बक्सर: 14 नवंबर को धूमधाम से दीपावली मनाने के लिए सभी ने अपने-अपने स्तर से तैयारियां शुरू कर दी है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग भी लोगों को जागरूक करने की तैयारी में है. कोरोना काल में दीपावली को लेकर स्वास्थ्य विभाग कोरोना मरीजों के साथ-साथ सांस की बीमारियों (एलर्जीक, अस्थमा, टीबी आदि) से ग्रसित मरीजों को लेकर चिंतित हैं.
कोरोना मरीजों के लिए बढ़ा खतरा
चिकित्सकों को मानना है कि दीपावली के अवसर पर लोग पटाखों का जमकर प्रयोग करते हैं, जो कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के साथ अन्य मरीजों के लिए खतरा बन सकता है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ अपने जिले के लोगों के लिए जागरूक होना होगा, जिससे दूसरों को परेशानियों का सामना न करना पड़े.
धुएं से सांस के मरीजों को एलर्जी
सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने बताया सांस के बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए ठंड का मौसम ही परेशानियों का सबब बन जाता है. वहीं कोरोना काल में इसका खतरा और भी बढ़ा हुआ है. इसके साथ ही साथ अब दीपावली भी आने वाली है. दीपावली के दिन लोग पटाखें, फूलझड़ियां आदि जमकर जलाते हैं, लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि उनसे निकलने वाला धुआं कितना खतरनाक होता है. पटाखों के अंदर जो भी बारूद होता है, उसका धुआं सांस के मरीजों के लिए जानलेवा हो सकता है. उस धुएं में ऐसे कई हानिकारक रसायन होते हैं, जो सांस के मरीजों के अलावा कोरोना मरीजों की जिन्दगी खतरे में डाल सकते हैं.
कोरोना काल में दीपावली पर दीयों का करें प्रयोग
सिविल सर्जन डॉ. नाथ ने कहा कि दीपावली दीयों और प्रकाश का त्यौहार है. इसलिए इसे परंपरागत ढंग से ही मनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी को ग्रीन दीपावली मनाने का संकल्प लेना चाहिए, जिससे प्रकाश के इस महापर्व को मनाने के साथ कोरोना संक्रमण पर भी विजय पा सके. इसके लिए लोगों को थोड़ा जागरूक होना होगा. उन्होंने बताया कि पर्व-त्योहारों के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निर्धारित कोविड-19 के सभी नियमों का सख्ती से पालन करना और कराना होगा. मंदिर में पूजा के लिए जाने से पहले मास्क, रूमाल या गमछा से अपने मुंह व नाक को ढकना होगा.