बक्सरः जिले में कृषि प्रौधोगिकी विभाग का एक नया खेल उजागर हुआ है. जहां किसानों की पाठशाला लगाए बिना ही योजना की राशि निकाल ली गई. मामला उजागर होते ही विभाग में हड़कंप मच गया. इस मामले में आत्मा के निदेशक देवनंदन शर्मा ने कहा कि अगर बात सही निकली तो राशि की रिकवरी की जाएगी.
अधिकारियों की भेंट चढ़ी योजना
दरअसल, केन्द्र और राज्य सरकार के जरिए किसानों के कल्याण के लिए एक दर्जन से अधिक योजनाएं चलाई जा रहीं हैं. जिनमें वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के गुण बताने के लिए 6 दिनों की किसान पाठशाला लगानी भी शामिल है. लेकिन सरकार की यह योजना जमीन पर उतरने से पहले ही सरकारी तंत्र में बैठे अधिकारियों की भेंट चढ़ जाती है.
नहीं लगी किसानों की पाठशाला
ऐसा ही एक मामला बक्सर जिला के डुमरांव में देखने को मिला. जहां कृषि प्रौधोगिकी प्रबन्ध विभाग के जरिए जिले में किसान पाठशाला का सिर्फ उद्घाटन कर दिया गया. बाकी शेष दिन अधिकारी पाठशाला लगाने गए ही नहीं और राशि की निकासी कर ली गई. मामले का उद्भेदन तब हुआ, जब डुमरांव फार्मर प्रोड्यूशर कंपनी के निदेशक अरविंद तिवारी ने इसका खुलासा किया.
फंड का बड़ा हिस्सा अधिकारियों को
अरविंद तिवारी ने बताया कि इस किसान पाठशाला का आयोजन हमारे कार्यालय में ही होना था. लेकिन एक दिन के बाद न तो अधिकारी आये और न ही कर्मचारी. जब इस बारे में कर्मचारियों से बात की गई तो कर्मचारियों ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए जो पैसा मिलता है, उसका बड़ा हिस्सा अधिकारी को देना पड़ता है. तो इतने कम पैसे में पाठशाला कैसे चलेगा.
'राशि की होगी रिकवरी'
वहीं, इस मामले को लेकर विभाग के निदेशक से जब पूछा गया तो जनाब ने पहले तो टालमटोल किया लेकिन दबाओ बढ़ता देख शेष राशि रिकवरी करने की बात कहकर मामला को टाल दिया. बहरहाल, सिस्टम में बैठे अधिकारियों की दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी के कारण करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी योजना जमीन पर नहीं उतरती. जिस पर सरकार को सोचने की जरूरत है.