बक्सर: प्रदेश में काफी उठापटक के बाद शिक्षकों के नियोजन (Teacher Niyojan) के छठे चरण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई. इस नियोजन की प्रक्रिया के प्रारंभ होने के बाद भी कोई न कोई अड़चन आ रही है. शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) को शिकायत मिली कि इस नियोजन में बड़े पैमाने पर धांधली (Fraud in Teacher Recruitment) हो रही है. इसी क्रम में जब बक्सर के जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO Buxar) अमर भूषण ने मामले की जांच शुरू की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ.
ये भी पढ़ें: केंद्रीय मंत्री RCP सिंह 11 सितंबर से तीन जिलों का करेंगे दौरा, जानिए पूरा शेड्यूल...
शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर हुए इस फर्जीवाड़े का ईटीवी भारत पर DEO ने खुलासा किया. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि बक्सर जिले में कुल 1913 पदों के विरुद्ध अब तक 703 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है. इसमें 121 का चयन फर्जी पाया गया है. डीईओ ने आगे बताया कि अब तक के जांच में बेहद चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. अब तो पूरी नियोजन की प्रक्रिया की गंभीरता से जांच करनी होगी.
गौरतलब है कि बक्सर जिले में कुल 146 नियोजन इकाई हैं. जिसमें 2 नगर परिषद, 11 प्रखंड नियोजन इकाई तथा 133 पंचायत नियोजन इकाई हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी अमर भूषण ने कहा कि जिले में 1913 कुल पद हैं. नियोजन के लिए अलग-अलग इकाइयों के लिए उनमें से 703 लोगों का अंतिम रूप से चयन किया गया है. जिनका अंतिम रूप से चयन किया गया है. उन्हें ही नियुक्ति पत्र दिया जाना है लेकिन अलग-अलग खबरें आ रही हैं कि कुछ नियोजन इकाइयों में बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है.
ये भी पढ़ें: 'BJP में शामिल होने के लिए परेशान हैं कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम'
कुछ लोगों का प्रमाण पत्र सही नहीं है. 703 चयनित अभ्यर्थियों के फोल्डर की जांच में 121 फर्जी मिले. डीईओ ने कहा कि 27 अगस्त को वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रधान सचिव ने कहा था कि एक भी गलत नियोजन नहीं होना चाहिए. जो भी गलत पाया जाता है, उस पर कार्रवाई हो. जांच में मैंने पाया कि मूल प्रमाणपत्र मेरे द्वारा जमा लिया जा रहा है तो फिर एक ही नाम के दो व्यक्तियों का चयन कैसे होगा? जब तह तक जाकर जांच शुरू की गयी तो पाया कि एक बिल्कुल गलत है जबकि दूसरा सही है. या ऐसा भी हो सकता है दोनों सही नहीं हों और तीसरा जिला के बाहर नौकरी कर रहा हो.
फिर एक ही नाम के दो व्यक्तियों का चयन कैसे होगा. उसमें से एक एकदम बिल्कुल गलत है दूसरा सही है या हो सकता है दोनों गलत हों. विभाग की तरफ से सीडी उपलब्ध कराई जा रही हैं. उससे जब इसका मिलान किया गया तो किसी के नाम में गलतियां पाई जा रही हैं तो किसी का रिजल्ट नहीं दिखा रहा है. यानी वह कैंडिडेट है ही नहीं. जो प्रमाणपत्र जमा किया गया है, वह स्कैन्ड है. देखने में लगता है कि ओरिजिनल है किंतु वह स्कैन्ड हैं.
नैसर्गिक न्याय के अंतर्गत हम लोगों ने एक बार मौका दिया है. डीईओ ने बताया कि जिलाधिकारी से मैंने बात की है. जिला पदाधिकारी ने भी अपनी सहमति दी है. उन्होंने अनुमोदन किया है कि तारीख 14, 15 और 16 को 3 दिन में यह बताएं कि उनके पास क्या साक्ष्य हैं. उन्होंने बताया कि प्रयास रहेगा कि आने वाले समय में साफ-सुथरा चयन हो. इसके पीछे जो गिरोह काम कर रहा है, उसका पर्दाफाश
हो. फर्जी अभ्यर्थियों का चयन रद्द कर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी.
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि आने वाले समय में कुछ नए मामले देखने को मिलेंगे. संदिग्ध अभ्यर्थियों को मोबाइल के साथ बुलाया गया है. अब उस दिन पता चलेगा कि डीजी लॉकर में अगर कुछ गलतियां हैं, उस के माध्यम से भी कुछ गलत और फर्जी अभ्यर्थियों का पता चल सकता है. डीईओ ने कहा कि आने वाले समय में हमारा प्रयास रहेगा कि जब तक इस जिले में हूं, फर्जी तरीके से किसी भी अभ्यर्थी को चयन होने नहीं दूंगा. डीईओ ने ईटीवी भारत का भी धन्यवाद किया.
ये भी पढ़ें: अच्छी खबर: शिक्षक नियोजन के लिए 17 सितंबर तक लिए जाएंगे आवेदन, 2700 सीटों की हुई बढ़ोतरी