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जेल में बंद अनपढ़ कैदी हो रहे साक्षर, मास कम्युनिकेशन से लेकर न्यूट्रिशन तक की कर रहे पढ़ाई

जेल का नाम सुनते ही सभी के जेहन में सबसे पहले दुर्दांत अपराधियों की तस्वीर सामने आती है, लेकिन बिहार के बक्सर केंद्रीय कारा (prisoners studying in buxar central jail) में विचाराधीन कैदी अपराध से दूर अपने भविष्य को संवारने में लगे हैं और इसमें उन्हें जेल प्रशासन का पूरा सहयोग मिल रहा है. पढ़ें पूरी खबर..

prisoners studying in buxar central jail
prisoners studying in buxar central jail
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Published : Jan 12, 2022, 7:14 PM IST

बक्सर: साक्षरता मिशन ( bihar saksharta mission) के तहत बक्सर केंद्रीय कारा में बंद करीब 1729 निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने की पहल जेल प्रशासन की ओर से की गई है. कैदी भी बड़ी लगन से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं और मेहनत कर भविष्य को संवारने में लगे हैं. इन कैदियों को अक्षर का ज्ञान इन्हीं के बीच के साक्षर कैदी दे रहे हैं.

यह भी पढ़ें- हथियार उठाने वाले हाथ अब चला रहे गांधी जी का चरखा, पूर्णिया सेंट्रल जेल के कैदी ले रहे हैंडलूम का प्रशिक्षण

जेल में कैद दर्जनों कैदी मास कम्युनिकेशन (Prisoners doing mass communication In buxar ) और न्यूट्रिशन की पढ़ाई कर रहे हैं. कैदियों ने जहां अपनी पढ़ाई छोड़ी थी, अब वहीं से शुरू कर आगे बढ़ रहे हैं. केंद्रीय कारा में ऐसे सैकड़ों कैदी हैं, जिनके सपनों को एक नई उड़ान देने में जेल प्रशासन के अधिकारी जी जान से लगे हुए हैं. इस केंद्रीय कारा में बंद सजावार 125 कैदी, जबकि विचाराधीन 202 कैदी निरक्षर हैं. इन सभी को साक्षर बनाने के लिए सभी तरह का प्रयास जेल प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है.

कैदी हो रहे साक्षर

ये भी पढ़ें : जेल प्रशासन को सता रहा है कैदियों में कोरोना संक्रमण का भय, ऑनलाइन हाजिरी का किया आग्रह

अगर किसी कैदी ने आठवीं तक की पढ़ाई की है तो जेल में उसे नौवीं कक्षा की पढ़ाई कराई जा रही है. अगर कोई कैदी मैट्रिक पास है तो, अब वह इंटर की तैयारी कर रहा है. क्लास दसवीं से नीचे सजावार 198 कैदी, जबकि विचाराधीन 364 ऐसे कैदी हैं, जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. यानी की कोई कैदी सातवीं की पढ़ाई कर रहा है तो कोई नौवीं की.

वहीं मैट्रिक एवं इण्टर में सजावार 231 जबकि विचाराधीन 347 ऐसे कैदी हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने में लगे हुए हैं. स्नातक में सजावार 69 जबकि विचाराधीन 143 कैदी नामांकन कराकर पढ़ाई कर रहे हैं. उधर पोस्ट ग्रेजुएट में नामांकन कराकर पढ़ाई करने वाले केंद्रीय कारा में सजावार कैदी की संख्या 7 है, जबकि विचाराधीन 21 कैदी हैं. डिप्लोमा की पढ़ाई करने वाले सज़ावार 7 एवं विचाराधीन 15 ऐसे कैदी हैं, जो जेल प्रशासन के अधिकारियो के सहयोग से इग्नू और एनओयू जैसे संस्थानों में नामांकन कराकर अपने सपनों को उड़ान देने में लगे हुए हैं.

कैदियों के सहयोग करने में जुटे बक्सर केंद्रीय कारा के अधीक्षक राजीव कुमार (Buxar Central Jail Superintendent Rajeev Kumar) ने बताया कि, जेल को अब सुधार गृह में तब्दील कर दिया गया है. जहां आने वाले कैदी सजा पूरी करने के बाद सामान्य जिंदगी जी सके. उसके लिए स्वरोजगार के प्रशिक्षण के साथ ही साथ शैक्षणिक योग्यता को बढ़ाने के लिए दूरस्थ शैक्षिणक संस्थानों में उनका नामांकन भी कराया जा रहा है. इस जेल में बंद कई ऐसे कैदी हैं, जो पत्रकारिता का कोर्स कर अपनी जिंदगी को एक नयी मुकाम देने में लगे हुए है.

गौरतलब है कि केंद्रीय कारा प्रशासन के द्वारा कैदियों के मन के अंदर बदलाव लाने के साथ ही उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रयास किया जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि सजा काटकर जब ये कैदी बाहर निकलेंगे तो सम्मान की जिंदगी जी सकेंगे. शिक्षा के अभाव में व्यक्ति अपराध करता है. जेल प्रशासन की कोशिश है कि, साक्षरता से कैदियों की सोच बदल सके. उनके विचारों में परिवर्तन आने से ही उनके जीवन में परिवर्तन आएगा और बंदी अपने जीवन यापन के लिए कोई भी रोजगार कर सकते हैं.

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बक्सर: साक्षरता मिशन ( bihar saksharta mission) के तहत बक्सर केंद्रीय कारा में बंद करीब 1729 निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने की पहल जेल प्रशासन की ओर से की गई है. कैदी भी बड़ी लगन से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं और मेहनत कर भविष्य को संवारने में लगे हैं. इन कैदियों को अक्षर का ज्ञान इन्हीं के बीच के साक्षर कैदी दे रहे हैं.

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जेल में कैद दर्जनों कैदी मास कम्युनिकेशन (Prisoners doing mass communication In buxar ) और न्यूट्रिशन की पढ़ाई कर रहे हैं. कैदियों ने जहां अपनी पढ़ाई छोड़ी थी, अब वहीं से शुरू कर आगे बढ़ रहे हैं. केंद्रीय कारा में ऐसे सैकड़ों कैदी हैं, जिनके सपनों को एक नई उड़ान देने में जेल प्रशासन के अधिकारी जी जान से लगे हुए हैं. इस केंद्रीय कारा में बंद सजावार 125 कैदी, जबकि विचाराधीन 202 कैदी निरक्षर हैं. इन सभी को साक्षर बनाने के लिए सभी तरह का प्रयास जेल प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है.

कैदी हो रहे साक्षर

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अगर किसी कैदी ने आठवीं तक की पढ़ाई की है तो जेल में उसे नौवीं कक्षा की पढ़ाई कराई जा रही है. अगर कोई कैदी मैट्रिक पास है तो, अब वह इंटर की तैयारी कर रहा है. क्लास दसवीं से नीचे सजावार 198 कैदी, जबकि विचाराधीन 364 ऐसे कैदी हैं, जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. यानी की कोई कैदी सातवीं की पढ़ाई कर रहा है तो कोई नौवीं की.

वहीं मैट्रिक एवं इण्टर में सजावार 231 जबकि विचाराधीन 347 ऐसे कैदी हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने में लगे हुए हैं. स्नातक में सजावार 69 जबकि विचाराधीन 143 कैदी नामांकन कराकर पढ़ाई कर रहे हैं. उधर पोस्ट ग्रेजुएट में नामांकन कराकर पढ़ाई करने वाले केंद्रीय कारा में सजावार कैदी की संख्या 7 है, जबकि विचाराधीन 21 कैदी हैं. डिप्लोमा की पढ़ाई करने वाले सज़ावार 7 एवं विचाराधीन 15 ऐसे कैदी हैं, जो जेल प्रशासन के अधिकारियो के सहयोग से इग्नू और एनओयू जैसे संस्थानों में नामांकन कराकर अपने सपनों को उड़ान देने में लगे हुए हैं.

कैदियों के सहयोग करने में जुटे बक्सर केंद्रीय कारा के अधीक्षक राजीव कुमार (Buxar Central Jail Superintendent Rajeev Kumar) ने बताया कि, जेल को अब सुधार गृह में तब्दील कर दिया गया है. जहां आने वाले कैदी सजा पूरी करने के बाद सामान्य जिंदगी जी सके. उसके लिए स्वरोजगार के प्रशिक्षण के साथ ही साथ शैक्षणिक योग्यता को बढ़ाने के लिए दूरस्थ शैक्षिणक संस्थानों में उनका नामांकन भी कराया जा रहा है. इस जेल में बंद कई ऐसे कैदी हैं, जो पत्रकारिता का कोर्स कर अपनी जिंदगी को एक नयी मुकाम देने में लगे हुए है.

गौरतलब है कि केंद्रीय कारा प्रशासन के द्वारा कैदियों के मन के अंदर बदलाव लाने के साथ ही उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रयास किया जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि सजा काटकर जब ये कैदी बाहर निकलेंगे तो सम्मान की जिंदगी जी सकेंगे. शिक्षा के अभाव में व्यक्ति अपराध करता है. जेल प्रशासन की कोशिश है कि, साक्षरता से कैदियों की सोच बदल सके. उनके विचारों में परिवर्तन आने से ही उनके जीवन में परिवर्तन आएगा और बंदी अपने जीवन यापन के लिए कोई भी रोजगार कर सकते हैं.

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