बक्सरः बिहार विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, वर्चुअल रैली के माध्यम से बिहार के मतदाताओं को गोलबंद करने के लिए 15 साल बनाम 15 साल के मुद्दे पर अपने पार्टी के नेताओं को टास्क दे रहे हैं. लेकिन चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने वाले नेता अपने क्षेत्र की जनता के दुःख-सुख में कितना शामिल हुए हैं इसका हिसाब करने के लिए इस बार क्षेत्र की जनता पहले से ही तैयार बैठी है.
कैबिनेट मंत्री के क्षेत्र में समस्याओं का अंबार
जिला के राजपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सह राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री संतोष निराला के क्षेत्र में आज भी जनता 50 के दशक में जीवन जी रही है. दर्जनों गांवों के लोग सड़क, बिजली, पानी और अस्पताल की बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. पिछले 5 सालों में इस इलाके के सैकड़ों परिवार अपना घर जमीन बेचकर पलायन कर गए, लेकिन मंत्री ने एक बार भी दर्शन नहीं दिया.
नहीं है यातायात की सुविधा
कृषि बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में यातायात की सुविधा नहीं होने के कारण, किसान अपनी उपज को औने पौने दाम में बेच देते हैं. यहां न तो आसपास में अनाज की मंडी है और न ही जिला मुख्यालय तक जाने के लिए सड़क की सुविधा है. मंत्री संतोष निराला ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में चारों में सबसे अधिक मतों से चुनाव जीता था. निराला को 84 हजार मत प्राप्त हुए थे उन्होंने बीजेपी के विश्वनाथ राम को 33 हजार मतों से चुनाव हराकर दूसरी बार चुनाव में जीत दर्ज की थी.
मूल सुविधाओं का घोर अभाव
राजपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव जीतने के बाद एक बार भी मंत्री इस गांव का दौरा करने नहीं आए और न ही उनका कोई प्रतिनिधि लोगों के सुख दुख में शामिल होने आया. गांव में मूल सुविधाओं का भी घोर अभाव है जिससे सैकड़ों परिवार यहां से पलायन कर चुके हैं.
दम तोड़ देते हैं मरीज
ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल ले जाने के लिए यातायात की सुविधा नहीं है जिससे कई बार बीमार व्यक्ति इलाज नहीं मिलने के कारण दम तोड़ देता है. उन्होंने बताया कि सांसद, विधायक या स्थानीय जनप्रतिनधि किसी ने भी चुनाव जीतने के बाद ध्यान नहीं दिया.
ग्रामीणों में आक्रोश
गौरतलब है कि राजपुर विधानसभा सीट आरक्षित है. जिससे कोई भी जनरल कैटेगरी का उम्मीदवार यहां से चुनाव नहीं लड़ सकता है. जिसके कारण मंत्री संतोष निराला आसानी से चुनाव जीत जाते हैं. लेकिन यहां स्थित गांव और जनता का हाल चाल लेने वे कभी नहीं पहुंचते. इसे लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में वे मंत्री संतोष निराला को हिसाब गिनाने की सोच रहे हैं.