बक्सरः आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की आहट होते ही सभी राजनीतिक पार्टी के नेताओं की उपस्थिति जिले में होने लगी है. 5 वर्षों तक चुनाव जीतने के बाद भी क्षेत्र में नहीं पहुंचने वाले जनप्रतिनिधि अब जिले में पहुंचने लगे हैं. विकास को लेकर कई दावे किए जाते हैं. लेकिन इनके दावे कितने सत्य होते है वो तो यहां की सड़के और ग्रामीण बताते हैं. बरसात होते ही प्रखंड मुख्यालय से लोगों का संपर्क टूट जाता है. जिससे ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
क्या है? परिवहन मंत्री के विधानसभा क्षेत्र की सचाई
जिले के राजपुर विधानसभा क्षेत्र से राज्य सरकार के परिवहन मंत्री संतोष निराला पहली बार वर्ष 2010 में विधायक बने. यह विधानसभा क्षेत्र आरक्षित है. अनुसूचित जाति जनजाति बहुल इलाका होने के कारण संतोष निराला आसानी से चुनाव जीत गए. लेकिन चुनाव जीतने के बाद 5 वर्षों में विकास के नाम पर ना तो जनता के लिए कोई बड़ा काम किये और ना ही लोगों को मूलभूत सुविधा मिल पाई.
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन से टिकट मिलने के बाद, एक बार फिर 85 हाजर वोट से जीते और एनडीए के प्रत्याशी विश्वनाथ राम को 33 हजार वोट से पराजित कर राज्य सरकार में परिवहन मंत्री बन गए. लेकिन जिस जनता के बदौलत 10 वर्षों से सत्ता का सुख पा रहे हैं. चुनाव जीतने के बाद उन क्षेत्रों में एक बार भी नहीं गए, आज भी लोग मंत्री जी के आने का इंतजार कर रहे हैं.
समस्याओं का अंबार
राजपुर प्रखंड के रसेन पंचायत अंतर्गत आधा दर्जन गांव, बिशनपुरा, श्यामपुर, खेमपुर, मौहरिया, बालीपुर, छतौना, समेत कई ऐसे गांव हैं, जहां बरसात होने के बाद प्रखंड मुख्यालय से इन गांवों का संपर्क टूट जाता है, क्योंकि इन गांवों में आने जाने के लिए एकमात्र कच्ची सड़क है. यह गांव किसान बहुल इलाका है और आवागमन का साधन नहीं होने के कारण किसानों को अपना उपज भी औने-पौने दाम में बेचना पड़ता है.
क्या कहते है ग्रामणी
गांव में प्रवेश करते ही ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव के दौरान मंत्री जी ने यह वादा किया था कि, 3 महीने के अंदर सड़कों का पक्कीकरण कर उनके समस्याओं का निदान किया जाएगा. लेकिन 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी ना तो समस्या दूर हुई और ना ही मंत्री जी ने कभी दर्शन दिए. बीमार पड़ने के बाद आज भी मरीज को खाट पर उठाकर ले जाना पड़ता है और बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. दूसरे गांव के लोग हमारे बेटा-बेटियों से शादी विवाह नहीं कर रहे हैं.
गांव से लोग कर रहे है पलायन
आजादी के 74 साल बाद भी समस्याओं का निदान नहीं होता देख धीरे-धीरे लोग पलायन करने लगे है. जिसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, वह भी अपने घर बार को बेचकर गांव छोड़कर जा रहे हैं और अपने भाग्य को कोष रहे है.
वोट देना है मजबूरी
ग्रामीणों ने बताया कि लोकतंत्र में मतदान करना मजबूरी है. आरक्षित सीट हो जाने के बाद से जो भी प्रत्यासी यहां से चुनाव जीतते है. उनका इन गांव पर ध्यान इसलिए नहीं रहता है क्योंकि इन गांव में जनरल जाति की संख्या अधिक है और जनप्रतिनिधि यह बात जानते है की कोई जनरल प्रत्याशी यहां से चुनाव नहीं लड़ सकता. इसलिए सभी गांव के लोग मतदान तो करेंगे ही.
क्या कहते है मन्त्री
ग्रामीणों की समस्या को लेकर जब हमारे संवाददाता ने राज्य सरकार के परिवहन मंत्री से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि विकास के कई काम हुए है. कुछ क्षेत्र में सड़क का पक्की करण कराने का रह गया है. वह भी शीघ्र पूरा हो जाएगा सभी रोड पास हो गए है.
गौरतलब है कि बिहार के मुखिया नीतीश कुमार प्रत्येक सरकारी कार्यक्रम में यह दावा करते हैं कि आज बिहार में सड़कों के हालात ऐसी है कि बिहार के किसी भी कोने से 5 घंटे में लोग राजधानी पटना पहुंच सकते हैं. लेकिन आज भी इस जिले में कई ऐसे इलाके है. जहां से बक्सर पहुंचने में 5 घंटे से अधिक का समय लग जाता है. ऐसे में सरकार का दावा कितना सच है. इसका अंदाजा आप भी लगा सकते हैं.