पटना: दावेदारी के बावजूद बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष नीतीश मिश्रा, सम्राट चौधरी और पुतुल सिंह इस बार लोकसभा चुनाव में टिकट पाने में नाकाम रहे. सम्राट चौधरी और नीतीश मिश्रा तो फिलहाल शांत हैं, लेकिन पुतुल सिंह आक्रमक हैं. उन्होंने तो ऐलान भी कर दिया है कि वह बांका से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगी.
सियासी गलियारों से लेकर आम जनमानस में ये चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि नीतीश कुमार ने इन नेताओं से पुराना हिसाब बराबर किया है. दरअसल पुतुल देवी, सम्राट चौधरी और नीतीश मिश्रा कभी जेडीयू में ही थे. जहां-जहां इनकी दावेदारी थी, वो तमाम सीटें या तो जेडीयू या एलजेपी के हिस्से गई हैं.
मसलन पुतुल देवी स्वभाविक तौर पर बांका से बीजेपी की दावेदार थीं. पहले भी वो सांसद रह चुकी हैं, मगर इस बार सीट शेयरिंग के तहत ये सीट जेडीयू के खाते में गई है. वहां से गिरीधारी यादव कैंडिडेट बनाए गए हैं. वहीं, नीतीश मिश्रा की तैयारी झंझारपुर में थी, लेकिन ये सीट भी भी जेडीयू ने झटक ली. जबकि सम्राट चौधरी की नजर खगड़िया पर थी, जो एलजेपी के हिस्से रही.
इस पर आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई बीरेंद्र ने बीजेपी और जेडीयू के रिश्तों पर चुटकी ली है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अपने दुश्मनों से ऐसे ही बदला लेते हैं. वे ये भी कहते हैं कि नीतीश कुमार ने ही उन्हें मंत्री नहीं बनने दिया. वे जोर देकर कहते हैं कि सीएम ने ही नीतीश मिश्रा, सम्राट चौधरी, हुकुम सिंह और रेणु कुशवाहा के टिकट कटवा दिए, क्योंकि ये लोग जेडीयू छोड़कर बीजेपी में गए थे.
हालांकि, बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने कहते हैं कि उन्हें कोई शिकायत नहीं है. बीजेपी में काम करने का मौका मिला, यही बहुत है. जहां तक सवाल नीतीश कुमार का है तो बीजेपी में उनका दखल नहीं हो सकता.