बक्सरः कोरोना संक्रमण से देश को बचाने के लिए 24 मार्च से ही देश में लॉकडाउन लागू है. फैक्ट्रियां और रोजगार बंद होने के कारण लाखों बिहारी श्रमिक और छात्र फस्ट लॉक डाउन से ही दिल्ली, मुम्बई, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत कई राज्यों से संसाधन नहीं मिलने के बाद भी हजारों किलोमीटर दूरी तय कर पैदल ही बिहार आने लगे. जिसको देखते हुए बिहार सरकार के पहल पर प्रवासी मजदूरों को बिहार लाने के लिए, रेलवे मंत्रालय की ओर से कई ट्रेने चलाई गई. उसके बाद भी लाखों प्रवासी श्रमिक अब भी दूसरे प्रदेश में फंसे हुए हैं, जो पैदल और साइकिल से अपने घर के लिए निकल पड़े हैं.
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क्या कहते है, श्रमिक
कई प्रदेशों से चलकर साइकिल और पैदल बक्सर के सीमा में पहुंचे प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि वह मूल रूप से बिहार के मधेपुरा के रहने वाले है. लॉकडाउन से पहले पल्दारी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. लेकिन इस लॉकडाउन के कारण जब काम बंद हो गया, तो सभी लोग अपने यंहा से भगाने लगे. संसाधन नहीं मिला, तो पैदल और साइकिल से अब भी हजारों लोग आ रहे है. राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही ट्रेन भी दूसरे प्रदेश के छोटे शहरों में फंसे लोगों तक नही पहुंच पाई.
क्या कहते है बॉर्डर पर तैनात अधिकारी
बिहार और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर तैनात बिहार पुलिस के सब इंस्पेक्टर ज्ञान प्रकाश ने बताया कि प्रतिदिन 100 से ज्यादा प्रवासी श्रमिक पैदल और साइकिल से चलकर बिहार के बक्सर के सीमा में प्रवेश कर रहे हैं. बाहर से आने वाले लोगों को सबसे पहले पानी और नाश्ता का व्यवस्था हम लोग अपने तरफ से कर रहे हैं. उसके बाद बस के माध्यम से स्क्रीनिंग सेंटर पर भेज रहे है.
गौरतलब है कि लंबे समय से देश में लगे लॉकडाउन के कारण दूसरे प्रदेश में फंसे लोगों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. स्थानीय सरकार से कोई मदद नहीं मिलने के कारण लोग पैदल ही अपने घर के तरफ निकल पड़े हैं. बक्सर के सीमा में प्रवेश करने के बाद बक्सर पुलिस के जवानों ने जब उन्हें पानी पिलाया, तो सभी श्रमिक भावुक हो गए.