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उद्घाटन से पहले ही बिखरने लगा पशु चिकित्सालय, 13 साल पहले 80 लाख की लागत से हुआ था निर्माण

दरभंगा स्थित पशु चिकित्सालय की हालत बद से बदतर है. इसका निर्माण 13 साल पहले 80 लाख की लागत से किया गया था. मगर आज तक इसकी शुरूआत नहीं हो सकी.

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Published : Apr 21, 2019, 11:50 PM IST

पशु चिकित्सालय

दरभंगा: एक तरफ सरकार आमजनों तक हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराने की बात कहती है. वहीं, दूसरी तरफ स्थानीय प्रशासन के ढिले रवैये के कारण लोग विकास से कोसों दूर हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण पटोरी गांव में बना प्रखंड स्तरीय पशु अस्पताल है, जिसका हालत बद से बदतर है.

80 लाख की लागत से बना था भवन

13 साल पहले इस भवन को 80 लाख की लागत से बनाया गया था. मगर आज तक इसकी शुरूआत नहीं की जा सकी है. लिहाजा भवन में भवन जर्जर हो चुका. यहां के दिवारों दरारें पड़ गई हैं, मगर आज तक इसे पशुपालन विभाग को सुपुर्द नहीं किया जा सका है.

पशु चिकित्सालय का नहीं हो सका उद्घाटन

भवन के नाम पर खर्च हो चुके 78 लाख
भवन निर्माण के नाम पर 5 वर्ष के अंतराल में विभाग के तरफ से दो-दो बार राशि आवंटित की जा चुकी है. पहली बार कृषि सम विकास योजना के तहत वर्ष 2004-05 में करीब 24 लाख रुपये की निविदा दी गई. इस निविदा के आधार पर वीएस कंस्ट्रक्शन को एक वर्ष के अंदर कार्य पूरा करने का आदेश जारी किया गया था.

लोखों खर्च करने के बाद भी भवन जर्जर
उक्त भवन का निर्माण कार्य पूरा भी नहीं हुआ था कि भवन निर्माण विभाग ने दूसरी बार वर्ष 2009-10 में फिर उसी कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम ही करीब 54 लाख रुपये का प्राक्कलन जारी करते हुए दो वर्षो के भीतर निर्माण कार्य पूरा कर संबंधित विभाग को भवन हस्तांतरित करने का आदेश दिया. लेकिन इसका भी परिणाम नहीं निकल सका.

क्या कहते हैं पदाधिकारी
वहीं इस मामले में डॉ विजय कुमार ने बताया कि भवन निर्माण विभाग ने पशुपालन विभाग को अस्पताल के नाम पर बने भवन नहीं सौंपा है. इस संबंध में वर्ष 2016 से ही जिला अधिकारी के सप्ताहिक बैठक वो इस मामले को उठा रहे हैं.

दरभंगा: एक तरफ सरकार आमजनों तक हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराने की बात कहती है. वहीं, दूसरी तरफ स्थानीय प्रशासन के ढिले रवैये के कारण लोग विकास से कोसों दूर हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण पटोरी गांव में बना प्रखंड स्तरीय पशु अस्पताल है, जिसका हालत बद से बदतर है.

80 लाख की लागत से बना था भवन

13 साल पहले इस भवन को 80 लाख की लागत से बनाया गया था. मगर आज तक इसकी शुरूआत नहीं की जा सकी है. लिहाजा भवन में भवन जर्जर हो चुका. यहां के दिवारों दरारें पड़ गई हैं, मगर आज तक इसे पशुपालन विभाग को सुपुर्द नहीं किया जा सका है.

पशु चिकित्सालय का नहीं हो सका उद्घाटन

भवन के नाम पर खर्च हो चुके 78 लाख
भवन निर्माण के नाम पर 5 वर्ष के अंतराल में विभाग के तरफ से दो-दो बार राशि आवंटित की जा चुकी है. पहली बार कृषि सम विकास योजना के तहत वर्ष 2004-05 में करीब 24 लाख रुपये की निविदा दी गई. इस निविदा के आधार पर वीएस कंस्ट्रक्शन को एक वर्ष के अंदर कार्य पूरा करने का आदेश जारी किया गया था.

लोखों खर्च करने के बाद भी भवन जर्जर
उक्त भवन का निर्माण कार्य पूरा भी नहीं हुआ था कि भवन निर्माण विभाग ने दूसरी बार वर्ष 2009-10 में फिर उसी कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम ही करीब 54 लाख रुपये का प्राक्कलन जारी करते हुए दो वर्षो के भीतर निर्माण कार्य पूरा कर संबंधित विभाग को भवन हस्तांतरित करने का आदेश दिया. लेकिन इसका भी परिणाम नहीं निकल सका.

क्या कहते हैं पदाधिकारी
वहीं इस मामले में डॉ विजय कुमार ने बताया कि भवन निर्माण विभाग ने पशुपालन विभाग को अस्पताल के नाम पर बने भवन नहीं सौंपा है. इस संबंध में वर्ष 2016 से ही जिला अधिकारी के सप्ताहिक बैठक वो इस मामले को उठा रहे हैं.

Intro:लगभग करोड़ों की लागत से बना पशु अस्पताल नहीं मिला विभाग को

रिपोर्ट : अभिनव कुमार

दरभंगा जिले के बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाला हनुमाननगर प्रखंड क्षेत्र के पटोरी गांव में बना पशु चिकित्सालय अधिकारियों की उदासीनता की मार झेल रही है |सुशासन की दुहाई देने वाली सरकार में भी भ्रष्टाचार का ही बोल-बाला है।सरकारी राशि बंदरबांट की जा रही है।एक तरफ सरकार आमजन तक हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराने के लिए कृतसंकल्पित होकर पानी की तरह पैसा बहा रही है।वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन के ढुलमुल रवैया के कारण यह लोगों की पहुंच से कोसों दूर है।इसका साक्षात नमूना है पटोरी गाँव में बना प्रखंड स्तरीय पशु अस्पताल।हालात ऐसे हैं कि पशु चिकित्सालय के नाम पर तेरह साल पहले करीब 80 लाख रुपये की लागत से बना यह भवन क्षेत्रीय लोगों के लिए हाथी का दांत साबित हो रहा है।इस भवन में पशु चिकित्सा तो आजतक शुरु नहीं की जा की,लेकिन कई जगह दरारें आने से भवन जर्जर हो चुका है।मानों, विकास के नाम पर लाखों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा हो।


उद्घाटन के बिना ही खंडहर बना पशु चिकित्सालय


निर्माण कार्य शुरु हुए तेरह वर्ष बीत गए, लेकिन अबतक यह भवन पशुपालन विभाग को सुपुर्द नहीं किया जा सका।भवन की जर्जरता निर्माण के गुणवत्ता की पोल खोलने के लिए काफी है।सूत्रों की मानें तो संवेदक को संबंधित विभाग से भवन निर्माण से जुड़ी पूरी राशि का भुगतान भी किया जा चुका है।एक बात लोगों के सामने यक्ष प्रश्न बनकर मुंह बाए खड़ा है कि संवेदक द्वारा पशु अस्पताल के इस भवन को भवन निर्माण विभाग को सुपुर्द किया गया या नहीं ? यदि सौंपा गया तो विभाग ने पशुपालन विभाग को आज तक भवन हस्तांतरित क्यों नहीं किया ?

भवन के नाम पर खर्च हो चुके 78 लाख

भवन निर्माण के नाम पर 5 वर्ष के अंतराल में विभाग ने दो-दो बार राशि आवंटित की।पहली बार कृषि सम विकास योजना के तहत वर्ष 2004-05 में करीब 24 लाख रुपये की निविदा दी गई।निविदा के आधार पर वीएस कंस्ट्रक्शन को एक वर्ष के अंदर कार्य पूरा करने का आदेश जारी किया गया था।उक्त भवन का निर्माण कार्य पूरा भी नहीं हुआ था कि भवन निर्माण विभाग ने दूसरी बार वर्ष 2009-10 में पुनः उसी कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम ही करीब 54 लाख रुपये का प्राक्कलन जारी करते हुए दो वर्षो के भीतर निर्माण कार्य पूरा कर संबंधित विभाग को भवन हस्तांतरित करने का आदेश दिया।लेकिन परिणाम वही, ढाक के तीन पात।


पूर्व मुखिया रामइकबाल चौधरी, चंद्रभूषण चौधरी, राधामोहन चौधरी,रामाज्ञा चौधरी,रामेश्वर ठाकुर समेत दर्जनों ग्रामीणों का कहना है कि दो राजस्व गांव की सीमा होने के कारण आजतक मुख्य सड़क से पशु अस्पताल तक पहुंच पथ नहीं बना है।अस्पताल का अपना भवन होने के बावजूद भी विभागीय अधिकारी, कर्मचारी व क्षेत्र के पशुपालकों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है।भवन निर्माण विभाग की मिलीभगत से अस्पताल भवन का आधा-अधूरा निर्माण कर संवेदक ने पूरी राशि की निकासी भी कर ली।सुशासन की सरकार में ऐसे भ्रष्टतंत्र के रहते आमजन तक विकास की पहुंचाने की बात थोथी दलीलें भर हैं।भवन के अभाव में प्रखंड क्षेत्र के पशुपालकों को तो अनेक प्रकार की परेशानी होती ही है,विभागीय अधिकारी व कर्मचारी भी समय पर नहीं मिल पाते हैं।

जिला पशुचिकित्सा पदाधिकारी ने भवन निर्माण विभाग पर लगाया आरोप


जिला पशुचिकित्सा पदाधिकारी
डॉ विजय कुमार ने उपरोक्त संदर्भ में पूछे जाने पर बताया कि भवन निर्माण विभाग ने पशुपालन विभाग को अस्पताल के नाम पर बने भवन नहीं सौंपा है। इस संबंध में वर्ष 2016 से ही जिला अधिकारी के सप्ताहिक बैठक में इस मामले को मैं उठा रहा हूं इस संबंध में मैंने संबंधित विभाग के कार्यपालक अभियंता को ढ़ाई साल पहले अवगत करा दिया था।मुख्य सड़क से अस्पताल तक पहुंचने के लिए पहुंच पथ नहीं है।इसको लेकर भी पूर्व के जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह को अवगत करा चुका हूं जिसके बाद जिलाधिकारी ने तत्कालीन सीओ को स्थानीय लोगों से बात कर रास्ता का हल निकालने को कहा था करीब साल भर पहले तत्कालीन सीओ भुवनेश्वर झा से लिखित शिकायत की गई थी।लेकिन आजतक कोई हल नहीं निकल पाया है।


बाइट :- डॉ विजय कुमार, जिला पशुचिकित्सा पदाधिकारी

मणिकांत कुमार , स्थानियBody:NAConclusion:NA
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