बक्सरः भारत सरकार के स्वच्छता मिशन और बिहार सरकार के लोहिया स्वच्छता अभियान के बाद भी बक्सर शहर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. नगर परिषद के तमाम कोशिश के बाद भी शहर की सड़कों से गंदगी दूर नहीं हो रही है. जिससे लोगों को संक्रमण का खतरा सता रहा है.
सुध लेने वाला कोई नहीं
नगर परिषद के अधिकारियों ने नगर की साफ-सफाई का टेंडर सत्ताधारी दल के नेताओं को दे दिया है. सफाई के नाम पर प्रत्येक माह 34 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं, फिर भी शहर को स्वच्छ नहीं बनाया जा सका है. लोगों ने कहा कि सड़क पर पसरे गंदगी को लेकर कई बार नगर परिषद में शिकायत भी गई है, लेकिन कोई सुधी लेना वाला नहीं है.
'क्या करे नगर परिषद'
इस मामले को लेकर नगर प्रबंधक असगर अली और कार्यपालक अधिकारी सुजीत कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब तक स्थानीय लोगों में चेतना नहीं आएगी. तब तक शहर को साफ नहीं रखा जा सकता है. विभाग के पास ना तो कूड़ा डंपिंग यार्ड है और ना ही कूड़ों के निस्तारण के लिए कोई जगह. ऐसे में नगर परिषद के अधिकारी क्या कर सकते हैं.
सड़क निर्माण में भी अनियमितता
बता दें कि शहर के कई वार्डों में बनने वाले सड़क को संवेदक और अधिकारियो की मिलीभगत से दूसरे जगह पर बना दिया गया. स्थानीय लोगों ने जब जिलाधिकारी से शिकायत की तो आरोपी अधिकारियों को ही जांच की जिम्मेवारी दे दी गई. जांच के बाद पूरे मामले की लीपापोती कर दी गई. जब भी मीडिया इन सवालों का जवाब संबंधित अधिकारियों से मांगती है, तो वे चुप्पी साध लेते हैं.