दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में यूजीसी और बिहार सरकार की राशि से पिछले 7-8 साल के दौरान करीब 25 करोड़ की लागत से 12 भवन बनाकर छोड़ दिए गए. इनका आज तक विश्वविद्यालय ने कोई उपयोग नहीं किया.
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बेकार पड़े हैं भवन
ये भवन पूरे विवि परिसर में बनाए गए हैं. या तो ये भवन आधे-अधूरे बना कर छोड़ दिए गए या फिर इतनी घटिया क्वालिटी के बनाए गए कि इनका उपयोग नहीं हो सकता. इसलिए ये भवन बेकार पड़े हैं. इनके निर्माण में लगे पैसे बेकार चले गए. इनमें से अधिकतर भवनों के नक्शे तक नहीं बनाए गए हैं. आश्चर्य की बात है कि इतने साल बाद भी इस मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की.
भवनों को उपयोगी बनाने की कार्रवाई शुरू
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कुछ महीने पहले ऐसे भवनों की पहचान करवाई थी. उन्होंने इन भवनों का निरीक्षण कर इनकी उपयोगिता और इनके निर्माण के औचित्य पर विश्वविद्यालय के अभियंता से रिपोर्ट मांगी थी. अब विवि प्रशासन ने इन भवनों को उपयोगी बनाने की कार्रवाई शुरू कर दी है.
भवन निर्माण एवं विकास समिति की हुई बैठक
कुलपति की अध्यक्षता में विवि की भवन निर्माण एवं विकास समिति की बैठक बुलाई गई. इस बैठक में वित्त समिति और बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग और बिहार राज्य आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड के अधिकारी भी शामिल हुए. इस बैठक में इन अनुपयोगी भवनों को उपयोग के लायक बनाने पर चर्चा हुई.
"विवि में पिछले कुछ साल में करीब 25 करोड़ की लागत से बनकर बेकार पड़े 12 भवनों को उपयोग के लायक बनाने के लिए योजना बनाई जा रही है. भवन निर्माण समिति की बैठक में यह तय किया जा रहा है कि इन भवनों को उपयोग में लाने लायक बनाने में कितनी राशि खर्च होगी और उसका प्रबंध कहां से होगा. जल्द ही इस पर निर्णय ले लिया जाएगा."- प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह, कुलपति, एलएनएमयू
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