बक्सर: साल 2014 में बतौर प्रधानमंत्री कैंडिडेट नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में गंगा की सफाई का जिक्र किया था. तब उन्होंने सांसद प्रत्याशी के रूप में गंगा को नमन करते हुए कहा था कि न मैं यहां खुद आया हूं, न किसी ने मुझे लाया है. मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है. पीएम मोदी ने सत्ता में आने के बाद शुरुआती साल में गंगा की सफाई को लेकर गंभीरता भी दिखाई. इसके लिए गंगा संरक्षण मंत्रालय बनाया गया और इसकी जिम्मेदारी साध्वी उमा भारती को सौंपी गई.
6 साल बाद भी नहीं बदली तस्वीर
सरकार ने 5 साल के लिए एकमुश्त 20 अरब 37 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ समन्वित गंगा संरक्षण मिशन नमामि गंगे शुरू करने की बात कही. लेकिन सरकार के तमाम प्रयासों के बाद अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी 6 वर्षों में गंगा की तस्वीर नहीं बदली जा सकी है. बक्सर के रामरेखा घाट पर फैली गंदगी को लेकर गंगा आरती के पुजारी लाला बाबा ने कहा कि गंगा की जो हालत आज से 10 साल पहले थी, आज उससे बेहतर होने के बदले और बदतर हो गई.
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'लूट-खसोट की योजना'
प्रधानमंत्री की सबसे महत्वाकांक्षी योजना धरातल पर नहीं उतरता देख अब सत्ताधारी दल ने भी इस योजना पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है. लोजपा जिला अध्यक्ष अखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी यह योजना अब तक जमीन पर नहीं उतर पाई है. इसके बारे में नमामि गंगे की टीम को सोचना चाहिए.
इस योजना को लेकर बक्सर के कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने कहा कि भारत सरकार ने अरबों खरबों रुपये पानी की तरह बहा दिया. उसके बाद भी गंगा निर्मल नहीं हो पाई. उन्होंने कहा कि नमामि गंगे योजना लूट-खसोट की योजना है. जो कभी धरातल पर नहीं उतर पाएगी.