बक्सर: जिले में शीतलहर का प्रकोप शुरू हो चुका है. तापमान में गिरावट के साथ-साथ पछुआ हवाओं से लोगों की मुसीबतें बढ़ गयी हैं. जिले में अधिकतम तापमान 16 डिग्री और न्यूनतम तापमान 7 डिग्री दर्ज किया गया है. ऐसे में सभी को सावधानी और सर्तकता के साथ रहना जरुरी है.
ठंड में नवजात का रखें विशेष ख्याल
सर्दियों में सबसे अधिक परेशानी शिशुओं और बच्चों के लालन-पालन में होती है. ठंड के मौसम में जन्म लेने वाले बच्चों के लिए खास एहतियात बरतनी चाहिए क्योंकि नवजातों की प्रतिरोधक क्षमता कम रहती है. ऐसे में थोड़ी सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है. ठंड के समय बच्चों के शरीर के तापमान को स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर बेहद कारगर साबित होता है. वहीं, बच्चों को सुबह और शाम के दौरान घर से बाहर ले जाने से बचना चाहिए. जिससे उन्हें ठंड से बचाया जा सके.
क्या है कंगारू मदर केयर?
कंगारू मदर केयर में नवजात को शरीर से लगाकर उसे गर्मी दी जाती है, जिससे उसे ठंड से बचाते हुए सामान्य तापमान मिल सके. यह निमोनिया से बचाने में भी कारगर होता है. जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, गांव व वार्ड में बेबी वार्मर उपलब्ध नहीं है, वहां पर इसकी उपयोगिता अधिक हो जाती है. माता-पिता के अलावा परिवार के अन्य सदस्य भी कंगारू मदर केयर से नवजात की देखरेख कर सकते हैं.
सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव ने बताया कि ठंड के दौरान जन्म ले रहे शिशुओं को खास ख्याल रखने की आवश्यकता है. इस कोरोना महामारी के दौरान शिशुओं के संक्रमित होने की संभावना रहती है. शिशु को जन्म के पश्चात मां से मिलने वाला पहला आहार, मां का पहला गाढ़ा दूध है, जिसमें कई प्रकार के आवश्यक खनिज एवं पोषक तत्व भरपूर मात्रा में रहते हैं जो शिशु की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ उनके मानसिक और शारीरिक विकास में भी मदद करता है. अपनी पोषण क्षमताओं के कारण ही यह पहला गाढ़ा दूध पीला या नारंगी रंग का होता है. जिसे नवजात का पहला टीका भी कहा जाता है, जो नवजातों को भविष्य में होने वाली कई बीमारियों से बचाता है. यह गाढ़ा दूध नवजात को कई प्रकार के रोगों से भी बचाव करता है. - डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव, सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ
छः महीने तक अवश्य करायें स्तनपान
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया नवजातों शिशुओं व छह माह तक के बच्चों के रोग प्रतिरोधक क्षमता में विकास के साथ उनके लिए ठंड से लड़ने में भी सहायक होता है. शिशुओं को लगातार छः महीने तक उनकी मां का दूध अवश्य मिलना चाहिए. नवजात के शरीर में हो रहे सभी प्रकार के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है कि उन्हें मां का दूध मिलता रहे. इस समय नवजात केवल अपनी मां के दूध पर ही पूरी तरह निर्भर रहते हैं. इस कोरोना महामारी के दौरान नवजातों की प्रतिरोधक क्षमता बनाये रखने में भी मां के दूध अहम भूमिका निभाता है. गाढ़ा दूध के बाद भी मां से मिलने वाला दूध नवजात के पोषण की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम रहता है. ऐसे में आवश्यक है कि कोराना महामारी के दौरान यदि बिना किसी बाहरी स्पर्श के मां का दूध नवजातों को मिलता है तो उनके संक्रमित होने की संभावना कम हो जाती है. साथ ही उनका पोषण भी संतुलित रहता है.
कोविड- 19 के नियमों का पालन अनिवार्य
नवजात सहित मां को बाहरी लोगों से दो गज की शारीरिक दूरी बनाए रखना चाहिए.
किसी भी प्रकार से संक्रमित व्यक्ति के आस-पास न जायें.
हाथों की सफाई साबुन या सैनिटाइजर से नियमित समय के अंतर से करते रहें.
अपने आस-पास बिना मास्क पहने किसी को आने न दें और स्वयं भी मास्क का उपयोग करें.