बक्सर: विश्वामित्र की पावन भूमि बक्सर के चरित्र वन में मुक्ति धाम के नाम से प्रसिद्ध श्मशान घाट का हाल बदहाल है. इस श्मशान घाट पर बिहार, उतर प्रदेश, झारखण्ड के कई इलाकों से लोग अपने परिजनों के शव लेकर दाह संस्कार कराने आते हैं. फिर भी इतने महत्वपूर्ण जगह पर सरकार का कोई ध्यान नहीं हैं.
न पीने का पानी है न शौचालय
गौरतलब है कि बनारस के बाद सबसे अधिक बक्सर के श्मशान घाट पर लोग शव लेकर आते हैं. उसके बाद भी इस श्मशान घाट पर बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. श्मशान घाट पर अपने मृतकों के शव लेकर पहुंचे लोगों ने बताया कि न तो यहां बैठने की जगह है, न पीने का पानी है और न हीं शौचालय है. वहीं रात होते ही यहां अंधेरा सन्नाटा पसर जाता है. सरकार इस श्मशान घाट पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है.
श्मशान घाट की हालत बदहाल
शव को लेकर आए लोगों को यहां आने के बाद से हीं कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. बाढ़ की वजह से लोग काफी परेशान रहते हैं. घाट तक पानी लग जाने के कारण दाह- संस्कार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहां बने मकान की हालत इतनी जर्जर है कि बारिश के समय जब लोग छत के नीचे आ जाते हैं. वहीं, कई बार मकान से पत्थर नीचे गिर जाता है. कई बार लोगों का सिर भी फूट चुका है. वहीं 6 शौचालय बने रहने के बावजूद किसी में सुविधा नहीं है.
क्या कहते हैं विधायक?
इस समस्या को लेकर जब स्थानीय सदर विधायक मुन्ना तिवारी उर्फ संजय तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने इस श्मशान घाट की बदहाली का जिम्मेवार राज्य सरकार और केंद्र सरकार को बताया. उन्होंने कहा कि बक्सर का यह दुर्भाग्य है कि बक्सर जैसे अहम जगह जो भगवान श्रीराम का शिक्षास्थल रह चुका है, वह स्थल इसके बाद भी उपेक्षित है. सैकड़ों बार इस समस्या को विधानसभा में उठाया गया है, लेकिन इसे गंभीरता से लिया हीं नहीं जाता.
उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को दोषी बताते हुए कहा कि वे कई बार माननीय मुख्यमंत्री से बक्सर को पर्यटन का दर्जा दिलाने की गुहार लगा चुके हैं.