हैं. हम सब बहुत खुश हैं."- धर्मेश मंडल, मजदूर

दरभंगा डीएम राजीव रौशन बताया कि, दरभंगा में तारामंडल बन जाने से शहर की तस्वीर बदल जाएगी. आसपास के इलाके का विकास होगा. इस इलाके के छात्रों-युवाओं को विज्ञान की गतिविधियां समझने में काफी मदद मिलेगी. तारामंडल का काम काफी तेज गति से चल रहा है और आने वाले कुछ महीनों में यह बनकर तैयार हो जाएगा.

"काफी तेज गति से निर्माण कार्य चल रहा है. साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के द्वारा विजिट भी किया गया था और निर्माण को तेज गति से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके निर्माण से पर्यटन को बढ़ावा को मिलेगा ही साथ ही वहीं नई पीढ़ी की अंतरिक्ष विज्ञान में जागरुकता बढ़ेगी."- राजीव रौशन, डीएम, दरभंगा

क्या होता है तारामंडल: तारामंडल या ताराघर यानि Planetarium विशाल गुंबदनुमा बिल्डिंग होता है. यह अपनी गुंबदनुमा या अर्ध-गोलाकार छत से पहचाना जाता है. इसका गुंबद साउंडप्रूफ होता है. इसमें कृत्रिम रूप से ग्रह नक्षत्रों को दिखाया जाता है. भारत में लगभग 30 ताराघर हैं. कोलकाता स्थित एम पी बिरला ताराघर, एशिया का सबसे बड़ा एवं विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ताराघर है. मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और इलाहाबाद में स्थित ताराघर जवाहरलाल नेहरू तारामंडल के नाम से जाने जाते हैं.

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दरभंगा: पटना के बाद दरभंगा में बिहार का दूसरा तारामंडल (Darbhanga Planetarium) बनकर तैयार हो रहा है. राज्य का अब तक का सबसे आधुनिक यह तारामंडल अगले कुछ महीनों में दर्शकों के लिए खोल दिया जाएगा. इसका काम युद्ध स्तर पर चल रहा है. साथ ही इसके निर्माण में बड़ी संख्या में स्थानीय मजदूर लगे हैं. लोगों के बीच रोजगार मिलने से खुशी देखी जा रही है. बिहार सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से 73 करोड़ 73 लाख 60 हजार 331 रुपये की लागत से साढ़े तीन एकड़ रकबे में इसका निर्माण दरभंगा पॉलिटेक्निक कॉलेज (Government Polytechnic Darbhanga) की जमीन पर हो रहा है.

पढ़ें- पटना के तारामंडल को सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर करने की मांग

दरभंगा में बिहार का दूसरा तारामंडल: इसके बन जाने के बाद भी आसपास के इलाके में रोजगार के कई नए साधन उभर कर आएंगे. तारामंडल परिसर में डेढ़ सौ सीटों के प्लैनेटेरियम और 300 सीटों के ऑडिटोरियम का निर्माण हो रहा है. इसके बन जाने से न सिर्फ उत्तर बिहार बल्कि पड़ोसी देश नेपाल के सीमावर्ती जिलों के छात्र-छात्राएं भी ग्रहों और तारों की दुनिया की सैर कर सकेंगे. साथ ही यहां कई तरह के खगोलीय रिसर्च भी होंगे. इसके छत के ऊपर खूबसूरत रूफ गार्डेनिंग लगाई जा रही है, जहां लोग खुदको प्रकृति के नजदीक महसूस करेंगे.

दरभंगा तारामंडल के निर्माण में लगे अभियंता अनिमेष राज ने कहा कि, यह बिहार का अब तक का सबसे आधुनिक तारामंडल होगा. 73 करोड़ 73 लाख 60 हजार 360 रुपये की लागत से इसका निर्माण हो रहा है और इसे 31 मई तक दर्शकों के लिए खोल देने की योजना है. उन्होंने कहा कि इस तारामंडल परिसर में डेढ़ सौ सीटों का प्लैनेटेरियम और 300 सीटों का एक ऑडिटोरियम बनाया जा रहा है. इसकी छत पर पाथवे बनाया जा रहा है और रूफ गार्डन विकसित किया जा रहा है. लोग वहां बैठकर प्रकृति के बीच इंजॉय कर सकेंगे.

पढ़ें- करोड़ों की लागत से हाईटेक होगा पटना का तारामंडल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने साइन किया MOU

"बिहार का यह दूसरा तारांमंडल है. यह लगभग बनकर तैयार हो चुका है. 31 मई 2022 को इसे हैंडओवर करने की तारीख है.डेढ़ सौ सीटों का प्लैनेटेरियम और 300 सीटों का एक ऑडिटोरियम है. एंट्री में ही अंदर क्या दिखाया जाएगा इसकी पूरी जानकारी लोगों को डिस्प्ले के माध्यम से दिखाई जाएगी."- अनिमेष राज, तारामंडल के अभियंता

बढ़े रोजगार के अवसर: स्थानीय सुजीत मल्लिक ने बताया कि, दरभंगा में बिहार का सबसे आधुनिक तारामंडल बन रहा है. इससे स्थानीय लोगों में बेहद खुशी है. उन्होंने कहा कि इसके बन जाने के बाद न सिर्फ उत्तर बिहार बल्कि नेपाल के लोग भी ग्रहों और तारों की दुनिया को नजदीक से देख सकेंगे. तारामंडल के बनने से यहां बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों और मजदूरों को रोजगार भी मिल रहा है.

"तारामंडल दरभंगा में खुल रहा है. लोगों में इसको लेकर काफी खुशी है. लोगों को रोजगार मिल रहा है. यहां वैज्ञानिक आएंगे. 200 से 250 के करीब स्थानीय लोगों को यहां रोजगार मिला है. इससे लोगों के साथ ही दरभंगा का भी विकास हो रहा है."- सुजीत मल्लिक, स्थानीय

पढ़ें - पटना: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने किया तारामंडल का निरीक्षण, पदाधिकारियों को दिए कई निर्देश

तारामंडल के निर्माण कार्य में लगे मधुबनी जिले के एक मजदूर धर्मेश मंडल ने कहा कि, वे पहले पंजाब के लुधियाना में काम करते थे. जब से यहां तारामंडल का निर्माण शुरू हुआ है उन्हें अपने घर के आस-पास ही रोजगार मिल गया है. जब यह बनकर तैयार होगा तो यहां आस-पास कई तरह की दुकानें खुलेंगी और दूसरे रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. सरकार अगर इसी तरीके से विकास के काम करे तो बिहार में ही रोजगार मिलेगा और लोगों को बाहर मजदूरी करने नहीं जाना पड़ेगा.

"पहले मुझे रोजगार के लिए लुधियाना जाना पड़ता था. लेकिन तारामंडल के निर्माण के बाद से अपने आस-पास के जिले में ही काम मिलने से बहुत आराम हुआ है. जितना पैसा वहां कमा रहे थे उतना ही अपने मां बाप के साथ रहकर भी कमा रहे हैं. हम सब बहुत खुश हैं."- धर्मेश मंडल, मजदूर

दरभंगा डीएम राजीव रौशन बताया कि, दरभंगा में तारामंडल बन जाने से शहर की तस्वीर बदल जाएगी. आसपास के इलाके का विकास होगा. इस इलाके के छात्रों-युवाओं को विज्ञान की गतिविधियां समझने में काफी मदद मिलेगी. तारामंडल का काम काफी तेज गति से चल रहा है और आने वाले कुछ महीनों में यह बनकर तैयार हो जाएगा.

"काफी तेज गति से निर्माण कार्य चल रहा है. साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के द्वारा विजिट भी किया गया था और निर्माण को तेज गति से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके निर्माण से पर्यटन को बढ़ावा को मिलेगा ही साथ ही वहीं नई पीढ़ी की अंतरिक्ष विज्ञान में जागरुकता बढ़ेगी."- राजीव रौशन, डीएम, दरभंगा

क्या होता है तारामंडल: तारामंडल या ताराघर यानि Planetarium विशाल गुंबदनुमा बिल्डिंग होता है. यह अपनी गुंबदनुमा या अर्ध-गोलाकार छत से पहचाना जाता है. इसका गुंबद साउंडप्रूफ होता है. इसमें कृत्रिम रूप से ग्रह नक्षत्रों को दिखाया जाता है. भारत में लगभग 30 ताराघर हैं. कोलकाता स्थित एम पी बिरला ताराघर, एशिया का सबसे बड़ा एवं विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ताराघर है. मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और इलाहाबाद में स्थित ताराघर जवाहरलाल नेहरू तारामंडल के नाम से जाने जाते हैं.

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