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उपशास्त्री संस्कृत कॉलेज में प्राचार्य समेत शिक्षकों और कर्मियों की बहाली रद्द, हाईकोर्ट ने नियुक्ति को बताया अवैध - darbhanga

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय ने लहटा उपशास्त्री संस्कृत कॉलेज में प्राचार्य समेत 3 शिक्षकों और 2 कर्मियों की बहाली को रद्द कर दिया है.

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय
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Published : Mar 23, 2019, 8:53 PM IST

दरभंगा: मनीगाछी के लहटा उपशास्त्री संस्कृत कॉलेज में प्राचार्य समेत 3 शिक्षकों और 2 कर्मियों की बहाली को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय ने निरस्त कर दिया है. इसके पहले पटना हाई कोर्ट ने इस बहाली की प्रक्रिया पर स्टे लगाया था.

दरअसल, उपशास्त्री संस्कृत कॉलेज लहटा में पहले तो फर्जी शासी निकाय का गठन किया गया. फिर असली शासी निकाय की जानकारी के बगैर अखबार में नियुक्तियों का विज्ञापन निकाला गया. उसमें आरक्षण का कोई प्रावधान भी नहीं था. उसके बाद आनन-फानन में प्राचार्य समेत 3 शिक्षकों और 2 कर्मियों की बहाली की गयी.

कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा

धोखाधड़ी का आरोप
यही नहीं विज्ञापन के आधार पर जिन लोगों ने आवेदन किया, उन्हें साक्षात्कार के लिये न बुलाकर अपनी पसंद के लोगों का साक्षात्कार लिया गया. जिन लोगों का साक्षात्कार लिया गया उनके बदले नौकरी किसी और को दे दी गयी. उसके बाद विवि को इसकी मंजूरी के लिये भेजा गया.

हाई कोर्ट पहुंचा था मामला
इस मामले में जिन लोगों ने नियुक्ति के लिये आवेदन किया था, उन्होंने फर्जी बहाली के आरोप में विवि से शिकायत की. विवि ने उनकी शिकायत पर जब कोई ध्यान नहीं दिया तो वे अपनी शिकायत लेकर पटना हाई कोर्ट पहुंचे. कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया पर स्टे लगाते हुए विवि से रिपोर्ट मांगी. इसके बाद विवि ने नियुक्ति को अवैध मानते हुए विज्ञापन को ही खारिज कर दिया.

फिर से शुरू होगी बहाली की प्रक्रिया
विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि लहटा उपशास्त्री संस्कृत कॉलेज की नियुक्ति के विज्ञापन को ही रद्द कर दिया गया है. सारी नियुक्ति अब अवैध हो गयी है. उन्होंने कहा कि नियुक्ति में वैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था, इस कारण अब वहां फिर से बहाली की प्रक्रिया शुरू होगी.

दरभंगा: मनीगाछी के लहटा उपशास्त्री संस्कृत कॉलेज में प्राचार्य समेत 3 शिक्षकों और 2 कर्मियों की बहाली को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय ने निरस्त कर दिया है. इसके पहले पटना हाई कोर्ट ने इस बहाली की प्रक्रिया पर स्टे लगाया था.

दरअसल, उपशास्त्री संस्कृत कॉलेज लहटा में पहले तो फर्जी शासी निकाय का गठन किया गया. फिर असली शासी निकाय की जानकारी के बगैर अखबार में नियुक्तियों का विज्ञापन निकाला गया. उसमें आरक्षण का कोई प्रावधान भी नहीं था. उसके बाद आनन-फानन में प्राचार्य समेत 3 शिक्षकों और 2 कर्मियों की बहाली की गयी.

कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा

धोखाधड़ी का आरोप
यही नहीं विज्ञापन के आधार पर जिन लोगों ने आवेदन किया, उन्हें साक्षात्कार के लिये न बुलाकर अपनी पसंद के लोगों का साक्षात्कार लिया गया. जिन लोगों का साक्षात्कार लिया गया उनके बदले नौकरी किसी और को दे दी गयी. उसके बाद विवि को इसकी मंजूरी के लिये भेजा गया.

हाई कोर्ट पहुंचा था मामला
इस मामले में जिन लोगों ने नियुक्ति के लिये आवेदन किया था, उन्होंने फर्जी बहाली के आरोप में विवि से शिकायत की. विवि ने उनकी शिकायत पर जब कोई ध्यान नहीं दिया तो वे अपनी शिकायत लेकर पटना हाई कोर्ट पहुंचे. कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया पर स्टे लगाते हुए विवि से रिपोर्ट मांगी. इसके बाद विवि ने नियुक्ति को अवैध मानते हुए विज्ञापन को ही खारिज कर दिया.

फिर से शुरू होगी बहाली की प्रक्रिया
विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि लहटा उपशास्त्री संस्कृत कॉलेज की नियुक्ति के विज्ञापन को ही रद्द कर दिया गया है. सारी नियुक्ति अब अवैध हो गयी है. उन्होंने कहा कि नियुक्ति में वैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था, इस कारण अब वहां फिर से बहाली की प्रक्रिया शुरू होगी.

Intro:दरभंगा। मनीगाछी के लहटा उपशास्त्री संस्कृत कॉलेज में हुई प्राचार्य समेत 3 शिक्षकों और 2 कर्मियों की बहाली को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि ने निरस्त कर दिया है। इसके पहले पटना हाई कोर्ट ने इस बहाली की प्रक्रिया पर स्टे लगाया था।


Body:क्या था मामला

उपशास्त्री संस्कृत कॉलेज लहटा में पहले तो फ़र्ज़ी शासी निकाय का गठन किया गया। फिर असली शासी निकाय की जानकारी के बगैर अखबार में नियुक्तियों का विज्ञापन निकाला गया। उसमें आरक्षण का कोई प्रावधान भी नहीं था। उसके बाद आनन-फानन में प्राचार्य समेत 3 शिक्षकों और 2 कर्मियों की बहाली की गयी। सबसे आश्चर्य की बात ये थी कि विज्ञापन के आधार पर जिन लोगों ने आवेदन किया उन्हें साक्षात्कार के लिये न बुलाकर अपनी पसंद के लोगों का साक्षात्कार लिया गया। जिन लोगों का साक्षात्कार लिया गया उनके बदले नौकरी किसी और को दे दी गयी। उसके बाद विवि को इसकी मंजूरी के लिये भेजा गया।

हाई कोर्ट पहुंचा था मामला

इस मामले में जिन लोगों ने नियुक्ति के लिये आवेदन किया था, उन्होंने फ़र्ज़ी बहाली के आरोप में विवि से शिकायत की। विवि ने उनकी शिकायत पर जब कोई ध्यान नहीं दिया तो वे पटना हाई कोर्ट चले गये। कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया पर स्टे लगाते हुए विवि से रिपोर्ट मांगी। उसके बाद विवि ने नियुक्ति को अवैध मानते हुए विज्ञापन को ही खारिज़ कर दिया।




Conclusion:विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि लहटा उपशास्त्री संस्कृत कॉलेज की नियुक्ति के विज्ञापन को ही रद्द कर दिया गया है। उसके बाद नियुक्ति अवैध हो गयी है। उन्होंने कहा कि नियुक्ति में वैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। अब वहां फिर से बहाली की प्रक्रिया शुरू होगी।


बाइट 1- प्रो. सर्व नारायण झा, कुलपति, केएडसडीएसयू


विजय कुमार श्रीवास्तव
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