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बक्सर में नेताओं के दावों और वादों का दौर तेज, खुद को ठगा महसूस कर रही है जनता - Bharatiya Janata Party

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बक्सर पहुंचे हर पार्टी के दर्जनों नेता बक्सर वासियों के बीच जनसंवाद कर मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन बक्सर वासियों के एक ही सवाल सुनकर सभी नेताओं की जुबान बंद हो जाती है, अब तक बक्सर को क्या दिए हो?

Buxar
चुनाव में बक्सर वासियों को कैसे ठगते है जन प्रतिनिधि
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Published : Aug 22, 2020, 10:55 PM IST

Updated : Aug 22, 2020, 11:04 PM IST

बक्सर: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की गाइडलाइन जारी हो गयी है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के नेताओं का जिले में आने का सिलसिला पिछले 15 दिनों से जारी है. सत्ताधारी दल विकास का हवाला देकर मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने में लगे हुए हैं, तो वहीं, विपक्ष सरकार की नाकामियों को उजागर कर खुद को जनता का सबसे बड़ा शुभचिंतक बताने में लगे हुये हैं. राजनीति के इस मैदान में चल रहे सियासी दांव पेच के बीच बक्सरवासी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

बता दें कि वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जाने से पहले भी राज्य सरकार के तत्कालीन पीएचडी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा जिले के सिमरी प्रखंड के अंतर्गत केशोपुर पंचायत में 100 करोड़ से अधिक रुपए की लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की सौगात बक्सर वासियों को दी गई थी, लेकिन चुनाव का परिणाम आने के साथ ही उस योजना की सारी राशि की निकासी तो हो गई, लेकिन वह योजना 11 साल बाद भी जमीन पर नहीं उतर पाई है.

वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जाने से पहले भारत सरकार के परिवार स्वास्थ्य कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा बक्सर को पर्यटन का दर्जा दिलाने, रामायण सर्किट से जोड़ने और बक्सर के युद्ध और चौसा के युद्ध के मैदान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का वादा किया गया था, लेकिन बक्सर की जनता को बीजेपी के नेताओं के वादे पर भरोसा नही हुआ तो बक्सर की जनता ने यहां की चारों विधानसभा सीट महागठबंधन की झोली में डाल दी. बीजेपी अपनी पारंपरिक सीट भी नही बचा पाई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे और स्थानीय कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी के द्वारा जिले के पुराने सदर अस्पताल को दूसरी जगह स्थापित कर पुराने सदर अस्पताल को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कंवर्ट कर दिया गया, लेकिन जनता की नाराजगी को देखते हुए लोकसभा चुनाव में जाने से 6 महीना पहले उसी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का नाम बदलकर दूसरी बार उद्घाटन केंद्रीय मंत्री और स्थानीय विधायक ने कर दिया.

वहीं, उद्घाटन के दौरान ही सार्वजनिक मंच पर श्रेय लेने की होड़ में कांग्रेस विधायक और बीजेपी के सांसद के बीच खूब तू-तू मैं-मैं हो गई. पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे पर कुर्सियों से हमला कर दिया स्वास्थ्य केंद्र देखते ही देखते रणक्षेत्र में तब्दील हो गया था.

सभी सुविधा गायब
बता दें कि इस शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा हेल्थ एटीएम, वाटर एटीएम औऱ एम्बुलेंस की सुविधा दी गई थी, लेकिन चुनाव परिणाम आने के साथ ही हेल्थ एटीएम और वाटर एटीएम में ताला लगया. जबकि, एंबुलेंस कहां चली गयी उसका पता खुद अब तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को नहीं लगा पाए है. जानकारों की मानें तो किराए पर एंबुलेंस को दिखाने के लिए लाया गया था. किराया मिलने के बाद एंबुलेंस कर्मी एम्बुलेंस लेकर वापस चला गया.

क्या कहते हैं विधायक
एक ही स्वास्थ्य केंद्र का दो बार उद्घाटन करने की वजह जब स्थानीय विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से पूछा गयी तो, उन्होंने बताया कि इस शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को बक्सर में लंबे संघर्ष के बाद वर्ष 2017 में मेरे प्रयास से स्थापित किया गया था, लेकिन बक्सर वासियों को ठगने के लिए स्थानीय सांसद ने उसी भवन का रंग बदलकर दूसरी बार हेल्थ वैलनेस सेंटर के रूप में उद्घाटन कर दिया, जिसके कारण बक्सर की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है. उन्होंने कहा कि मंत्री जी को यह बताना चाहिए कि चुनाव के समय उनके द्वारा जो सौगात दी जाती है वो चुनाव खत्म होने के साथ ही खत्म क्यों हो जाती है.

नेताओं के पास नहीं है जनता के सवालों के जवाब
गौरतलब हो कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बक्सर पहुंचे हर पार्टी के दर्जनों नेता बक्सर वासियों के बीच जनसंवाद कर मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने का प्रयास कर रहे है, लेकिन बक्सर वासियों के एक ही सवाल सुनकर सभी नेताओं की जुबान बंद हो जाती है, अब तक बक्सर को क्या दिए हो?

बक्सर: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की गाइडलाइन जारी हो गयी है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के नेताओं का जिले में आने का सिलसिला पिछले 15 दिनों से जारी है. सत्ताधारी दल विकास का हवाला देकर मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने में लगे हुए हैं, तो वहीं, विपक्ष सरकार की नाकामियों को उजागर कर खुद को जनता का सबसे बड़ा शुभचिंतक बताने में लगे हुये हैं. राजनीति के इस मैदान में चल रहे सियासी दांव पेच के बीच बक्सरवासी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

बता दें कि वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जाने से पहले भी राज्य सरकार के तत्कालीन पीएचडी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा जिले के सिमरी प्रखंड के अंतर्गत केशोपुर पंचायत में 100 करोड़ से अधिक रुपए की लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की सौगात बक्सर वासियों को दी गई थी, लेकिन चुनाव का परिणाम आने के साथ ही उस योजना की सारी राशि की निकासी तो हो गई, लेकिन वह योजना 11 साल बाद भी जमीन पर नहीं उतर पाई है.

वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जाने से पहले भारत सरकार के परिवार स्वास्थ्य कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा बक्सर को पर्यटन का दर्जा दिलाने, रामायण सर्किट से जोड़ने और बक्सर के युद्ध और चौसा के युद्ध के मैदान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का वादा किया गया था, लेकिन बक्सर की जनता को बीजेपी के नेताओं के वादे पर भरोसा नही हुआ तो बक्सर की जनता ने यहां की चारों विधानसभा सीट महागठबंधन की झोली में डाल दी. बीजेपी अपनी पारंपरिक सीट भी नही बचा पाई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे और स्थानीय कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी के द्वारा जिले के पुराने सदर अस्पताल को दूसरी जगह स्थापित कर पुराने सदर अस्पताल को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कंवर्ट कर दिया गया, लेकिन जनता की नाराजगी को देखते हुए लोकसभा चुनाव में जाने से 6 महीना पहले उसी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का नाम बदलकर दूसरी बार उद्घाटन केंद्रीय मंत्री और स्थानीय विधायक ने कर दिया.

वहीं, उद्घाटन के दौरान ही सार्वजनिक मंच पर श्रेय लेने की होड़ में कांग्रेस विधायक और बीजेपी के सांसद के बीच खूब तू-तू मैं-मैं हो गई. पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे पर कुर्सियों से हमला कर दिया स्वास्थ्य केंद्र देखते ही देखते रणक्षेत्र में तब्दील हो गया था.

सभी सुविधा गायब
बता दें कि इस शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा हेल्थ एटीएम, वाटर एटीएम औऱ एम्बुलेंस की सुविधा दी गई थी, लेकिन चुनाव परिणाम आने के साथ ही हेल्थ एटीएम और वाटर एटीएम में ताला लगया. जबकि, एंबुलेंस कहां चली गयी उसका पता खुद अब तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को नहीं लगा पाए है. जानकारों की मानें तो किराए पर एंबुलेंस को दिखाने के लिए लाया गया था. किराया मिलने के बाद एंबुलेंस कर्मी एम्बुलेंस लेकर वापस चला गया.

क्या कहते हैं विधायक
एक ही स्वास्थ्य केंद्र का दो बार उद्घाटन करने की वजह जब स्थानीय विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से पूछा गयी तो, उन्होंने बताया कि इस शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को बक्सर में लंबे संघर्ष के बाद वर्ष 2017 में मेरे प्रयास से स्थापित किया गया था, लेकिन बक्सर वासियों को ठगने के लिए स्थानीय सांसद ने उसी भवन का रंग बदलकर दूसरी बार हेल्थ वैलनेस सेंटर के रूप में उद्घाटन कर दिया, जिसके कारण बक्सर की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है. उन्होंने कहा कि मंत्री जी को यह बताना चाहिए कि चुनाव के समय उनके द्वारा जो सौगात दी जाती है वो चुनाव खत्म होने के साथ ही खत्म क्यों हो जाती है.

नेताओं के पास नहीं है जनता के सवालों के जवाब
गौरतलब हो कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बक्सर पहुंचे हर पार्टी के दर्जनों नेता बक्सर वासियों के बीच जनसंवाद कर मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने का प्रयास कर रहे है, लेकिन बक्सर वासियों के एक ही सवाल सुनकर सभी नेताओं की जुबान बंद हो जाती है, अब तक बक्सर को क्या दिए हो?

Last Updated : Aug 22, 2020, 11:04 PM IST
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