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बक्सर: अधिकारियों को मैनेज कर एक ही जगह पर 15 साल से जमे हैं स्वास्थ्यकर्मी

बक्सर जिला अस्पताल से लेकर सिविल सर्जन कार्यालय और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में एक ही जगह पर 15 साल से स्वास्थ्यकर्मी लगातार जमे हुए हैं. इसके बाद भी उनका तबादला करने में विभागीय अधिकारियों के हाथ पैर फूलने लगते हैं. आलम यह है कि भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की कई बार शिकायत मिलने के बाद भी ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई करने वाले अधिकारियों का ही तबादला हो जाता है.

sadar hospital
बक्सर सदर अस्पताल
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Published : Mar 11, 2021, 5:01 PM IST

बक्सर: केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र में जिला अस्पताल से लेकर सिविल सर्जन कार्यालय और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में एक ही जगह पर 15 साल से स्वास्थ्यकर्मी लगातार जमे हुए हैं. इसके बाद भी उनका तबादला करने में विभागीय अधिकारियों के हाथ पैर फूलने लगते हैं. आलम यह है कि भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की कई बार शिकायत मिलने के बाद भी ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई करने वाले अधिकारियों का ही तबादला हो जाता है.

यह भी पढ़ें- बक्सर : पोषण की अलख जगा रही आंगनबाड़ी सेविका शबनम, अब बन गईं पोषण चैंपियन

क्या कहते हैं अधिकारी
वर्षों से एक जगह पर जमे स्वास्थ्यकर्मियों के तबादले को लेकर जब स्वास्थ्य विभाग के एक वरीय अधिकारी से पूछा गया तो नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हाल ही में 6 स्वास्थ्य कर्मियों का तबादला किया गया था, लेकिन 8 दिन के अंदर सभी फिर से वापस आकर उसी जगह पर काम करना शुरू कर दिए हैं, जिसके कारण तबादला करने वाले अधिकारी को ही मानसिक प्रताड़ना के दौर से गुजरना पड़ रहा है.

राजनीतिक संरक्षण के कारण करते हैं मनमानी
स्वास्थ्य विभाग के सूत्र की मानें तो 10-15 वर्षों से एक ही जगह पर जमे स्वास्थ्य कर्मियों को राजनीतिक दलों का संरक्षण प्राप्त है. जैसे ही विभाग के वरीय अधिकारी उनका तबादला करते है बक्सर से लेकर पटना और दिल्ली से बड़े नेताओं व अधिकारियों का फोन आने लगता है. तबादला करने वाले अधिकारी का ही तबादला कर दिया जाता है. कुछ ही माह पहले 2 अधिकारियों द्वारा कई स्वास्थ्य कर्मियों पर कलम चलाया गया था, लेकिन उन स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई होने से पहले ही दोनों अधिकारी का प्रमोशन का हवाला देकर तबादला कर दिया गया.

भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है सिविल सर्जन कार्यालय
वर्षों से सिविल सर्जन कार्यालय में तैनात कुछ स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत से जिला में हजारों अवैध निजी नर्सिंग होम और जांच घर चल रहे हैं. जैसे ही वरीय अधिकारी छापेमारी की तैयारी करते हैं उससे पहले ही अवैध रूप से चल रह निजी नर्सिंग होम और जांच घर वालों को जानकारी दे दी जाती है. आलम यह है कि नियमानुसार लाइसेंस के लिए अप्लाई करने वाले महीनों से विभाग का चक्कर लगा रहे हैं और जिस 6 अस्पतालों पर अधिकारियों ने कार्रवाई करने के लिए अनुशंसा की उसे लाइसेंस देकर रातों-रात अवैध से वैध बना दिया गया. सिविल सर्जन कार्यालय के एक कर्मी की माने तो सारे भ्रष्टाचार की जड़ सिविल सर्जन कार्यालय ही है.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
जिला में अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम और जांच घरों को लेकर जब सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सभी पीएचसी प्रभारी को अवैध निजी नर्सिंग होम की जांच करने के लिए आदेश निर्गत किया गया है. जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद कार्रवाई होगी. वहीं, वर्षों से एक ही जगह जमे स्वास्थ्यकर्मियों के तबादले के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली.

गौरतलब है कि 3 दिसंबर 2020 को जिलाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर 6 निजी नर्सिंग होम पर छापेमारी की गई थी. छापेमारी दल में शामिल स्वास्थ्य कर्मियों ने सभी 6 निजी नर्सिंग होम पर कार्रवाई की अनुशंसा की थी. उसके बाद कुछ निजी नर्सिंग होम ने अपना नाम बदल लिया तो कुछ को रातों रात लाइसेंस जारी कर दिया गया.

बक्सर: केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र में जिला अस्पताल से लेकर सिविल सर्जन कार्यालय और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में एक ही जगह पर 15 साल से स्वास्थ्यकर्मी लगातार जमे हुए हैं. इसके बाद भी उनका तबादला करने में विभागीय अधिकारियों के हाथ पैर फूलने लगते हैं. आलम यह है कि भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की कई बार शिकायत मिलने के बाद भी ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई करने वाले अधिकारियों का ही तबादला हो जाता है.

यह भी पढ़ें- बक्सर : पोषण की अलख जगा रही आंगनबाड़ी सेविका शबनम, अब बन गईं पोषण चैंपियन

क्या कहते हैं अधिकारी
वर्षों से एक जगह पर जमे स्वास्थ्यकर्मियों के तबादले को लेकर जब स्वास्थ्य विभाग के एक वरीय अधिकारी से पूछा गया तो नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हाल ही में 6 स्वास्थ्य कर्मियों का तबादला किया गया था, लेकिन 8 दिन के अंदर सभी फिर से वापस आकर उसी जगह पर काम करना शुरू कर दिए हैं, जिसके कारण तबादला करने वाले अधिकारी को ही मानसिक प्रताड़ना के दौर से गुजरना पड़ रहा है.

राजनीतिक संरक्षण के कारण करते हैं मनमानी
स्वास्थ्य विभाग के सूत्र की मानें तो 10-15 वर्षों से एक ही जगह पर जमे स्वास्थ्य कर्मियों को राजनीतिक दलों का संरक्षण प्राप्त है. जैसे ही विभाग के वरीय अधिकारी उनका तबादला करते है बक्सर से लेकर पटना और दिल्ली से बड़े नेताओं व अधिकारियों का फोन आने लगता है. तबादला करने वाले अधिकारी का ही तबादला कर दिया जाता है. कुछ ही माह पहले 2 अधिकारियों द्वारा कई स्वास्थ्य कर्मियों पर कलम चलाया गया था, लेकिन उन स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई होने से पहले ही दोनों अधिकारी का प्रमोशन का हवाला देकर तबादला कर दिया गया.

भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है सिविल सर्जन कार्यालय
वर्षों से सिविल सर्जन कार्यालय में तैनात कुछ स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत से जिला में हजारों अवैध निजी नर्सिंग होम और जांच घर चल रहे हैं. जैसे ही वरीय अधिकारी छापेमारी की तैयारी करते हैं उससे पहले ही अवैध रूप से चल रह निजी नर्सिंग होम और जांच घर वालों को जानकारी दे दी जाती है. आलम यह है कि नियमानुसार लाइसेंस के लिए अप्लाई करने वाले महीनों से विभाग का चक्कर लगा रहे हैं और जिस 6 अस्पतालों पर अधिकारियों ने कार्रवाई करने के लिए अनुशंसा की उसे लाइसेंस देकर रातों-रात अवैध से वैध बना दिया गया. सिविल सर्जन कार्यालय के एक कर्मी की माने तो सारे भ्रष्टाचार की जड़ सिविल सर्जन कार्यालय ही है.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
जिला में अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम और जांच घरों को लेकर जब सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सभी पीएचसी प्रभारी को अवैध निजी नर्सिंग होम की जांच करने के लिए आदेश निर्गत किया गया है. जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद कार्रवाई होगी. वहीं, वर्षों से एक ही जगह जमे स्वास्थ्यकर्मियों के तबादले के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली.

गौरतलब है कि 3 दिसंबर 2020 को जिलाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर 6 निजी नर्सिंग होम पर छापेमारी की गई थी. छापेमारी दल में शामिल स्वास्थ्य कर्मियों ने सभी 6 निजी नर्सिंग होम पर कार्रवाई की अनुशंसा की थी. उसके बाद कुछ निजी नर्सिंग होम ने अपना नाम बदल लिया तो कुछ को रातों रात लाइसेंस जारी कर दिया गया.

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