बक्सर: सदर प्रखंड के छोटका नुआंव में बुधवार से कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत की गई. सदर प्रखंड के चिकित्सा प्रभारी सुधीर कुमार के नेतृत्व में छिड़काव दल के ३ सदस्य गांव में सिंथेटिक पाराथाराइड (एसपी) का छिड़काव करेंगे. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने गांव के 816 घरों को लक्षित किया है, जिनके 2786 कमरों में 55.1 किलोग्राम एसपी का छिड़काव किया जाना है.
4 नवंबर से शुरू हुआ है यह कार्यक्रम
इस क्रम में इलाके की आंगनबाड़ी सेविकाओं और एएनएम को रविवार से ही लोगों को जागरूक करने में लगाया गया था. ताकि, दवाओं के छिड़काव होने तक लोग घर के जरूरी सामान और खाद्य सामग्री को सुरक्षित कर लें. 4 नवंबर से शुरू हुए इस कार्यक्रम को लगातार 13 दिनों तक चलाया जाएगा. इस अभियान के माध्यम से गांव के 5874 लक्षित लोगों को कालाजार के खतरे से बचाने का प्रयास किया जा रहा है. विभागीय जानकारी के अनुसार वर्ष 2018 में छोटका नुआंव से 8 कालाजार के मरीज मिले थे, जिसके बाद साल में दो चरणों में यहां उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जाता है.
दवाओं के पहले ग्रामीणों को किया जाता है जागरूक
सदर प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया छिड़काव से दो दिन पूर्व आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा अपने-अपने पोषक क्षेत्रों में छिड़काव की सूचना दी जाती है. उसके बाद 6 सदस्यीय टीम पहुंचती है और छिड़काव से पहले घर के सभी सामान, बच्चों, मवेशी और मवेशियों के चारा को बाहर निकाल दिया जाता है या तो फिर उसे किसी प्लास्टिक या अन्य तरह के चादर से सामानों को ठीक तरह से ढक दिया जाता है. इससे छिड़काव करने में किसी तरह से कोई असुविधा नहीं हो. वहीं, अभियान के दौरान प्रखण्ड स्तर पर वैक्टर बॉर्न डिजीज सुपरवाइजर, बेसिक हेल्थ इंस्पेक्टर, बेसिक हेल्थ वर्कर, केयर इंडिया के प्रखंड समन्यवयक, एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं को लगाया गया है.
कालाजार से बचाव के लिए एसपी का छिड़काव जरूरी
जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि कालाजार से बचाव के लिए चिह्नित गांवों में एसपी का छिड़काव कराया जाता है. एसपी का छिड़काव ही कालाजार से बचने के लिए बेहतर विकल्प है. साथ ही इससे बचाव के लिए हम सभी को भी सतर्क तो रहना ही है. साथ ही, आसपास के लोगों को जागरूक भी करना बेहद ही जरूरी है. इसके लिए हमलोगों को अपने घरों में सफाई के साथ ही आसपास जैसे: बथान, दलान, मवेशियों के रहने वाला स्थान, नाला की सफाई सहित अन्य तरह के रहन-सहन में भी बदलाव करना अतिआवश्यक है.