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बक्सर: अधूरे कागजात के साथ नामांकन करने पहुंचे निर्दलीय प्रत्याशी, बैरंग लौटे - सातवें चरण

बक्सर में अधूरे कागजात के साथ नामांकन करने पहुंचे निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा को अधिकारियों ने वापस लौटा दिया.

निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा
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Published : Apr 23, 2019, 5:46 PM IST

बक्सर: लोकसभा चुनाव के सातवें चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है. बक्सर लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा नामांकन करने पहुंचे. राणा अधूरे कागजात के साथ नामांकन कराने पहुंचे थे. जहां कागज जांच के बाद नामांकन प्रक्रिया में लगे अधिकारियों ने उन्हें वापस लौटा दिया.

सातवें चरण के लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद, दूसरे दिन भी नामांकन करने पहुंचे निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा को बिना नामांकन किए ही वापस लौटना पड़ा. इसको लेकर निर्दलीय प्रत्याशी ने कहा कि बिहार सरकार की छुट्टी होने के कारण नामांकन पत्र के साथ एफिडेविट किया हुआ कागजात सबमिट नहीं कर पाया. जिसके कारण आज मैं नामांकन पत्र दाखिल नहीं कर सका. जब जिला निर्वाचन पदाधिकारी को पहले से इस बात की सूचना थी कि राज्य सरकार की आज छुट्टी है. उसके बाद भी निर्वाचन पदाधिकारी ने निर्वाचन कार्यालय में एफिडेविट पदाधिकारी को उपस्थित रहने के लिए क्यों नहीं निर्देश दिया.

निर्दलीय प्रत्याशी और उप निर्वाचन पदाधिकारी का बयान

'गाइडलाइन को पढ़े बिना प्रत्याशी आ जाते हैं नामांकन करने'
वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा के इस आरोप के बाद उप निर्वाचन पदाधिकारी आशुतोष कुमार ने कहा कि ,जो उम्मीदवारों को नामांकन से संबंधित दस्तावेज और नामांकन प्रपत्र दिया गया है. उसमें साफ शब्दों में लिखा गया है कि कौन-कौन से दस्तावेज लेकर उन्हें निर्वाचन कार्यालय में नामांकन के लिए आना है. लेकिन पिछले 2 दिनों से 2 उम्मीदवारों में से एक भी उम्मीदवार पूरे कागजात के साथ निर्वाचन कार्यालय नहीं पहुंचे हैं. इससे साफ हो जाता है कि निर्वाचन आयोग द्वारा जारी गाइडलाइन को बिना पढ़े ही प्रत्याशी नामांकन करने आ जाते हैं.

अधूरे कागजात के साथ नामांकन करने पहुंचे बीएसपी उम्मीदवार
बता दें कि सातवें चरण के अधिसूचना जारी होने के बाद पहले दिन भी नामांकन करने पहुंचे बीएसपी उम्मीदवार सुशील कुशवाहा अधूरे कागजात के साथ निर्वाचन कार्यालय पहुंचे थे. जहां से निर्वाचन पदाधिकारी ने उन्हें दो-दो बार वापस लौटा दिया था. अंततः लास्ट समय में किसी तरह से उनका नामांकन हो पाया. इससे एक बात से साफ हो जाता है कि निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया गया गाइडलाइन बिना पढ़े ही प्रत्याशी नामांकन करने के लिए पहुंच जाते हैं, जिसके कारण उन्हें फजीहत का सामना करना पड़ता है.

बक्सर: लोकसभा चुनाव के सातवें चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है. बक्सर लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा नामांकन करने पहुंचे. राणा अधूरे कागजात के साथ नामांकन कराने पहुंचे थे. जहां कागज जांच के बाद नामांकन प्रक्रिया में लगे अधिकारियों ने उन्हें वापस लौटा दिया.

सातवें चरण के लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद, दूसरे दिन भी नामांकन करने पहुंचे निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा को बिना नामांकन किए ही वापस लौटना पड़ा. इसको लेकर निर्दलीय प्रत्याशी ने कहा कि बिहार सरकार की छुट्टी होने के कारण नामांकन पत्र के साथ एफिडेविट किया हुआ कागजात सबमिट नहीं कर पाया. जिसके कारण आज मैं नामांकन पत्र दाखिल नहीं कर सका. जब जिला निर्वाचन पदाधिकारी को पहले से इस बात की सूचना थी कि राज्य सरकार की आज छुट्टी है. उसके बाद भी निर्वाचन पदाधिकारी ने निर्वाचन कार्यालय में एफिडेविट पदाधिकारी को उपस्थित रहने के लिए क्यों नहीं निर्देश दिया.

निर्दलीय प्रत्याशी और उप निर्वाचन पदाधिकारी का बयान

'गाइडलाइन को पढ़े बिना प्रत्याशी आ जाते हैं नामांकन करने'
वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा के इस आरोप के बाद उप निर्वाचन पदाधिकारी आशुतोष कुमार ने कहा कि ,जो उम्मीदवारों को नामांकन से संबंधित दस्तावेज और नामांकन प्रपत्र दिया गया है. उसमें साफ शब्दों में लिखा गया है कि कौन-कौन से दस्तावेज लेकर उन्हें निर्वाचन कार्यालय में नामांकन के लिए आना है. लेकिन पिछले 2 दिनों से 2 उम्मीदवारों में से एक भी उम्मीदवार पूरे कागजात के साथ निर्वाचन कार्यालय नहीं पहुंचे हैं. इससे साफ हो जाता है कि निर्वाचन आयोग द्वारा जारी गाइडलाइन को बिना पढ़े ही प्रत्याशी नामांकन करने आ जाते हैं.

अधूरे कागजात के साथ नामांकन करने पहुंचे बीएसपी उम्मीदवार
बता दें कि सातवें चरण के अधिसूचना जारी होने के बाद पहले दिन भी नामांकन करने पहुंचे बीएसपी उम्मीदवार सुशील कुशवाहा अधूरे कागजात के साथ निर्वाचन कार्यालय पहुंचे थे. जहां से निर्वाचन पदाधिकारी ने उन्हें दो-दो बार वापस लौटा दिया था. अंततः लास्ट समय में किसी तरह से उनका नामांकन हो पाया. इससे एक बात से साफ हो जाता है कि निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया गया गाइडलाइन बिना पढ़े ही प्रत्याशी नामांकन करने के लिए पहुंच जाते हैं, जिसके कारण उन्हें फजीहत का सामना करना पड़ता है.

Intro:बक्सर/एंकर- सातवें चरण के लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन करने पहुंचे निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा को लौटना पड़ा वापस, अधूरे कागजात के साथ पहुंचे थे नामांकन कराने जांच के बाद नामांकन प्रक्रिया में लगे अधिकारियों ने लौटाया वापस।


Body:सातवें चरण के लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद ,दूसरे दिन भी नामांकन करने पहुंचे निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा को बिना नामांकन किए ही वापस लौटना पड़ा। इस कड़ी में निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा ने कहा कि बिहार सरकार के छुट्टी होने के कारण नामांकन पत्र के साथ एफडीयूट किया हुआ कागजात सबमिट नहीं कर पाया ,जिसके कारण आज मैं नामांकन पत्र दाखिल नहीं कर सका। जब जिला निर्वाचन पदाधिकारी को पहले से इस बात की सूचना थी कि, राज्य सरकार की आज छुट्टी है ,उसके बाद भी निर्वाचन पदाधिकारी के द्वारा निर्वाचन कार्यालय में एफडीयूट पदाधिकारी को उपस्थित रहने के लिए क्यो नही निर्देश दिया गया। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह राणा के इस आरोप के बाद उप निर्वाचन पदाधिकारी आशुतोष कुमार ने कहा कि ,जो उम्मीदवारों को नामांकन से संबंधित दस्तावेज और नामांकन प्रपत्र दिया गया है उसमें साफ शब्दों में लिखा गया है कि ,कौन कौन से दस्तावेज लेकर उन्हें निर्वाचन कार्यालय में नामांकन के लिए आना है। लेकिन पिछले 2 दिनों से 2 उम्मीदवारों में से एक भी उम्मीदवार पूरे कागजात के साथ निर्वाचन कार्यालय नहीं पहुंचे हैं ,इससे साफ हो जाता है कि, निर्वाचन आयोग द्वारा जारी गाइडलाइन को बिना पढ़े ही प्रत्याशी नामांकन करने आ जाते हैं। आशुतोष कुमार उपनिर्वाचन पदाधिकारी रणजीत सिंह राणा निर्दलीय प्रत्याशी


Conclusion:हम आपको बताते चलें सातवें चरण के अधिसूचना जारी होने के बाद पहले दिन भी नामांकन करने पहुंचे बीएसपी उम्मीदवार सुशील कुशवाहा भी अधूरे कागजात के साथ निर्वाचन कार्यालय पहुंचे थे ,जहां से निर्वाचन पदाधिकारी ने उन्हें दो-दो बार वापस लौटा दिया था, अंततः लास्ट समय में किसी तरह से उनका नामांकन हो पाया। जिसको लेकर एक बात से साफ हो जाता है कि , निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया गया गाइडलाइन बिना पढ़े ही प्रत्याशी नामांकन करने के लिए पहुंच जाते हैं जिसके कारण उन्हें फजीहत का सामना करना पड़ता है।
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