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Buxar News: 23 लाख से ज्यादा आबादी.. सिर्फ 112 डॉक्टर की तैनाती.. उसमें से 26 लापता.. ये बक्सर सदर अस्पताल का हाल

बिहार के बक्सर में बदहाल सरकारी चिकित्सालय (Poor Condition of Government hospital in Buxar) से परेशान मरीजों ने जमकर बवाल काटा. अस्पताल के 26 डॉक्टर पिछले कई सालों से बिना सूचना के ही लापता चल रहे हैं. सिविल सर्जन ने कहा कि सरकार को कई बार पत्र लिखने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

बक्सर में सदर अस्पताल
बक्सर में सदर अस्पताल
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Published : Feb 27, 2023, 6:19 PM IST

बक्सर के सरकारी अस्पताल में स्वास्थय व्यवस्था

बक्सर: बिहार के बक्सर में सदर अस्पताल (Buxar Sadar Hospital) का हाल बेहाल है, आलम यह है कि सरकारी अस्पताल में आने वाले दूरदराज के मरीजों के साथ चिकित्सक गाली गलौज करते हैं. जिससे वह बेबस होकर बिना इलाज कराए घर चले जाते हैं. महागठबंधन की सरकार में उपमुख्यमंत्री के साथ ही स्वास्थ्यमंत्री बने तेजस्वी यादव से लोगों को उम्मीद थी कि अस्पतालों की हालात में सुधार होगा, मरीजों को बेहतर सुविधा मिलेगा लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. मिशन 60 के तहत प्रदेश के सभी अस्पतालों के इमारतों पर रंग-बिरंगे पेंट कराए गए, डॉक्टर के चेम्बर में ऐसी से लेकर फर्नीचर तक बदला गया लेकिन डॉक्टर चेम्बर से नदारत नजर आ रहे हैं.

पढ़ें-Bihar News: सहरसा सदर अस्पताल में तीन दिनों से पड़ा है शव, न परिजन आए.. न पुलिस वाले


क्या कहते हैं मरीज: जिले के सदर अस्पताल में दूरदराज के इलाकों से चलकर इलाज कराने पहुंचे मरीजों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को जमकर कोसते हुए कहा कि सरकार के स्वास्थ्यमंत्री बदले, बिहार में गठबंधन बदला, लेकिन अस्पतालों की हालात नहीं बदली है. डिस्प्ले पर सरकारी अस्पताल में 95 तरह की दवा उलब्ध होने का आंकड़ा प्रकाशित किया गया है लेकिन इस अस्पताल के डॉक्टर खांसी सर्दी की दवा भी बाहर से लेने के लिए लिखते हैं.

''सभी प्रकार के जांच के लिए बाहर भेजते हैं. हाथ पैर का हड्डी टूट जाये तो प्लास्टर करने के लिए सभी सामान बाहर से ही लाते हैं. फिर ऐसे अस्पतालों को सरकार बन्द क्यों नहीं कर देती है. जहा ना तो डॉक्टर मिलते है और ना ही दवा मिलती है. सभी चेम्बर में डॉक्टर की जगह डॉक्टर की कुर्सी ड्यूटी कर रही है. अधिकांश चेम्बर में ताला बंद है.''-मरीज

क्या कहते हैं सिविल सर्जन: मरीजों की परेशानी को लेकर जब सिविल सर्जन डॉक्टर जितेंद्रनाथ से पूछा गया तो उन्होंने अपना दुखरा सुनाया. डॉक्टरों की कमी की बात कही. उन्होंने कहा कि हमने इस संबंध में कार्रवाई के लिए पत्र भी लिखा पर कुछ लाभ नहीं मिला. आखिर बचे डॉक्टर और मरीज भी क्या करे.

"बक्सर में सिविल सर्जन से लेकर कुल डॉक्टरों की 224 पोस्ट है. जिले में कुल 23 लाख 7 हजार की आबादी पर 112 डॉक्टर तैनात है. इसमें से 26 ऐसे डॉक्टर है जो कई बर्षो से अस्पताल आये ही नहीं और ना ही विभाग को कोई सूचना दी है. हमने कई बार पत्र लिखकर सरकार और वरीय अधिकारियो को इसकी सूचना दी लेकिन कोई करवाई नहीं होंने के कारण अन्य कई डॉक्टर भी लापरवाही बरत रहे हैं. शेष बचे डॉक्टर आने वाले मरीजों का इलाज कर रहे हैं. कोई भी मरीज अपना गुस्सा किसी डॉक्टर पर ऐसे नहीं निकालता है, जब वह मजबूर हो जाता है तभी बदतमीजी करता है. डॉक्टरों को भी यह बात सोचने की जरूरत है."- डॉक्टर जितेंद्र नाथ, सिविल सर्जन

बक्सर के सरकारी अस्पताल में स्वास्थय व्यवस्था

बक्सर: बिहार के बक्सर में सदर अस्पताल (Buxar Sadar Hospital) का हाल बेहाल है, आलम यह है कि सरकारी अस्पताल में आने वाले दूरदराज के मरीजों के साथ चिकित्सक गाली गलौज करते हैं. जिससे वह बेबस होकर बिना इलाज कराए घर चले जाते हैं. महागठबंधन की सरकार में उपमुख्यमंत्री के साथ ही स्वास्थ्यमंत्री बने तेजस्वी यादव से लोगों को उम्मीद थी कि अस्पतालों की हालात में सुधार होगा, मरीजों को बेहतर सुविधा मिलेगा लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. मिशन 60 के तहत प्रदेश के सभी अस्पतालों के इमारतों पर रंग-बिरंगे पेंट कराए गए, डॉक्टर के चेम्बर में ऐसी से लेकर फर्नीचर तक बदला गया लेकिन डॉक्टर चेम्बर से नदारत नजर आ रहे हैं.

पढ़ें-Bihar News: सहरसा सदर अस्पताल में तीन दिनों से पड़ा है शव, न परिजन आए.. न पुलिस वाले


क्या कहते हैं मरीज: जिले के सदर अस्पताल में दूरदराज के इलाकों से चलकर इलाज कराने पहुंचे मरीजों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को जमकर कोसते हुए कहा कि सरकार के स्वास्थ्यमंत्री बदले, बिहार में गठबंधन बदला, लेकिन अस्पतालों की हालात नहीं बदली है. डिस्प्ले पर सरकारी अस्पताल में 95 तरह की दवा उलब्ध होने का आंकड़ा प्रकाशित किया गया है लेकिन इस अस्पताल के डॉक्टर खांसी सर्दी की दवा भी बाहर से लेने के लिए लिखते हैं.

''सभी प्रकार के जांच के लिए बाहर भेजते हैं. हाथ पैर का हड्डी टूट जाये तो प्लास्टर करने के लिए सभी सामान बाहर से ही लाते हैं. फिर ऐसे अस्पतालों को सरकार बन्द क्यों नहीं कर देती है. जहा ना तो डॉक्टर मिलते है और ना ही दवा मिलती है. सभी चेम्बर में डॉक्टर की जगह डॉक्टर की कुर्सी ड्यूटी कर रही है. अधिकांश चेम्बर में ताला बंद है.''-मरीज

क्या कहते हैं सिविल सर्जन: मरीजों की परेशानी को लेकर जब सिविल सर्जन डॉक्टर जितेंद्रनाथ से पूछा गया तो उन्होंने अपना दुखरा सुनाया. डॉक्टरों की कमी की बात कही. उन्होंने कहा कि हमने इस संबंध में कार्रवाई के लिए पत्र भी लिखा पर कुछ लाभ नहीं मिला. आखिर बचे डॉक्टर और मरीज भी क्या करे.

"बक्सर में सिविल सर्जन से लेकर कुल डॉक्टरों की 224 पोस्ट है. जिले में कुल 23 लाख 7 हजार की आबादी पर 112 डॉक्टर तैनात है. इसमें से 26 ऐसे डॉक्टर है जो कई बर्षो से अस्पताल आये ही नहीं और ना ही विभाग को कोई सूचना दी है. हमने कई बार पत्र लिखकर सरकार और वरीय अधिकारियो को इसकी सूचना दी लेकिन कोई करवाई नहीं होंने के कारण अन्य कई डॉक्टर भी लापरवाही बरत रहे हैं. शेष बचे डॉक्टर आने वाले मरीजों का इलाज कर रहे हैं. कोई भी मरीज अपना गुस्सा किसी डॉक्टर पर ऐसे नहीं निकालता है, जब वह मजबूर हो जाता है तभी बदतमीजी करता है. डॉक्टरों को भी यह बात सोचने की जरूरत है."- डॉक्टर जितेंद्र नाथ, सिविल सर्जन

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