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बक्सर: कृषि विभाग का उजागर हुआ नया खेल, किसान पाठशाला लगाए बिना ही स्वाहा हुई राशि

जिले में किसान पाठशाला का सिर्फ उद्घाटन कर दिया गया. बाकी शेष दिन अधिकारी पाठशाला लगाने गए ही नहीं और राशि की निकासी कर ली गई.

पाठशाला का उद्घाटन
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Published : Jul 4, 2019, 2:59 PM IST

बक्सरः जिले में कृषि प्रौधोगिकी विभाग का एक नया खेल उजागर हुआ है. जहां किसानों की पाठशाला लगाए बिना ही योजना की राशि निकाल ली गई. मामला उजागर होते ही विभाग में हड़कंप मच गया. इस मामले में आत्मा के निदेशक देवनंदन शर्मा ने कहा कि अगर बात सही निकली तो राशि की रिकवरी की जाएगी.

अधिकारियों की भेंट चढ़ी योजना
दरअसल, केन्द्र और राज्य सरकार के जरिए किसानों के कल्याण के लिए एक दर्जन से अधिक योजनाएं चलाई जा रहीं हैं. जिनमें वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के गुण बताने के लिए 6 दिनों की किसान पाठशाला लगानी भी शामिल है. लेकिन सरकार की यह योजना जमीन पर उतरने से पहले ही सरकारी तंत्र में बैठे अधिकारियों की भेंट चढ़ जाती है.

kirishi bhawan
कृषि भवन

नहीं लगी किसानों की पाठशाला
ऐसा ही एक मामला बक्सर जिला के डुमरांव में देखने को मिला. जहां कृषि प्रौधोगिकी प्रबन्ध विभाग के जरिए जिले में किसान पाठशाला का सिर्फ उद्घाटन कर दिया गया. बाकी शेष दिन अधिकारी पाठशाला लगाने गए ही नहीं और राशि की निकासी कर ली गई. मामले का उद्भेदन तब हुआ, जब डुमरांव फार्मर प्रोड्यूशर कंपनी के निदेशक अरविंद तिवारी ने इसका खुलासा किया.

फंड का बड़ा हिस्सा अधिकारियों को
अरविंद तिवारी ने बताया कि इस किसान पाठशाला का आयोजन हमारे कार्यालय में ही होना था. लेकिन एक दिन के बाद न तो अधिकारी आये और न ही कर्मचारी. जब इस बारे में कर्मचारियों से बात की गई तो कर्मचारियों ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए जो पैसा मिलता है, उसका बड़ा हिस्सा अधिकारी को देना पड़ता है. तो इतने कम पैसे में पाठशाला कैसे चलेगा.

किसान पाठशाला का उद्घाटन

'राशि की होगी रिकवरी'
वहीं, इस मामले को लेकर विभाग के निदेशक से जब पूछा गया तो जनाब ने पहले तो टालमटोल किया लेकिन दबाओ बढ़ता देख शेष राशि रिकवरी करने की बात कहकर मामला को टाल दिया. बहरहाल, सिस्टम में बैठे अधिकारियों की दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी के कारण करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी योजना जमीन पर नहीं उतरती. जिस पर सरकार को सोचने की जरूरत है.

बक्सरः जिले में कृषि प्रौधोगिकी विभाग का एक नया खेल उजागर हुआ है. जहां किसानों की पाठशाला लगाए बिना ही योजना की राशि निकाल ली गई. मामला उजागर होते ही विभाग में हड़कंप मच गया. इस मामले में आत्मा के निदेशक देवनंदन शर्मा ने कहा कि अगर बात सही निकली तो राशि की रिकवरी की जाएगी.

अधिकारियों की भेंट चढ़ी योजना
दरअसल, केन्द्र और राज्य सरकार के जरिए किसानों के कल्याण के लिए एक दर्जन से अधिक योजनाएं चलाई जा रहीं हैं. जिनमें वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के गुण बताने के लिए 6 दिनों की किसान पाठशाला लगानी भी शामिल है. लेकिन सरकार की यह योजना जमीन पर उतरने से पहले ही सरकारी तंत्र में बैठे अधिकारियों की भेंट चढ़ जाती है.

kirishi bhawan
कृषि भवन

नहीं लगी किसानों की पाठशाला
ऐसा ही एक मामला बक्सर जिला के डुमरांव में देखने को मिला. जहां कृषि प्रौधोगिकी प्रबन्ध विभाग के जरिए जिले में किसान पाठशाला का सिर्फ उद्घाटन कर दिया गया. बाकी शेष दिन अधिकारी पाठशाला लगाने गए ही नहीं और राशि की निकासी कर ली गई. मामले का उद्भेदन तब हुआ, जब डुमरांव फार्मर प्रोड्यूशर कंपनी के निदेशक अरविंद तिवारी ने इसका खुलासा किया.

फंड का बड़ा हिस्सा अधिकारियों को
अरविंद तिवारी ने बताया कि इस किसान पाठशाला का आयोजन हमारे कार्यालय में ही होना था. लेकिन एक दिन के बाद न तो अधिकारी आये और न ही कर्मचारी. जब इस बारे में कर्मचारियों से बात की गई तो कर्मचारियों ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए जो पैसा मिलता है, उसका बड़ा हिस्सा अधिकारी को देना पड़ता है. तो इतने कम पैसे में पाठशाला कैसे चलेगा.

किसान पाठशाला का उद्घाटन

'राशि की होगी रिकवरी'
वहीं, इस मामले को लेकर विभाग के निदेशक से जब पूछा गया तो जनाब ने पहले तो टालमटोल किया लेकिन दबाओ बढ़ता देख शेष राशि रिकवरी करने की बात कहकर मामला को टाल दिया. बहरहाल, सिस्टम में बैठे अधिकारियों की दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी के कारण करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी योजना जमीन पर नहीं उतरती. जिस पर सरकार को सोचने की जरूरत है.

Intro:बक्सर/ऐंकर-कृषि प्रौधोगिकी बिभाग का नया खेल बिना पाठशाला लगाए ही निकाल ली योजना की राशि,मामला उजागर होते ही मची हड़कम्प,अधिकारी ने कहा शेष राशि की होगी रिकवरी।


Body:केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा किसानों की कल्याण के लिए भले ही एक दर्जन से अधिक योजना चलाया जा रहा हो लेकिन सरकार का यह योजना जमीन पर उतरने से पहले ही सरकारी तंत्र में बैठे अधिकारियो की भेंट चढ़ जाता है,कुछ ऐसा ही मामला बक्सर जिला के डुमराव में देखने को।मिला जंहा कृषि प्रौधोगिकी प्रबन्ध बिभाग के द्वारा जिला में बैज्ञानिक तरीके से खेती करने की गुण बताने के लिए 6 दिनों तक किसान पाठशाला लगाना था ,लेकिन इस किसान पाठशाला का उदघाटन कर अधिकारी शेष दिन गए ही नही और राशि की निकाशी कर ली गई ,मामले का उद्भेदन तब हुआ,जब डुमराव फार्मर प्रोड्यूशर कंपनी के निदेशक ने इसका खुलासा करते हुए बताया कि इस किसान पाठशाला का आयोजन मेरे यहाँ ही होना था लेकिन एक दिन के बाद न तो अधिकारी आये और न ही कर्मचारी,जब इस बारे में कर्मचारियों से बात किया तो कर्मचारियो ने कहा कि जो इस कार्यक्रम के लिए पैसा मिलता है,उसका बड़ा हिस्सा अधिकारी को देना पड़ता है,तो इतना कम पैसा में पाठशाला कैसे लगेगा।।

byte अरविंद तिवारी निदेशक डुमराव फॉर्मर प्रोड्यूशर कम्पनी

वही इस मामले को लेकर बिभाग के निदेशक से जब पूछा गया तो जनाब ने पहले तो टालमटोल की लेकिन दबाओ बढ़ता देख शेष राशि रिकवरी करने की बात कह मामला को टाल दिया,।

vyte देवनंदन शर्मा निदेशक आत्मा


Conclusion:गौरतलाबत है,की सिस्टम में बैठे अधिकारियों की दृढ़ इक्षा शक्ति की कमी के कारण करोड़ो रूपये खर्च करने के बाद भी योजना जमीन पर नही उतरता दिख रहा है,जिसपर सरकार को सोचने की जरूरत है।
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