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आस्था का महापर्व: नहाय-खाय के साथ ही चैती छठ की आज से शुरुआत

आस्था के महापर्व की आज से शुरुआत हुई है. बुधवार को व्रती खरना करेंगी. वहीं, गुरुवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ का समापन हो जाएगा.

छठ व्रती
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Published : Apr 9, 2019, 2:42 PM IST

पटना: लोकआस्था के महापर्व छठ का आज पहला दिन है. इस दिन को नहाय-खाय भी कहा जाता है. गंगा घाटों पर छठ व्रतियों ने स्नान किया और इस कठिन व्रत को पूरा करने का संकल्प लिया. नहाय-खाए में व्रती लौकी की सब्जी और अरवा चावल का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस दौरान राजधानी तमाम नदी घाटों पर छठव्रतियों की भीड़ दिखी.

छठव्रती


दूसरे दिन खरना
नहाय-खाय के बाद इस 4 दिवसीय पर्व के दूसरे दिन व्रती दिन भर निराहार रहने के बाद शाम को खीर और रोटी का भोग लगाएंगे. उसके बाद खरना का अनुष्ठान करेंगे. खरना के साथ ही 36 घंटे का निराहार शुरू हो जाएगा.


तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य
वहीं, महापर्व के तीसरे दिन यानी गुरुवार को व्रती निर्जला रहते हुए शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे.


महापर्व का समापन
शुक्रवार को पर्व के चौथे दिन व्रती उदीयमान सूर्य यानी उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे. इसके साथ ही छठ व्रत का समापन हो जाएगा.


छठ बेहद कठिन पर्व
छठ पर्व के बारे में कहा जाता है कि यह बेहद मुश्किल भरा होता है. क्योंकि छठ व्रत करने वालों को कई कड़े नियमों से गुजरना पड़ता है. साफ-सफाई के अलावा घर में बिना लहसून-प्याज के भोजन बनाने होते हैं.

चैती छठ का महत्व
सूर्य की उपासना का पर्व छठ हिन्दू नववर्ष के पहले माह चैत्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. इस पर्व में व्रती सूर्य भगवान की पूजा कर उनसे आरोग्यता, संतान और मनोकामनाओं की पूर्ति का आर्शीवाद मांगते हैं.

पटना: लोकआस्था के महापर्व छठ का आज पहला दिन है. इस दिन को नहाय-खाय भी कहा जाता है. गंगा घाटों पर छठ व्रतियों ने स्नान किया और इस कठिन व्रत को पूरा करने का संकल्प लिया. नहाय-खाए में व्रती लौकी की सब्जी और अरवा चावल का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस दौरान राजधानी तमाम नदी घाटों पर छठव्रतियों की भीड़ दिखी.

छठव्रती


दूसरे दिन खरना
नहाय-खाय के बाद इस 4 दिवसीय पर्व के दूसरे दिन व्रती दिन भर निराहार रहने के बाद शाम को खीर और रोटी का भोग लगाएंगे. उसके बाद खरना का अनुष्ठान करेंगे. खरना के साथ ही 36 घंटे का निराहार शुरू हो जाएगा.


तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य
वहीं, महापर्व के तीसरे दिन यानी गुरुवार को व्रती निर्जला रहते हुए शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे.


महापर्व का समापन
शुक्रवार को पर्व के चौथे दिन व्रती उदीयमान सूर्य यानी उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे. इसके साथ ही छठ व्रत का समापन हो जाएगा.


छठ बेहद कठिन पर्व
छठ पर्व के बारे में कहा जाता है कि यह बेहद मुश्किल भरा होता है. क्योंकि छठ व्रत करने वालों को कई कड़े नियमों से गुजरना पड़ता है. साफ-सफाई के अलावा घर में बिना लहसून-प्याज के भोजन बनाने होते हैं.

चैती छठ का महत्व
सूर्य की उपासना का पर्व छठ हिन्दू नववर्ष के पहले माह चैत्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. इस पर्व में व्रती सूर्य भगवान की पूजा कर उनसे आरोग्यता, संतान और मनोकामनाओं की पूर्ति का आर्शीवाद मांगते हैं.

Intro:स्टोरी:-छठपूजा का आगाज।
रिपोर्ट:-पटना सिटी से अरुण कुमार।
दिनांक:-09-04-019.
एंकर:-पटनासिटी, लोकआस्था का महापर्व छठपूजा की शुरुआत आज पहला दिन नहाय-खाय से शुरू हो गया है।चार दिनों तक चलने बाला यह महापर्व के पहले दिन ही छठव्रती गंगा में स्नान कर भगवान सूर्य को गंगा जल से अर्ग देकर गंगा जल से प्रसाद बना कर छठवर्त की शुरुआत किया।सभी छठव्रती भगवान भाष्कर का पारंपरिक गीत गाकर पूजा अर्चना किया।
बाईट(निशा देवी और आरती देवी,छठव्रती)


Body:छठपूजा का आगाज


Conclusion:छठपूजा का आगाज।
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