दरभंगा: एक तरफ सरकार आमजनों तक हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराने की बात कहती है. वहीं, दूसरी तरफ स्थानीय प्रशासन के ढिले रवैये के कारण लोग विकास से कोसों दूर हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण पटोरी गांव में बना प्रखंड स्तरीय पशु अस्पताल है, जिसका हालत बद से बदतर है.
80 लाख की लागत से बना था भवन
13 साल पहले इस भवन को 80 लाख की लागत से बनाया गया था. मगर आज तक इसकी शुरूआत नहीं की जा सकी है. लिहाजा भवन में भवन जर्जर हो चुका. यहां के दिवारों दरारें पड़ गई हैं, मगर आज तक इसे पशुपालन विभाग को सुपुर्द नहीं किया जा सका है.
भवन के नाम पर खर्च हो चुके 78 लाख
भवन निर्माण के नाम पर 5 वर्ष के अंतराल में विभाग के तरफ से दो-दो बार राशि आवंटित की जा चुकी है. पहली बार कृषि सम विकास योजना के तहत वर्ष 2004-05 में करीब 24 लाख रुपये की निविदा दी गई. इस निविदा के आधार पर वीएस कंस्ट्रक्शन को एक वर्ष के अंदर कार्य पूरा करने का आदेश जारी किया गया था.
लोखों खर्च करने के बाद भी भवन जर्जर
उक्त भवन का निर्माण कार्य पूरा भी नहीं हुआ था कि भवन निर्माण विभाग ने दूसरी बार वर्ष 2009-10 में फिर उसी कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम ही करीब 54 लाख रुपये का प्राक्कलन जारी करते हुए दो वर्षो के भीतर निर्माण कार्य पूरा कर संबंधित विभाग को भवन हस्तांतरित करने का आदेश दिया. लेकिन इसका भी परिणाम नहीं निकल सका.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
वहीं इस मामले में डॉ विजय कुमार ने बताया कि भवन निर्माण विभाग ने पशुपालन विभाग को अस्पताल के नाम पर बने भवन नहीं सौंपा है. इस संबंध में वर्ष 2016 से ही जिला अधिकारी के सप्ताहिक बैठक वो इस मामले को उठा रहे हैं.