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Buxar Government Schools से काटे गए 37 हजार से ज्यादा बच्चों के नाम, इस तरीके से दोबारा मिलेगा एडमिशन - अपर मुख्य सचिव केके पाठक

बक्सर के सरकारी स्कूलों के हजारों बच्चों का भविष्य इन दिनों अधर में लटका है. दरअसल यहां के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 37 हजार 532 छात्र-छात्राओं का नाम (Children Name Removed From Schools In Buxar) विद्यालय से अनुपस्थित रहने के कारण काट दिया गया है. ये पूरी कार्रवाई शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश पर हुई है. पढ़ें पूरी खबर..

Buxar  government schools
Buxar government schools
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 28, 2023, 2:05 PM IST

Updated : Oct 28, 2023, 2:29 PM IST

बक्सर के सरकारी स्कूलों के हजारों बच्चों का भविष्य अधर में लटका

बक्सरः सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्णय से हड़कंप मचा हुआ है. सरकारी विद्यालयों में नामांकन करा कर गायब रहने वाले 20 लाख 87 हजार 63 छात्र-छात्राओं का नामांकन रद्द कर दिया गया है. इसमें बक्सर जिले के बच्चे भी शामिल हैं, जिनकी कुल संख्या 37 हजार 532 है. इनमें से किसी को अगले साल मैट्रिक की परीक्षा देनी थी, तो किसी को इस साल रजिस्ट्रेशन कराना था. अब ऐसे छात्र और उनके परिजन स्कूल से लेकर अधिकारियों के कार्यालय तक का चक्कर काट रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः Theft In Buxar: बक्सर में चोरों का आतंक, ताला तोड़कर सरकारी स्कूलों में कर रहे लाखों की चोरी

37 हजार 532 बच्चों का नामंकन रद्दः बक्सर जिले में 37 हजार 532 छात्र-छात्राओं का नामंकन रद्द होने की जानकारी देते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी ने बताया कि "शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए इतना बड़ा कदम उठाया गया है. निरंतर शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर सरकारी विद्यालयों में संसाधनों को बढ़ाया जा रहा है, जिसका व्यापक असर आने वाले समय में दिखेगा. हमारे बच्चे जब गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त कर स्कूल से निकलेंगे तो देश की उन्नति में और भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.''

जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी
जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी
क्या कहते है स्कूल के प्रधानाध्यापकः जिले के सबसे प्रतिष्ठित बक्सर उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक विजय कुमार मिश्रा ने बताया कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के साहसिक निर्णय के बाद शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, कल तक जो शिक्षक और छात्र विद्यालय से गायब रहते थे, आज उनके विचार एवं व्यवहार में भी बड़ा परिवर्तन आ गया है. जिस उद्देश्य को लेकर सरकार ने केके पाठक को इस विभाग की कमान सौपा थी उसका 70 प्रतिशत लक्ष्य मात्र 3 महीने में ही पूरा हो गया है.

"शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी क्रांति आई है. बच्चों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखा जा रहा है, वह अब अपने शिक्षकों का सम्मान करने लगे हैं. नियमित रूप से समय से पहले विद्यालय पहुंच जा रहे हैं. हमारे विद्यालय से 47 बच्चों का नामांकन रद्द हुआ है, लेकिन इसके बदले सैकड़ों बच्चे जो स्कूल नहीं आते थे, वह स्कूल आने लगे हैं. अगर छोटी कार्रवाई से बड़ा सकारत्मक परिणाम सामने आता है तो इसे बड़ी उपलब्धि के रूप में देखना चाहिए" -विजय कुमार मिश्रा, प्रधानाध्यापक

प्रधानाध्यापक विजय कुमार मिश्रा
प्रधानाध्यापक विजय कुमार मिश्रा

कांग्रेस विधायक ने बताया तुगलकी फरमानः वहीं सरकार के इस निर्णय को राजपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने इसे तुगलकी फरमान बताया है. उन्होंने कहा कि पहले विद्यालयों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने पर ध्यान देना चाहिए, उसके बाद बच्चों की उपस्थिति को लेकर निर्णय लेना चाहिए. हम शिक्षा विभाग के मंत्री प्रो. चंद्रशेखर और अपनी सरकार से मांग करते हैं कि वह इस नीतियों में बदलाव करें.


इस तरीके से दोबारा मिलेगा एडमिशन : बता दें कि शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. जिन बच्चों का नामंकन रद्द हुआ है उनमें वैसे परिवार के बच्चे भी शामिल हैं, जिनके अभिभावक मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं. अब ऐसे अभिभावक के सामने अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता है. हालांकि नाम काटे गए बच्चों के लिए यह प्रावधान भी है कि अभिभावक स्कूल में जाकर अगर शपथ पत्र देते हैं कि आगे से उनका बच्चा विद्यालय से अनुपस्थित नहीं रहेगा तो उनका दोबारा नामांकन भी हो रहा है.

बक्सर के सरकारी स्कूलों के हजारों बच्चों का भविष्य अधर में लटका

बक्सरः सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्णय से हड़कंप मचा हुआ है. सरकारी विद्यालयों में नामांकन करा कर गायब रहने वाले 20 लाख 87 हजार 63 छात्र-छात्राओं का नामांकन रद्द कर दिया गया है. इसमें बक्सर जिले के बच्चे भी शामिल हैं, जिनकी कुल संख्या 37 हजार 532 है. इनमें से किसी को अगले साल मैट्रिक की परीक्षा देनी थी, तो किसी को इस साल रजिस्ट्रेशन कराना था. अब ऐसे छात्र और उनके परिजन स्कूल से लेकर अधिकारियों के कार्यालय तक का चक्कर काट रहे हैं.

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37 हजार 532 बच्चों का नामंकन रद्दः बक्सर जिले में 37 हजार 532 छात्र-छात्राओं का नामंकन रद्द होने की जानकारी देते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी ने बताया कि "शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए इतना बड़ा कदम उठाया गया है. निरंतर शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर सरकारी विद्यालयों में संसाधनों को बढ़ाया जा रहा है, जिसका व्यापक असर आने वाले समय में दिखेगा. हमारे बच्चे जब गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त कर स्कूल से निकलेंगे तो देश की उन्नति में और भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.''

जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी
जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी
क्या कहते है स्कूल के प्रधानाध्यापकः जिले के सबसे प्रतिष्ठित बक्सर उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक विजय कुमार मिश्रा ने बताया कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के साहसिक निर्णय के बाद शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, कल तक जो शिक्षक और छात्र विद्यालय से गायब रहते थे, आज उनके विचार एवं व्यवहार में भी बड़ा परिवर्तन आ गया है. जिस उद्देश्य को लेकर सरकार ने केके पाठक को इस विभाग की कमान सौपा थी उसका 70 प्रतिशत लक्ष्य मात्र 3 महीने में ही पूरा हो गया है.

"शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी क्रांति आई है. बच्चों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखा जा रहा है, वह अब अपने शिक्षकों का सम्मान करने लगे हैं. नियमित रूप से समय से पहले विद्यालय पहुंच जा रहे हैं. हमारे विद्यालय से 47 बच्चों का नामांकन रद्द हुआ है, लेकिन इसके बदले सैकड़ों बच्चे जो स्कूल नहीं आते थे, वह स्कूल आने लगे हैं. अगर छोटी कार्रवाई से बड़ा सकारत्मक परिणाम सामने आता है तो इसे बड़ी उपलब्धि के रूप में देखना चाहिए" -विजय कुमार मिश्रा, प्रधानाध्यापक

प्रधानाध्यापक विजय कुमार मिश्रा
प्रधानाध्यापक विजय कुमार मिश्रा

कांग्रेस विधायक ने बताया तुगलकी फरमानः वहीं सरकार के इस निर्णय को राजपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने इसे तुगलकी फरमान बताया है. उन्होंने कहा कि पहले विद्यालयों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने पर ध्यान देना चाहिए, उसके बाद बच्चों की उपस्थिति को लेकर निर्णय लेना चाहिए. हम शिक्षा विभाग के मंत्री प्रो. चंद्रशेखर और अपनी सरकार से मांग करते हैं कि वह इस नीतियों में बदलाव करें.


इस तरीके से दोबारा मिलेगा एडमिशन : बता दें कि शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. जिन बच्चों का नामंकन रद्द हुआ है उनमें वैसे परिवार के बच्चे भी शामिल हैं, जिनके अभिभावक मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं. अब ऐसे अभिभावक के सामने अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता है. हालांकि नाम काटे गए बच्चों के लिए यह प्रावधान भी है कि अभिभावक स्कूल में जाकर अगर शपथ पत्र देते हैं कि आगे से उनका बच्चा विद्यालय से अनुपस्थित नहीं रहेगा तो उनका दोबारा नामांकन भी हो रहा है.

Last Updated : Oct 28, 2023, 2:29 PM IST
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