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बक्सर में यूरिया के लिए हाहाकार, सुबह से शाम तक लाइन में लगने के बाद भी नहीं मिल रही खाद

Buxar News बक्सर में यूरिया की कमी (Shortage of Urea In Buxar) से किसान परेशान हैं. खाद के लिए किसान सुबह से ही लाइन में लगते हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्हें यूरिया नहीं मिल पा रहा है. पढ़ें पूरी खबर

बक्सर में यूरिया के लिए लाइन में लगे किसान
बक्सर में यूरिया के लिए लाइन में लगे किसान
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Published : Jan 8, 2023, 9:40 AM IST

बक्सर में खाद के लिए किसान परेशान

बक्सर: बिहार के बक्सर में यूरिया के लिए हाहाकार (Outcry for urea in Buxar) मचा हुआ है. गेंहू की फसल की पहली सिंचाई के बाद यूरिया के छिड़काव करने के लिए किसान हाड़ कंपा देने वाले इस ठंड में दुकानदारों से लेकर कृषि कार्यालय तक चक्कर लगा रहे हैं. उसके बाद भी उन्हें यूरिया नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- गोपालगंज: कोरोना और बाढ़ के बाद यूरिया की कालाबजारी से त्रस्त किसान

1 लाख 13 हजार हेक्टेयर भूमि पर रवि फसल की बुवाई: जिले के 1 लाख 46 हजार रजिस्टर्ड किसानों के द्वारा 1 लाख 13 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं फसल की बुआई की गई है. गेहूं की पहली सिंचाई करने के बाद अब किसान यूरिया के छिड़काव करने के लिए दुकानदारों से लेकर जिला कृषि कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.

खाद की भारी किल्लत: खाद की किल्लत को लेकर राजधानी पटना से लेकर बक्सर तक केवल बैठकों का दौर जारी है. उसके बाद भी विभागीय अधिकारियों ने हाथ खड़े कर लिए हैं, जिससे किसानों (Farmers Upset In Buxar) में आक्रोश है. जिले के किसान बिहार के रोहतास और भोजपुर के अलावे यूपी के गाजीपुर, बलिया और गोरखपुर तक दौड़ लगा रहे है. उसके बाद भी उन्हें यूरिया नही मिल रहा है.

3 बजे से रात्रि 9 बजे तक लाइन में लगे है किसान: गेहूं की पहली सिंचाई करने के बाद यूरिया की छिड़काव करने के लिए जिले के हजारों महिला और पुरुष किसान सुबह 3 बजे से रात्रि 9 बजे तक लाइन में लग रहे हैं, उसके बाद भी उन्हें यूरिया नहीं मिल रहा है. उर्वरक के अभाव में खेतों में लगी फसल सूखने लगी है. विभाग के द्वारा जो उर्वरक मंगाया जा रहा है. वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है.

डीलरों के गोदाम में भरा पड़ा है यूरिया: जिले के किसानों को जंहा यूरिया नहीं मिल रहा है. वहीं कुछ प्राइवेट डीलरों ने पहले ही यूरिया को अपने गोदामो में जमा कर लिया है. अब वह 266 रुपये पैकेट का यूरिया 700 से लेकर 1000 में किसानों को बेच रहे हैं. हालांकि ईटीवी भारत की टीम के द्वारा जब जिलाधिकारी अमन समीर को इस बात की सूचना दी गई तो, कई दुकानदारों ने दुकान में ताला बन्दकर वहां से निकल गए.

प्रत्येक साल का यही है हाल: डीएपी के बाद अब यूरिया की किल्लत और कालाबाजारी से परेशान सैकड़ों किसान जिला कृषि कार्यालय पहुंचकर यूरिया उपलब्ध कराने के लिए अधिकारी से गुहार लगा रहे हैं. किसानों का कहना है कि, जब रबी फसल की बुवाई का समय था तो, किसानों को डीएपी नहीं मिला. खरपतवार डालकर किसी तरह गेंहू की बुवाई की गई. अब सिंचाई करने के बाद यूरिया नहीं मिल रहा है. प्रत्येक साल का यही हाल है उर्वरक कारोबारी कृषि विभाग के अधिकारियो को मोटी रकम देकर पहले ही अपने गोदामो में उर्वरक को जामा कर लेते हैं और उसे मनमाने दाम पर बेचते हैं.

जिले के ग्यारहों प्रखंड के हजारों किसान सुबह 3 बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक इस कड़ाके की ठंड में यूरिया के लिए लाइन लगते हैं. उसके बाद भी निराशाजनक ही जवाब मिलता है. सुबह से लाइन में खड़े किसानों ने सरकार और विभागीय अधिकारियों से सवाल पूछते हुए कहा कि सता सुख पाने के लिए नेता गठबंधन बदल लेते हैं, किसान क्या बदले की उनकी दशा बदले.

अधिकारी नहीं उठाते फोन: जब इस मामले को लेकर जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार को फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. विभागीय सूत्रों की मानें तो विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से ही डीलर उर्वरक की कालाबाजारी करते हैं. जिसके एवज में प्रत्येक डीलर एक सीजन के लिए विभागीय अधिकारियों को 25 हजार से लेकर 40 हजार की मोटी रकम देकर मुंह बन्द करा देते है और किसानों का दोहन करते हैं.

बक्सर में खाद के लिए किसान परेशान

बक्सर: बिहार के बक्सर में यूरिया के लिए हाहाकार (Outcry for urea in Buxar) मचा हुआ है. गेंहू की फसल की पहली सिंचाई के बाद यूरिया के छिड़काव करने के लिए किसान हाड़ कंपा देने वाले इस ठंड में दुकानदारों से लेकर कृषि कार्यालय तक चक्कर लगा रहे हैं. उसके बाद भी उन्हें यूरिया नहीं मिल रहा है.

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1 लाख 13 हजार हेक्टेयर भूमि पर रवि फसल की बुवाई: जिले के 1 लाख 46 हजार रजिस्टर्ड किसानों के द्वारा 1 लाख 13 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं फसल की बुआई की गई है. गेहूं की पहली सिंचाई करने के बाद अब किसान यूरिया के छिड़काव करने के लिए दुकानदारों से लेकर जिला कृषि कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.

खाद की भारी किल्लत: खाद की किल्लत को लेकर राजधानी पटना से लेकर बक्सर तक केवल बैठकों का दौर जारी है. उसके बाद भी विभागीय अधिकारियों ने हाथ खड़े कर लिए हैं, जिससे किसानों (Farmers Upset In Buxar) में आक्रोश है. जिले के किसान बिहार के रोहतास और भोजपुर के अलावे यूपी के गाजीपुर, बलिया और गोरखपुर तक दौड़ लगा रहे है. उसके बाद भी उन्हें यूरिया नही मिल रहा है.

3 बजे से रात्रि 9 बजे तक लाइन में लगे है किसान: गेहूं की पहली सिंचाई करने के बाद यूरिया की छिड़काव करने के लिए जिले के हजारों महिला और पुरुष किसान सुबह 3 बजे से रात्रि 9 बजे तक लाइन में लग रहे हैं, उसके बाद भी उन्हें यूरिया नहीं मिल रहा है. उर्वरक के अभाव में खेतों में लगी फसल सूखने लगी है. विभाग के द्वारा जो उर्वरक मंगाया जा रहा है. वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है.

डीलरों के गोदाम में भरा पड़ा है यूरिया: जिले के किसानों को जंहा यूरिया नहीं मिल रहा है. वहीं कुछ प्राइवेट डीलरों ने पहले ही यूरिया को अपने गोदामो में जमा कर लिया है. अब वह 266 रुपये पैकेट का यूरिया 700 से लेकर 1000 में किसानों को बेच रहे हैं. हालांकि ईटीवी भारत की टीम के द्वारा जब जिलाधिकारी अमन समीर को इस बात की सूचना दी गई तो, कई दुकानदारों ने दुकान में ताला बन्दकर वहां से निकल गए.

प्रत्येक साल का यही है हाल: डीएपी के बाद अब यूरिया की किल्लत और कालाबाजारी से परेशान सैकड़ों किसान जिला कृषि कार्यालय पहुंचकर यूरिया उपलब्ध कराने के लिए अधिकारी से गुहार लगा रहे हैं. किसानों का कहना है कि, जब रबी फसल की बुवाई का समय था तो, किसानों को डीएपी नहीं मिला. खरपतवार डालकर किसी तरह गेंहू की बुवाई की गई. अब सिंचाई करने के बाद यूरिया नहीं मिल रहा है. प्रत्येक साल का यही हाल है उर्वरक कारोबारी कृषि विभाग के अधिकारियो को मोटी रकम देकर पहले ही अपने गोदामो में उर्वरक को जामा कर लेते हैं और उसे मनमाने दाम पर बेचते हैं.

जिले के ग्यारहों प्रखंड के हजारों किसान सुबह 3 बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक इस कड़ाके की ठंड में यूरिया के लिए लाइन लगते हैं. उसके बाद भी निराशाजनक ही जवाब मिलता है. सुबह से लाइन में खड़े किसानों ने सरकार और विभागीय अधिकारियों से सवाल पूछते हुए कहा कि सता सुख पाने के लिए नेता गठबंधन बदल लेते हैं, किसान क्या बदले की उनकी दशा बदले.

अधिकारी नहीं उठाते फोन: जब इस मामले को लेकर जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार को फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. विभागीय सूत्रों की मानें तो विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से ही डीलर उर्वरक की कालाबाजारी करते हैं. जिसके एवज में प्रत्येक डीलर एक सीजन के लिए विभागीय अधिकारियों को 25 हजार से लेकर 40 हजार की मोटी रकम देकर मुंह बन्द करा देते है और किसानों का दोहन करते हैं.

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