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दरभंगा: डॉक्टर की बड़ी लापरवाही, बाहर से आए 60 मजदूरों को बिना स्क्रीनिंग भेजा घर

गांव के स्कूल को आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है. वहां सारी सुविधाएं मौजूद हैं. बावजूद इसके डॉक्टर ने बिना स्क्रीनिंग के ही मजदूरों को घर भेज दिया. जिसके बाद लोगों में कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.

दरभंगा
डॉक्टर की लापरवाही
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Published : Mar 29, 2020, 11:57 PM IST

दरभंगा: जिले में कोरोना जांच में लापरवाही की बात सामने आ रही है. रविवार को दिल्ली और हरियाणा में मजदूरी कर रहे 60 लोगों को दो ट्रकों में भरकर बहेड़ी लाया गया. इनकी जांच के नाम पर महज खानापूर्ति की गई. उनकी स्क्रीनिंग करने के बजाए सांस रुकवाकर उनका टेस्ट किया गया. जिसकी वजह से लोगों की चिंता बढ़ गई है.

जांच के नाम पर महज खानापूर्ति
दिल्ली और हरियाणा में मजदूरी कर रहे 60 लोग रविवार को बहेड़ी पहुंचे. उनकी बहेड़ी सीएचसी में जांच की गई. जांच का तरीका सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. उनकी स्क्रीनिंग करने के बजाए सांस रुकवाकर उनका टेस्ट किया गया. इसमें एक 10 साल का बच्चा भी था, जिसे खांसी की शिकायत थी. ऐसे में बच्चे समेत इन सभी लोगों को गांव के स्कूल में बने आइसोलेशन सेंटर में भेजने के बजाए इन्हें इनके घर भेज दिया गया.

क्या कहा सीएचसी प्रभारी?
गांव के स्कूल को आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है. वहां सारी सुविधाएं मौजूद हैं. बावजूद इसके लोगों को घर भेज देने पर सीएचसी प्रभारी डॉ. विधि महतो का कहना है कि सभी मजदूरों की जांच की गई. किसी में कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए. एक 10 साल के बच्चे में हल्की खांसी के लक्षण दिखे. उसे दवा दे दी गई है.

जांच के तरीके से खड़े हो रहे सवाल
बता दें कि राज्य सरकार के निर्देश पर हर गांव के स्कूल में आइसोलेशन सेंटर बनाए गए हैं. जहां बाहर से आने वाले लोगों को रखना है. अगर आगे उनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं दिखता है तभी उन्हें उनके घर भेजा जाना है. लेकिन, बहेड़ी में जिस तरह की जांच कर बाहर से आए मजदूरों को उनके घर भेज दिया गया यह कई सवाल खड़े करता है.

दरभंगा: जिले में कोरोना जांच में लापरवाही की बात सामने आ रही है. रविवार को दिल्ली और हरियाणा में मजदूरी कर रहे 60 लोगों को दो ट्रकों में भरकर बहेड़ी लाया गया. इनकी जांच के नाम पर महज खानापूर्ति की गई. उनकी स्क्रीनिंग करने के बजाए सांस रुकवाकर उनका टेस्ट किया गया. जिसकी वजह से लोगों की चिंता बढ़ गई है.

जांच के नाम पर महज खानापूर्ति
दिल्ली और हरियाणा में मजदूरी कर रहे 60 लोग रविवार को बहेड़ी पहुंचे. उनकी बहेड़ी सीएचसी में जांच की गई. जांच का तरीका सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. उनकी स्क्रीनिंग करने के बजाए सांस रुकवाकर उनका टेस्ट किया गया. इसमें एक 10 साल का बच्चा भी था, जिसे खांसी की शिकायत थी. ऐसे में बच्चे समेत इन सभी लोगों को गांव के स्कूल में बने आइसोलेशन सेंटर में भेजने के बजाए इन्हें इनके घर भेज दिया गया.

क्या कहा सीएचसी प्रभारी?
गांव के स्कूल को आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है. वहां सारी सुविधाएं मौजूद हैं. बावजूद इसके लोगों को घर भेज देने पर सीएचसी प्रभारी डॉ. विधि महतो का कहना है कि सभी मजदूरों की जांच की गई. किसी में कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए. एक 10 साल के बच्चे में हल्की खांसी के लक्षण दिखे. उसे दवा दे दी गई है.

जांच के तरीके से खड़े हो रहे सवाल
बता दें कि राज्य सरकार के निर्देश पर हर गांव के स्कूल में आइसोलेशन सेंटर बनाए गए हैं. जहां बाहर से आने वाले लोगों को रखना है. अगर आगे उनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं दिखता है तभी उन्हें उनके घर भेजा जाना है. लेकिन, बहेड़ी में जिस तरह की जांच कर बाहर से आए मजदूरों को उनके घर भेज दिया गया यह कई सवाल खड़े करता है.

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