बक्सर : बिहार में इस बार मानसून ( Monsoon in Bihar ) पूरी तरह सक्रिय है. जिससे धान के किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. आषाढ़ का महीना शुरू हो चुका है. ऐसे में ज्यादातर किसान धान की रोपनी ( Paddy Farming In Buxar ) शुरू कर देते हैं. इस नक्षत्र में रोपे गये धान की फसल अच्छी होती है. इसी नक्षत्र में खरीफ की और फसलों की भी बुआई होती है. जानकारी के अभाव में बक्सर जिले समेत राज्य के अन्य किसान आर्थिक बदहाली के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने बक्सर स्थित कृषि विज्ञान केंद के वैज्ञानिक ( Agricultural Scientists) डॉ. मांधाता सिंह से विशेष बातचीत की.
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धान का कटोरा से मशहूर
बक्सर के किसानों का मूल आर्थिक स्रोत धान ही है. जानकारी के अभाव में किसान धान की खेती के दौरान जितनी पूंजी निवेश करते हैं, उस अनुपात में पैदवार कम होती है. ऐसे में इन सभी विषयों पर बात करने और किसान भाइयों के समस्या और उसके निराकरण को समझने के लिए ईटीवी भारत से ने कृषि वैज्ञानिक मांधाता सिंह ने पूछा कि आद्रा नक्षत्र के 4 से 5 दिन निकल भी गये है तो ऐसे में किसान क्या करें ?
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
कृषि वैज्ञानिक ने मांधाता सिंह ने बताया कि बक्सर में धान की खेती व्यापक स्तर पर होती है. धान का कटोरा भी इसे कहा जाता है. बक्सर में किसान प्रायः रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा डालना शुरू कर देते हैं. जो किसान भाई रोहिणी नक्षत्र में बिचड़ा डाले होंगे, उनका बिचड़ा रोपनी के लिए तैयार हो गया होगा.
'शुरू में लंबी अवधि की प्रजाति वाले जैसे नाटी मंसूरी, MTU7029 या स्वर्णा धान की रोपनी करनी चाहिए. धान की ये प्रजाति 155 दिन में तैयार होती हैं. इसके बाद कम अवधि वाले प्रजाति की रोपनी करनी चाहिए जैसे सम्भा मंसूरी या BPT52 जैसे किस्मों की रोपाई करनी चाहिए. सबसे अंत में कम अवधि वाले की धान की रोपनी चाहिए.' :- मांधाता सिंह, कृषि वैज्ञानिक
ज्यादा खाद से फसल को नुकसान
कृषि वैज्ञानिक ने मांधाता सिंह ने बताया कि अधिक उत्पादन के लिए किसान भाई रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बहुत ज्यादे करते हैं. अधिक उर्वरक के इस्तेमाल से बचना चाहिए. अधिक इस्तेमाल से पैदावार अधिक नहीं होती है. आपको लगेगा कि फसल बहुत हरा भरा हो गया और पैदावार ज्यादा देगा. ज्यादा उर्वरक देने पीछे भागने की जरूरत नहीं है. जो संतुलित मात्रा हो उसी का प्रयोग करेंगे तो आप का उत्पादन बढ़िया होगा. ज्यादा खाद देने से देखा गया कि बहुत सारी बीमारियां फसल में हो जाती हैं.
'बक्सर में धान का क्षेत्रफल देखा जाए तो 90 हजार से लेकर एक लाख हेक्टयेर के बीच में रहता है. ये निर्भर करता है कि मौसम कैसा रहता है. उम्मीद है कि इस बार मानसून की अच्छी बारिश की वजह से एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा ज्यादा फसल का उत्पादन हो सकता है. बारिश अच्छी हुई है और खेती की मिट्टी पूरी तरह से पानी से तृप्त हो गई है. मिट्टी पूरी तरह तृप्त होने का मतलब यह है कि अब जो भी पानी बरसेगा खेत में रुकेगा.' :- मांधाता सिंह, कृषि वैज्ञानिक
खेत में 20 फीसदी ज्यादा बिचड़ा डाले
कृषि वैज्ञानिक ने मांधाता सिंह ने बताया कि कभी-कभी किसानों का बिचड़ा कम पड़ जाता है. ऐसे में किसान को क्या करना चाहिए? मांधाता सिंह ने कहा कि किसान प्रायः 3 किलो से 4 किलो तक ही बीज डालते हैं तो जब बरसात ज्यादा हुई तो कुछ बिचड़ा खराब हो जाते हैं. इसके लिए आपको जितने खेत लगाना है उससे कुछ ज्यादा मात्रा में बिचड़ा डालना चाहिए. यदि कभी सूखा पड़ जाए तो ज्यादा नुकसान होता है. 20% ज्यादा मात्रा में डालते हैं तो उसकी वजह आपको कहीं भटकना न पड़ेगा.
'बक्सर में धान उत्पादन की दृष्टि से देखा जाए तो ज्यादा मात्रा में दो प्रजातियों का किसान ज्यादा मात्रा में खेती करते हैं. जिसको हम लोग नाटी मंसूरी बोलते हैं और दूसरा होता है कि बीपीटी 5204 लेकिन यह बहुत पुरानी प्रजाति है बहुत सारा रोग भी आते हैं. नाटी मंसूरी में एक बीमारी आती जब बाली निकलती है उसे लेन्धा की बीमारी कहते हैं. सीट प्राइस या गलका कि बीमारी भी आती है. ऐसे में हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि जो नई प्रजातियां आई है, उसको किसान भाई लगाएं. बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने एक नया धान निकाला हुआ है. जिसको सबौर धान हीरा के नाम से है. कृषि विज्ञान केंद्र इस बीज का उत्पादन करेगा और अगले साल तक किसान को मिल जाएगी.' :- मांधाता सिंह, कृषि वैज्ञानिक
स्वर्ण समृद्धि धान का करें प्रयोग
कृषि वैज्ञानिक ने मांधाता सिंह ने बताया कि इसके अलावा जो सूखा वाले क्षेत्र होते हैं. वहां स्वर्ण शक्ति धान का उपयोग किया जा सकता है. जहां पर पानी थोड़ा ज्यादा होता है या पानी लगने की संभावना होती है. वहां स्वर्ण समृद्धि धान का उपयोग लाभदायक होगी. आम तौर पर खाने के लिए जिसकी अधिक मांग होती है. 1692 बासमती का उपयोग भी किसान भाई कर सकते हैं. 1692 बासमती की प्रजाति को आईएआरआई दिल्ली से मंगाया गया है. इसे अगले साल किसानों को उपलब्ध करा दिया जाएगा.
'अगर किसान इन बातों पर ध्यान दें तो जरूर उनकी आमदनी बढ़ सकती है. साथ ही इनके बताए तरीकों को अपनाकर कम लागत में अधिक फायदा किसान बंधु ले सकते हैं.' :- मांधाता सिंह, कृषि वैज्ञानिक
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