बक्सर: बिहार का सबसे बड़ा पर्व कहे जाने वाले छठ की नहाय-खाय के साथ शुरुआत हो गई है. 4 दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान का समापन 3 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर होगा. इस महापावन त्योहार को लेकर जिला समेत पूरे प्रदेश में तैयारियां अंतिम चरण पर हैं.
रामरेखा घाट पर उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
इस महापर्व के अनुष्ठान की शुरूआत में आज छठ व्रतियों ने गंगा स्नान कर भगवान भास्कर की आराधना आरंभ की. इस बाबत गंगा आरती के पुजारी लाल बाबा ने बताया कि इस घाट पर प्रदेश से ही नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश, झारखण्ड, और नेपाल से बड़ी संख्या में छठव्रती व्रत करने के लिए यहां आते हैं. उन्होंने नगर परिषद पर आरोप लगाते हुए कहा कि विगत साल घाट पर जिला प्रशासन ने सभी व्यवस्थाएं की थीं. लेकिन इस बार नगर परिषद के लोगों ने काम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ती की है.
बांस सूपों पर भारी पीतल के बर्तन
बाजार छठ के पूजन सामग्रियों से लेकर पटा हुआ है. इस बाबात बांस से बने सूप विक्रेता ने बताया कि छठ जैसे निष्ठा के पर्व में भी आधुनिकता दिखाई देने लगा है. लोग बांस से बने सूप और दौरा से ज्यादा तरजीह पीतल से बने सूप और अन्य बर्तनों को दे रहे हैं. एक दउरे की कीमत 250 रुपये है. लेकिन आलम यह है कि मजदूरी तक का भी पैसा भी निकलना मुश्किल लग रहा है.
पुरानी परंपराओं पर आधुनिकता भारी
लोक आस्था के इस महापर्व में बदलते दौर में पुरानी परंपराओं पर आधुनिकता भारी पर रही है. बाजार में बांस के सूप और पीतल के सुप में बाजारवाद की जंग देखने को मिल रही है. बांस के सूप बेचने वालों का कहना है कि पहले छठ व्रती बांस से बने सूप और टोकड़ी खरीदते थे. बांस के बने सूप और टोकड़ी में प्रसाद लेकर व्रती छठी मैया को अर्घ्य अर्पित करने के लिए नदी तालाब घाटों में जाते थे, लेकिन बदलते समय के साथ अब पीतल, तांबा, स्टील आदि के सूप बाजार में उपलब्ध हैं. विक्रेताओं का कहना है कि वर्तमान समय में मेहनत के हिसाब से अच्छी कीमत नहीं मिल पाती है. बदलते दौर के साथ सभी पर्वों पर आधुनिकता की छाप भारी पड़ने लगी है. जिसका खामियाजा गरीबों को उठानी पड़ती है.
पूजन सामग्री के किमतों में हुई वृद्धि
आस्था के इस महापर्व में पूजन सामग्री के किमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. इस बाबत बाजार में सामान खरीद रहे ग्राहकों ने बताया कि पूजन सामग्रियों की किमत विगत साल के अपेक्षा काफी बढ़ गई है. लेकिन फिर भी इस पर्व का निर्वाहन तो जरूर करना है. बता दें कि पूजन सामग्री के दामों में वृद्धि के बावजूद खरीदारों में उत्साह ने कोई भी कमी नहीं देखी जा रही है.