दरभंगा: जिले में ललित नारायण मिथिला विवि के हिंदी विभाग में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 112वीं जयंती मनाई गई. इस मौके पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई. इसके साथ ही 'राष्ट्रकवि दिनकर की जनचेतना' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें वक्ताओं ने उनकी रचनाओं की आज के संदर्भ में प्रासंगिकता पर चर्चा की.
दरभंगा में मनाई गई रामधारी सिंह दिनकर की 112वीं जयंती, रचनाओं को किया गया याद - दरभंगा समाचार
जिले में बुधवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 112वीं जयंती मनाई गई. इस मौके पर वक्ताओं ने उनकी रचनाओं को याद किया. इस दौरान हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र साह ने कहा कि दिनकर एक साथ विद्रोह, संघर्ष, ओज और प्रेम के कवि थे.
रामधारी सिंह दिनकर की 112वीं जयंती
दरभंगा: जिले में ललित नारायण मिथिला विवि के हिंदी विभाग में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 112वीं जयंती मनाई गई. इस मौके पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई. इसके साथ ही 'राष्ट्रकवि दिनकर की जनचेतना' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें वक्ताओं ने उनकी रचनाओं की आज के संदर्भ में प्रासंगिकता पर चर्चा की.
इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि भारत-चीन युद्ध के समय दिनकर ने अपनी रचनाओं से देशभक्ति की भावनाएं जगाई थीं. वहीं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र साह ने कहा कि दिनकर एक साथ विद्रोह, संघर्ष, ओज और प्रेम के कवि थे. उन्होंने कहा कि भारत-चीन युद्ध के समय दिनकर ने परशुराम की प्रतीक्षा काव्य की रचना की थी. इसमें एक तरफ तत्कालीन सरकार की आलोचना थी, तो वहीं दूसरी तरफ उस समय की परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए युवाओं में राष्ट्रभक्ति और हुंकार भरने का भाव भी. युवाओं को लेनी चाहिए प्रेरणा
राजेंद्र साह ने कहा कि आज भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव की जो स्थिति है, उसमें राष्ट्रकवि याद आते हैं. उनकी रचनाएं आज भी युवाओं में ओज भरती हैं. युवाओं को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए.
इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि भारत-चीन युद्ध के समय दिनकर ने अपनी रचनाओं से देशभक्ति की भावनाएं जगाई थीं. वहीं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र साह ने कहा कि दिनकर एक साथ विद्रोह, संघर्ष, ओज और प्रेम के कवि थे. उन्होंने कहा कि भारत-चीन युद्ध के समय दिनकर ने परशुराम की प्रतीक्षा काव्य की रचना की थी. इसमें एक तरफ तत्कालीन सरकार की आलोचना थी, तो वहीं दूसरी तरफ उस समय की परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए युवाओं में राष्ट्रभक्ति और हुंकार भरने का भाव भी. युवाओं को लेनी चाहिए प्रेरणा
राजेंद्र साह ने कहा कि आज भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव की जो स्थिति है, उसमें राष्ट्रकवि याद आते हैं. उनकी रचनाएं आज भी युवाओं में ओज भरती हैं. युवाओं को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए.