बक्सरः बिहार के बक्सर जिले से सदर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता (Negligence in Buxar Sadar Hospita) की एक तस्वीर सामने आई है. जिसे देखकर आप भी सोचने पर मजबूर हों जाएंगे कि जिस जिले के प्रभारी मंत्री प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री हैं, जब वहां के हालात ऐसे हैं. तो प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों का क्या हाल होगा. जिले से इस सदर अस्पताल में बेड पर 48 घण्टे से मृत महिला का शव (Woman Dead Body On Bed For 48 hours) पड़ा रहा हुआ है, लेकिन उसे पूछने वाला कोई नहीं है. लाश से आ रही दुर्गंध के बीच वार्ड में दूसरे मरीज परेशान हैं, उनका भी इलाज वहीं पर चल रहा है. परेशान मरीजों ने फोन पर देर शाम ईटीवी भारत की टीम को इसकी जानकारी दी, जब मीडिया वहां पहुंचा तो अस्पताल के अधिकारी नींद से जागे और लाश हटाने की प्रक्रिया में लग गए.
ये भी पढ़ेंः VIDEO: दलालों के कब्जे में बक्सर सदर अस्पताल! कैमरे में कैद हुआ 'काला कारोबार'
क्यों पड़ा रहा 48 घण्टे तक बेड पर शवः जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के कोविड वार्ड में पिछले 48 घंटे से एक लावारिस मृत महिला का शव बेड पर पड़ा रहा. वहीं, पर स्वास्थ्यकर्मी दूसरे मरीजों का इलाज करते रहे. कई बार अस्पताल प्रशासन से शिकायत करने के बाद भी उस लाश को वहां से नहीं हटवाया गया. मिली जानकारी के अनुसार 48 घंटे पहले आसपास के ही किसी व्यक्ति के द्वारा लावारिस महिला को बीमार हालत में अस्पताल में पहुंचाया गया था. जहां इलाज के दौरान है उसकी मौत हो गई. उसके बाद किसी ने उस महिला की खोज खबर नहीं ली और दो दिनों तक शव बेड पर ही पड़ा रहा. बताया जाता है कि शव किसी अज्ञात महिला का है.
मरीजों की शिकायत के बावजूद नहीं हटा शवः हैरानी की बात है कि कोविड वार्ड के जिस कमरे के बेड पर शव पड़ा था, उसके सटे ही अन्य बेड पर जीवित मरीजों का इलाज चल रहा था. शव से उठ रहे दुर्गन्ध का हवाला देकर मरीजों ने अस्पताल कर्मियों से कई बार शिकायत की लेकिन, किसी ने जब नहीं सुना तो अस्पताल के ही एक मरीज ने देर शाम 6 बजे शाम में इस बात की सूचना ईटीवी भारत के संवाददाता को दी, जैसे ही ईटीवी भारत की टीम अस्पताल में पहुंची, तो शव के हटाने का कवायद भी शुरू हो गई.
क्या कहते हैं अस्पताल के मरीजः मृत महिला के शव के पास ही बेड पर इलाजरत मरीजों ने बताया कि 21 तारीख को ही महिला का निधन हो गया था. 22 तारीख के देर शाम तक इस शव को नहीं हटाया गया. बार-बार स्वस्थ्यकर्मियों से शिकायत करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ. कल से ही इस लाश से दुर्गंध उठ रहा है, उसके बाद भी कोई सुध लेने वाला नहीं है. ऐसे में हमलोग और बीमार पड़ जाएंगे, स्वस्थ्यकर्मियों का कई बार शिफ्ट बदला. लेकिन किसी ने इस शव को हटावाने की जहमत नहीं उठाई.
ये भी पढ़ेंः वेंटिलेटर पर सांसे गिन रहा सरकारी अस्पताल, एंटी रेबिज इंजेक्शन तक नहीं है उपलब्ध
महिला स्वास्थ्यकर्मी का क्या है कहनाः वहीं, कोविड वार्ड के अस्पताल के मरीजों की देखभाल कर रही स्वास्थ्यकर्मी प्रियंका से जब यह पूछा गया कि इस महिला की मौत कब हुई? तो महिला स्वास्थ्यकर्मी ने बताया 22 अप्रैल को सुबह 6 बजे इस महिला की मौत हुई है. जिसकी सूचना वरीय अधिकारियों को दी गई है. 2 बजे दोपहर में वो अस्पताल आईं, तो पता चला कि इस मरीज की मौत सुबह 6 बजे हुई है. सूचना दे दी गई है, जल्द ही शव को हटा लिया जाएगा. वहीं, मीडिया के आने की सूचना मिलने के बाद शव को हटाने पहुंची महिला थाना की एसआई ने बताया कि, नगर थाना से सूचना मिलने के बाद हमलोग आये हुए हैं. इस शव को पोस्टमॉर्टम कराने के लिए ले जा रहे हैं. कागजी करवाई पूरी की जा रही है.
गौरतलब है कि बिहार भीषण गर्मी की चपेट में है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे लगातार यह दावा कर रहे हैं. कि भीषण गर्मी से बड़ी संख्या में जो लोग बीमार पड़ रहे हैं उनके इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में समुचित व्यवस्था की गई है. लेकिन जमीनी हकीकत क्या है, इसे देखकर आप भी अंदाजा लगा सकते हैं. हालांकि सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक दुष्यंत सिंह ने भी ऑफ दी रिकॉर्ड जानकारी देते हुए कहा कि समय से ही नगर थाना अध्यक्ष दिनेश मालाकार को सदर अस्पताल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट भूपेंद्र नाथ के द्वारा इस बात की सूचना दी गई थी. लेकिन तरह-तरह के नियम कानून कायदे बताने में 12- 14 घंटे का समय लग गया. अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी मरीजों के इलाज के लिए हैं और हम अपने दायित्वों का निर्वाहन भली-भांति करते हैं. अगर पुलिस समय से शव को पोस्टमॉर्टम कराने के लिए ले गई होती तो मरीजों को परेशानी नही होती.
ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP