बक्सर: रूस और यूक्रेन में युद्ध (Russia Ukraine War) के बीच बिहार सहित देश के हजारों लोग खासकर मेडिकल की पढ़ाई करने गये छात्र और छात्राएं वहां पर फंसे (Bihar students stuck in Ukraine) हुए हैं. ऐसे में युद्व के इस माहौल में एक तरफ वहां ये छात्र और छात्राएं संकट में हैं, वहीं, देश में उनके परिजन चिंतित हैं. बक्सर पहुंचे केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Union ministers Giriraj Singh) ने मीडिया से बात करते हुए इस बारे में कहा कि भारत सरकार पूरी तरह से उन्हें लाने की कोशिश में जुटी हुई है. भारत सरकार कई जहाज भी भेजे, हजारों बच्चे आए भी. हेल्पलाइन नंबप भी हमने जारी किया है. भारत सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन के राजनयिकों से बातचीत की है. उन्हें सुरक्षित लाने की हर कोशिश की जायेगी.
वहीं, केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे (Ashwini Choubey on Bihar students stuck in Ukraine) ने कहा कि भारत सरकार पूरी तरह से मानवीयता का ख्याल रख रही है. भारत सरकार उन तमाम देशों के साथ हैं जिनके साथ यह अत्याचार होगा. जो लोग वहां फंसे हैं, आने वाले दिनों में भारत सरकार जरूर उन्हें निकाल लाएगी. उनके लिए विचार चल रहा है. जो भी घटना घट रही है, हर प्रकार से यह दुर्भाग्यपूर्ण है. हम शांति के अग्रदूत हैं. हम हिंसा पर कभी भी उतारू नहीं होने वाले लोग हैं. दूसरों से भी कहेंगे कि हिंसक प्रवृत्ति त्याग दें.
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उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वहां से निकालने में गंभीरता से लगी है. पोलैंड, हंगरी, रोमानिया सब से बात हो गई है. भारतीयों को सरकार अपने खर्चे पर वतन वापस लाएगी. जो भी छात्र फंसे हैं, उनके गार्जियन परेशान ना हों, सरकार लगातार मॉनिटरिंग कर रही है. गौरतलब है कि जब तनाव बढ़ रहा था, उसी समय 16 फरवरी को ही केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर दी थी.
जो भी छात्र देश और बिहार के यूक्रेन में फंसे हुए हैं, उनके परिवार के लोगों को चिंता नहीं करनी है. पोलैंड, हंगरी, रोमानिया, चेकोस्लोवाकिया के बॉर्डर पर छात्र जाएंगे और वहां से बिना वीजा के छात्रों को भारत लाया जाएगा. छात्रों को सिर्फ अपना पासपोर्ट रखना है. एक भारतीय भी कहीं परेशान होगा तो मोदी सरकार उसकी चिंता करेगी. हमने पहले ही कहा था कि बाहर निकल जाएं. फिर भी जो रह गए हैं, उनको चिंता करने की जरूरत नहीं है.
बता दें कि भारतीय मूल के 20,000 छात्र यूक्रेन में फंसे थे. जिसमें से भारत सरकार ने 4000 छात्रों को यूक्रेन से स्वदेश वापस बुला लिया है. लेकिन 16000 छात्र अभी भी यूक्रेन में फंसे हैं. जिनके परिवार के लोग काफी दहशत में हैं. यूक्रेन में फ्लाइट बंद होने के कारण उन्हें भारत लाने में परेशानी हो रही है. सरकार इसका वैकल्पिक रास्ता खोज रही है. सरकार का दावा है कि जल्द ही फंसे सभी भारतीय छात्रों को वहां से बाहर निकाल लिया जाएगा.
रूस-यूक्रेन की लड़ाई गंभीर हो गई है. रूसी सेना द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले में बहुत से लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति का कहना है कि रूस के हमले में अब तक 137 लोग मारे जा चुके हैं. रूस के हमलों के बीच यूक्रेन में तबाही मची हुई है. ताजा अपडेट के मुताबिक, रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी कीव तक पहुंच गई है. इससे पहले आज कीव पर छह बार मिसाइल अटैक हुआ था.
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गौरतलब है कि बक्सर के भी तीन छात्रों के यूक्रेन में फंसे होने की बात सामने आ रही है. जिनमें दो इटाढ़ी प्रखंड के बताए जा रहे हैं और एक केसठ प्रखंड के हरेंद्र प्रताप द्विवेदी का पुत्र अमितांश कुमार यूक्रेन के यूआनो में मेडिकल की पढ़ाई पढ़ने गया था. एक छात्रा यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है. इटाढ़ी प्रखंड के भरकिया निवासी कमलेश कुमार सिंह की पुत्री सुप्रिया वर्ष 2017 अक्टूबर माह में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गई थी. वह यूक्रेन के चेरनिवेट्सी शहर के बुकोविनियां स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी 5 साल 6 महीने का कोर्स करने के लिए गई थी, जिसमें से उन्होंने 10 सेमेस्टर की पढ़ाई कर भी ली है.
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