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1 नवंबर से 31 जनवरी तक धान की खरीद करेगी सरकार, किसान बोले-'कटनी शुरू ही नहीं हुई, तो बेचेंगे कैसे' - etv bharat bihar

बक्सर में 1 नवंबर से लेकर 31 जनवरी तक ही जिले में किसानों के धान (Paddy Crop) की खरीदारी होगी. लेकिन, अब तक जिले के किसी भी प्रखंड में धान की कटनी शुरू नहीं हुई है, तो किसान अपना धान कैसे बेचेंगे.

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Published : Oct 31, 2021, 9:52 AM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर (Buxar) जिले में सरकारी निर्देश के अनुसार 1 नवंबर से लेकर 31 जनवरी तक ही जिले में किसानों के धान (Paddy Crop) की खरीदारी होगी. किसान साधारण धान 1940 रुपए प्रति क्विंटल, ग्रेड-1 का धान 1960 रुपए प्रति क्विंटल पैक्सों में बेच सकेंगे. 17 प्रतिशत तक नमी वाले ही धान की खरीदारी करने के निर्देश दिए गए हैं. 2 लाख 9 हजार रजिस्टर्ड किसानों के द्वारा 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान फसल की बुवाई की गई है. अब तक जिले के किसी भी प्रखंड में धान की कटनी शुरू नहीं हुई है, तो किसान अपना धान कैसे बेचेंगे.

ये भी पढ़ें- SFC निजी गोदामों को 10 वर्षों के लिए किराए पर लेगी, 2021-22 में धान और गेहूं की खरीद बढ़ने की उम्मीद

बक्सर जिले में 1 नवंबर से धान अधिप्राप्ति का काम शुरू हो जाएगा, जो 31 जनवरी तक चलेगा. इसके लिए सहकारिता विभाग ने सारी तैयारी पूरी कर ली है. जिन किसानों ने डीबीटी पोर्टल पर धान अधिप्राप्ति के लिए आवेदन ऑन लाइन कराया होगा सरकार केवल उनके ही धान की खरीददारी पैक्स एवं व्यपार मंडल के जरिये करेगी. जिसके लिए दर भी निर्धारित हो गया है. डीबीटी पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसान साधारण धान 1940 रुपए प्रति क्विंटल, जबकि ग्रेड-1 का धान 1960 रुपए प्रति क्विंटल पैक्स एवं व्यापार मंडल में बेच सकते हैं. जिस धान में नमी 17 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए.

देखें रिपोर्ट

सरकार द्वारा अब तक धान अधिप्राप्ति का नया लक्ष्य तय नहीं किया गया है. वर्ष 2020-21 में जिले में 1 लाख 50 हजार मीट्रिक टन धान खरीदारी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन तमाम प्रयासों के बाद 31 मार्च तक 10 हजार किसानों से मात्र 88 हजार मीट्रिक टन धान की ही खरीदारी विभाग कर पाया था, जिसको देखते हुए इस बार पुराने लक्ष्य को ही प्राप्त करने का टारगेट सहकारिता विभाग एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा तय किया गया है.

जिस जिले में 2 लाख 9 हजार रजिस्टर्ड किसान हैं, वहां के मात्र 10 हजार किसान ही साल 2020-21 में डीबीटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा पाए थे. जिसका सबसे बड़ा कारण जागरूकता का अभाव देखा गया था. जो खेतो में काम करने वाले या फिर बटाईदार किसान हैं. उनको इस बात की जानकारी ही नहीं है कि सरकारी समितियों में धान बेचने के लिए वह रजिस्ट्रेशन कहां कराएं और उसके लिए कौन-कौन से कागजात की जरूरत है, जिसका फायदा उठाते हुए कई व्यापारी किसानों के नाम पर ही रजिस्ट्रेशन कराए हुए हैं और पैक्स कर्मियों के साथ मिलीभगत कर वह किसानों से सस्ते दाम पर धान की खरीददारी कर सीधे पैक्स को बेच देते हैं.

वहीं, पैक्स कर्मी भी अहम भूमिका निभाते हुए किसानों को इस बात का डर दिखाते है कि बोरा से लेकर पालदारी तक का पैसा किसान को ही देना पड़ेगा. प्रत्येक 50 केजी के पैकेट पर 4 केजी अधिक धान देना होगा. नमी होगा तो धान वापस कर दिया जाएगा. इन मुसीबतों से बचने के लिए किसान औने पौने दाम में अपनी फसल को स्थानीय व्यापारी को ही बेच देते हैं.

ये भी पढ़ें- इतनी बरसात भी अच्छी नहीं.. धान की फसल तैयार पर खेतों में पानी लबालब, नष्ट हो रहे पैदावार

साल 2021 किसानों के लिए मुसीबतों से भरा रहा है. कोरोना वैश्विक महामारी के बीच जिले के लाखों किसानों ने जो धान की फसल लगाई थी, उसमें से 10 हेक्टयर भूमि में लगी धान की फसल अगस्त महीने में बाढ़ की भेंट चढ़ गई, जिस इलाके में बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाया था वहां की फसल अचानक सितम्बर माह में झुलसा, गलका, मधुवा, लीफ ब्लाईट नामक बीमारी की चपेट में आ गई और सैकड़ों एकड़ में लगी फसल बाली आने से पहले ही सूखने लगी.

अक्टूबर माह में आए शाहीन तूफान ने खेतों में लगे धान की फसल को गिरा दिया. इस तबाही की मंजर को देख जिलाधिकारी के द्वारा यह आश्वासन जरूर दिया गया था कि विभागीय अधिकारी इसका सर्वे करेंगे, लेकिन हैरानी की बात है कि 20 दिन गुजर गया. लेकिन, किसी ने किसानों का हाल जानना भी उचित नहीं समझा. ऐसे में जिस किसान का धान पानी में गिरकर हिचकोले खा रहा हो वह नवम्बर में अपना धान कैसे बेच पायेगा.

ईटीवी भारत की टीम ने जिले के किसानों की समस्याओं से जिलाधिकारी अमन समीर एवं उप विकास आयुक्त योगेश कुमार सागर को अवगत कराया था. साथ ही यह सुझाव भी दिया था कि यदि कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार किसानों के बीच जाकर डीबीटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने में उनका सहयोग करें, तो अधिक से अधिक किसान पैक्स तक पहुंच पाएंगे. आलम यह है कि जागरूकता और जानकारी के अभाव में मात्र 4 हजार किसान ही डीबीटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा पाए हैं. 31 अक्टूबर के बाद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन भी बंद हो जाएगा.

''विभागीय सारी तैयारी पूरी हो गई हैं. 1 नवंबर से धान की अधिप्राप्ति शुरू हो जाएगी, लेकिन चिंता का विषय है कि मात्र 4 हजार किसान ही अब तक रजिस्ट्रेशन करा पाए हैं. जब तक 30 हजार किसान रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे, तब तक उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकेगा. इस साल 1 लाख 25 हजार मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीदारी करने का लक्ष्य हम लोगो ने रखा है. विभाग के वरीय अधिकारियों को रजिस्ट्रेशन की तिथि बढ़ाने के लिए आग्रह किया जाएगा.''- अमन समीर, डीएम

ये भी पढ़ें- समस्तीपुर में बारिश और आंधी से खेतों में खड़ी धान की फसल बर्बाद

खेतों में काम करने वाले किसानों ने बताया कि सरकार को धान बेचने के लिए किसान को क्या करना पड़ेगा. इस बात की जानकारी ही नहीं है और ना ही कभी किसी के द्वारा इस बारे में बताया गया है. अधिकारी कहते हैं कि अखबार में इसकी सूचना दे दी गई है, तो उनको यह बताना चाहिए कि खेतों में काम करने वाले और दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले कितने ऐसे किसान हैं, जिनके घर पर अखबार आता है और वह उसे पढ़कर सरकार की बातों को समझ पाएंगे.

बेहतर होता कि सरकार गांव-गांव में इस बात का प्रचार प्रसार करवाती तो अधिक से अधिक किसान अपने धानों को पैक्सों में बेच पाते, लेकिन आज भी किसानों को सरकारी बाबू के रहम करम पर ही निर्भर रहना पड़ता है. हमारा ही धान व्यापारी खरीदकर ट्रक के ट्रक पैक्स में बेचते हैं. लेकिन, किसी के द्वारा आपत्ति नहीं जताई जाती है. जब बात किसानों की आ जाए तो नियमों का पाठ पढ़ाया जाता है.

गौरतलब है कि इस बार बक्सर जिले में कुल पांच लाख मैट्रिक टन धान का उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है. जिसको देखते हुए जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा डेढ़ लाख मैट्रिक टन धान की खरीदारी करने का लक्ष्य रखा गया है. हैरानी की बात है कि जिले में अब तक धान के कटनी की शुरुआत भी नहीं हुई है और 1 नवंबर से ही धान अधिप्राप्ति की तिथि निर्धारित कर दी गई है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब खेतों में धान के कटनी ही नहीं होगा, तो फिर किसान अपना उत्पादन कैसे बेच पाएंगे.

बक्सर: बिहार के बक्सर (Buxar) जिले में सरकारी निर्देश के अनुसार 1 नवंबर से लेकर 31 जनवरी तक ही जिले में किसानों के धान (Paddy Crop) की खरीदारी होगी. किसान साधारण धान 1940 रुपए प्रति क्विंटल, ग्रेड-1 का धान 1960 रुपए प्रति क्विंटल पैक्सों में बेच सकेंगे. 17 प्रतिशत तक नमी वाले ही धान की खरीदारी करने के निर्देश दिए गए हैं. 2 लाख 9 हजार रजिस्टर्ड किसानों के द्वारा 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान फसल की बुवाई की गई है. अब तक जिले के किसी भी प्रखंड में धान की कटनी शुरू नहीं हुई है, तो किसान अपना धान कैसे बेचेंगे.

ये भी पढ़ें- SFC निजी गोदामों को 10 वर्षों के लिए किराए पर लेगी, 2021-22 में धान और गेहूं की खरीद बढ़ने की उम्मीद

बक्सर जिले में 1 नवंबर से धान अधिप्राप्ति का काम शुरू हो जाएगा, जो 31 जनवरी तक चलेगा. इसके लिए सहकारिता विभाग ने सारी तैयारी पूरी कर ली है. जिन किसानों ने डीबीटी पोर्टल पर धान अधिप्राप्ति के लिए आवेदन ऑन लाइन कराया होगा सरकार केवल उनके ही धान की खरीददारी पैक्स एवं व्यपार मंडल के जरिये करेगी. जिसके लिए दर भी निर्धारित हो गया है. डीबीटी पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसान साधारण धान 1940 रुपए प्रति क्विंटल, जबकि ग्रेड-1 का धान 1960 रुपए प्रति क्विंटल पैक्स एवं व्यापार मंडल में बेच सकते हैं. जिस धान में नमी 17 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए.

देखें रिपोर्ट

सरकार द्वारा अब तक धान अधिप्राप्ति का नया लक्ष्य तय नहीं किया गया है. वर्ष 2020-21 में जिले में 1 लाख 50 हजार मीट्रिक टन धान खरीदारी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन तमाम प्रयासों के बाद 31 मार्च तक 10 हजार किसानों से मात्र 88 हजार मीट्रिक टन धान की ही खरीदारी विभाग कर पाया था, जिसको देखते हुए इस बार पुराने लक्ष्य को ही प्राप्त करने का टारगेट सहकारिता विभाग एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा तय किया गया है.

जिस जिले में 2 लाख 9 हजार रजिस्टर्ड किसान हैं, वहां के मात्र 10 हजार किसान ही साल 2020-21 में डीबीटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा पाए थे. जिसका सबसे बड़ा कारण जागरूकता का अभाव देखा गया था. जो खेतो में काम करने वाले या फिर बटाईदार किसान हैं. उनको इस बात की जानकारी ही नहीं है कि सरकारी समितियों में धान बेचने के लिए वह रजिस्ट्रेशन कहां कराएं और उसके लिए कौन-कौन से कागजात की जरूरत है, जिसका फायदा उठाते हुए कई व्यापारी किसानों के नाम पर ही रजिस्ट्रेशन कराए हुए हैं और पैक्स कर्मियों के साथ मिलीभगत कर वह किसानों से सस्ते दाम पर धान की खरीददारी कर सीधे पैक्स को बेच देते हैं.

वहीं, पैक्स कर्मी भी अहम भूमिका निभाते हुए किसानों को इस बात का डर दिखाते है कि बोरा से लेकर पालदारी तक का पैसा किसान को ही देना पड़ेगा. प्रत्येक 50 केजी के पैकेट पर 4 केजी अधिक धान देना होगा. नमी होगा तो धान वापस कर दिया जाएगा. इन मुसीबतों से बचने के लिए किसान औने पौने दाम में अपनी फसल को स्थानीय व्यापारी को ही बेच देते हैं.

ये भी पढ़ें- इतनी बरसात भी अच्छी नहीं.. धान की फसल तैयार पर खेतों में पानी लबालब, नष्ट हो रहे पैदावार

साल 2021 किसानों के लिए मुसीबतों से भरा रहा है. कोरोना वैश्विक महामारी के बीच जिले के लाखों किसानों ने जो धान की फसल लगाई थी, उसमें से 10 हेक्टयर भूमि में लगी धान की फसल अगस्त महीने में बाढ़ की भेंट चढ़ गई, जिस इलाके में बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाया था वहां की फसल अचानक सितम्बर माह में झुलसा, गलका, मधुवा, लीफ ब्लाईट नामक बीमारी की चपेट में आ गई और सैकड़ों एकड़ में लगी फसल बाली आने से पहले ही सूखने लगी.

अक्टूबर माह में आए शाहीन तूफान ने खेतों में लगे धान की फसल को गिरा दिया. इस तबाही की मंजर को देख जिलाधिकारी के द्वारा यह आश्वासन जरूर दिया गया था कि विभागीय अधिकारी इसका सर्वे करेंगे, लेकिन हैरानी की बात है कि 20 दिन गुजर गया. लेकिन, किसी ने किसानों का हाल जानना भी उचित नहीं समझा. ऐसे में जिस किसान का धान पानी में गिरकर हिचकोले खा रहा हो वह नवम्बर में अपना धान कैसे बेच पायेगा.

ईटीवी भारत की टीम ने जिले के किसानों की समस्याओं से जिलाधिकारी अमन समीर एवं उप विकास आयुक्त योगेश कुमार सागर को अवगत कराया था. साथ ही यह सुझाव भी दिया था कि यदि कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार किसानों के बीच जाकर डीबीटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने में उनका सहयोग करें, तो अधिक से अधिक किसान पैक्स तक पहुंच पाएंगे. आलम यह है कि जागरूकता और जानकारी के अभाव में मात्र 4 हजार किसान ही डीबीटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा पाए हैं. 31 अक्टूबर के बाद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन भी बंद हो जाएगा.

''विभागीय सारी तैयारी पूरी हो गई हैं. 1 नवंबर से धान की अधिप्राप्ति शुरू हो जाएगी, लेकिन चिंता का विषय है कि मात्र 4 हजार किसान ही अब तक रजिस्ट्रेशन करा पाए हैं. जब तक 30 हजार किसान रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे, तब तक उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकेगा. इस साल 1 लाख 25 हजार मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीदारी करने का लक्ष्य हम लोगो ने रखा है. विभाग के वरीय अधिकारियों को रजिस्ट्रेशन की तिथि बढ़ाने के लिए आग्रह किया जाएगा.''- अमन समीर, डीएम

ये भी पढ़ें- समस्तीपुर में बारिश और आंधी से खेतों में खड़ी धान की फसल बर्बाद

खेतों में काम करने वाले किसानों ने बताया कि सरकार को धान बेचने के लिए किसान को क्या करना पड़ेगा. इस बात की जानकारी ही नहीं है और ना ही कभी किसी के द्वारा इस बारे में बताया गया है. अधिकारी कहते हैं कि अखबार में इसकी सूचना दे दी गई है, तो उनको यह बताना चाहिए कि खेतों में काम करने वाले और दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले कितने ऐसे किसान हैं, जिनके घर पर अखबार आता है और वह उसे पढ़कर सरकार की बातों को समझ पाएंगे.

बेहतर होता कि सरकार गांव-गांव में इस बात का प्रचार प्रसार करवाती तो अधिक से अधिक किसान अपने धानों को पैक्सों में बेच पाते, लेकिन आज भी किसानों को सरकारी बाबू के रहम करम पर ही निर्भर रहना पड़ता है. हमारा ही धान व्यापारी खरीदकर ट्रक के ट्रक पैक्स में बेचते हैं. लेकिन, किसी के द्वारा आपत्ति नहीं जताई जाती है. जब बात किसानों की आ जाए तो नियमों का पाठ पढ़ाया जाता है.

गौरतलब है कि इस बार बक्सर जिले में कुल पांच लाख मैट्रिक टन धान का उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है. जिसको देखते हुए जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा डेढ़ लाख मैट्रिक टन धान की खरीदारी करने का लक्ष्य रखा गया है. हैरानी की बात है कि जिले में अब तक धान के कटनी की शुरुआत भी नहीं हुई है और 1 नवंबर से ही धान अधिप्राप्ति की तिथि निर्धारित कर दी गई है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब खेतों में धान के कटनी ही नहीं होगा, तो फिर किसान अपना उत्पादन कैसे बेच पाएंगे.

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