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बक्सर JDU में घमासान जारी, पूर्व जिलाध्यक्ष ने दी शीर्ष नेतृत्व को चेतावनी - मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

बक्सर जेडीयू में अंतर्कलह (Dispute in Buxar JDU) ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. जिलाध्यक्ष चुनाव के बाद से ही पार्टी में दो फाड़ बनती जा रही है. पूर्व जिलाध्यक्ष ने शीर्ष नेतृत्व को चेतावनी दी है तो वहीं वर्तमान अध्यक्ष का कहना है कि ऐसे लोगो की बातों पर हमलोग ध्यान नहीं देते.

बक्सर जेडीयू में अंतर्कलह
बक्सर जेडीयू में अंतर्कलह
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Published : Dec 4, 2022, 11:49 AM IST

बक्सर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भले ही एनडीए से अलग होकर आरजेडी-कांग्रेस और वाम दलों के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं लेकिन अपनी ही पार्टी के अंदर उपज रहे विद्रोह को दबाने की उनकी हर कोशिश नाकाम हो रही है. आलम यह है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी दो गुटों में बंटती दिखाई दे रही है. पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में पनप रहे आक्रोश का लाभ अन्य पार्टी के नेता उठा रहे हैं. जिनका दावा है कि आने वाले समय में जेडीयू का झंडा उठाने वाला भी कोई नहीं रहेगा.

ये भी पढ़ें: बक्सर जिला अध्यक्ष बदलने को लेकर परटना जेडीयू कार्यालाय पर धरना

जिलाध्यक्ष के चुनाव के बाद से जेडीयू में दो फाड़!: नवम्बर महीने में जेडीयू जिलाध्यक्ष पदों के चुनाव के दैरान पूरे बिहार में पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओ ने बवाल किया. कई जगहों पर अध्यक्ष के नाम को बदलकर पार्टी ने तीसरे नाम को मनोनीत किया. जिसके के बाद जीते हुए नाराज जिलाध्यक्षों ने दल बल के साथ पटना में पार्टी मुख्यालय के गेट पर धरना प्रदर्शन किया. जिसके बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अपना ही निर्णय बदलना पड़ा और चुने हुए अध्यक्ष की नाम की घोषणा पुनः करनी पड़ी. पार्टी की इस कमजोर कड़ी का फायदा उठाते हुए पार्टी के नेताओ ने विद्रोह करना शुरू कर दिया है.



कार्यकर्ताओ ने दिया शीर्ष नेताओं को अल्टीमेटम: पार्टी के अंदर चल रहे खींचतान को लेकर जेडीयू के वर्तमान और पूर्व जिलाध्यक्ष आमने-सामने हैं. पूर्व जिलाध्यक्ष विंध्याचल कुशवाहा ने अपने ही पार्टी के वरीय नेताओ पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब हमलोग इस पार्टी में आये थे तो बक्सर जिले के किसी भी प्रखण्ड में जेडीयू के झंडा उठाने वाला 2 कार्यकर्ता नहीं था. दिन-रात परिश्रम कर पार्टी को खड़ा किया. आज शीर्ष नेतृत्व ही लोकतंत्र की गला घोंट रहा है.

"जेडीयू जिलाध्यक्ष पद के चुनाव में आरजेडी के बाहुबली नेताओ को आमंत्रित करके बुलाया गया था. 4 गाड़ियों में केवल हॉकी स्टिक एवं अन्य अस्त्र शस्त्र लाये गए थे. जिससे कि कोई विरोध न करे. डीआरओ बताए कि जब नॉमिनेशन करने वाले उम्मीदवार ने हस्ताक्षर ही नहीं किया तो वह अपना नाम वापस कैसे ले लियां. नही तो उनपर भी मैं एफआईआर करूंगा. अभी तो मात्र 135 लोगों ने पार्टी से एक साथ इस्तीफा दिया है. पार्टी ने जल्द ही कोई निर्णय नहीं लिया तो अगले चुनाव में इसका परिणाम भी भुगतने होंगे"- विंध्याचल कुशवाहा, पूर्व जिलाध्यक्ष, जेडीयू

'बक्सर जेडीयू में अंतर्कलह की बात गलत': वहीं, जेडीयू के अंदर चल रहे खींचतान पर नए जिलाध्यक्ष ने सफाई देते हुए कहा कि पार्टी के अंदर कोई आक्रोश नहीं है. जो लोग बयान दे रहे हैं, उनको यह भी पता नहीं है कि कौन कार्यकर्ता जेडीयू के हैं और कौन आरजेडी के. आने वाले लोकसभा और विधानसभा में जिले की तमाम सीटों को जीतने में जेडीयू सफल होगी. पार्टी ऐसे लोगो की बातों पर कोई ध्यान नहीं देती है, जो अनर्गल बयानबाजी करते हैं.

"सभी कार्यकर्ता एक जुट है और लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हुआ है. जो लोग बयान दे रहे हैं, उनको यह भी पता नहीं है कि कौन कार्यकर्ता जेडीयू के हैं और कौन आरजेडी के. आने वाले लोकसभा और विधानसभा में जिले की तमाम सीटों को जीतने में जेडीयू सफल होगी"- अशोक यादव, वर्तमान जिलाध्यक्ष, जेडीयू

बक्सर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भले ही एनडीए से अलग होकर आरजेडी-कांग्रेस और वाम दलों के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं लेकिन अपनी ही पार्टी के अंदर उपज रहे विद्रोह को दबाने की उनकी हर कोशिश नाकाम हो रही है. आलम यह है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी दो गुटों में बंटती दिखाई दे रही है. पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में पनप रहे आक्रोश का लाभ अन्य पार्टी के नेता उठा रहे हैं. जिनका दावा है कि आने वाले समय में जेडीयू का झंडा उठाने वाला भी कोई नहीं रहेगा.

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जिलाध्यक्ष के चुनाव के बाद से जेडीयू में दो फाड़!: नवम्बर महीने में जेडीयू जिलाध्यक्ष पदों के चुनाव के दैरान पूरे बिहार में पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओ ने बवाल किया. कई जगहों पर अध्यक्ष के नाम को बदलकर पार्टी ने तीसरे नाम को मनोनीत किया. जिसके के बाद जीते हुए नाराज जिलाध्यक्षों ने दल बल के साथ पटना में पार्टी मुख्यालय के गेट पर धरना प्रदर्शन किया. जिसके बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अपना ही निर्णय बदलना पड़ा और चुने हुए अध्यक्ष की नाम की घोषणा पुनः करनी पड़ी. पार्टी की इस कमजोर कड़ी का फायदा उठाते हुए पार्टी के नेताओ ने विद्रोह करना शुरू कर दिया है.



कार्यकर्ताओ ने दिया शीर्ष नेताओं को अल्टीमेटम: पार्टी के अंदर चल रहे खींचतान को लेकर जेडीयू के वर्तमान और पूर्व जिलाध्यक्ष आमने-सामने हैं. पूर्व जिलाध्यक्ष विंध्याचल कुशवाहा ने अपने ही पार्टी के वरीय नेताओ पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब हमलोग इस पार्टी में आये थे तो बक्सर जिले के किसी भी प्रखण्ड में जेडीयू के झंडा उठाने वाला 2 कार्यकर्ता नहीं था. दिन-रात परिश्रम कर पार्टी को खड़ा किया. आज शीर्ष नेतृत्व ही लोकतंत्र की गला घोंट रहा है.

"जेडीयू जिलाध्यक्ष पद के चुनाव में आरजेडी के बाहुबली नेताओ को आमंत्रित करके बुलाया गया था. 4 गाड़ियों में केवल हॉकी स्टिक एवं अन्य अस्त्र शस्त्र लाये गए थे. जिससे कि कोई विरोध न करे. डीआरओ बताए कि जब नॉमिनेशन करने वाले उम्मीदवार ने हस्ताक्षर ही नहीं किया तो वह अपना नाम वापस कैसे ले लियां. नही तो उनपर भी मैं एफआईआर करूंगा. अभी तो मात्र 135 लोगों ने पार्टी से एक साथ इस्तीफा दिया है. पार्टी ने जल्द ही कोई निर्णय नहीं लिया तो अगले चुनाव में इसका परिणाम भी भुगतने होंगे"- विंध्याचल कुशवाहा, पूर्व जिलाध्यक्ष, जेडीयू

'बक्सर जेडीयू में अंतर्कलह की बात गलत': वहीं, जेडीयू के अंदर चल रहे खींचतान पर नए जिलाध्यक्ष ने सफाई देते हुए कहा कि पार्टी के अंदर कोई आक्रोश नहीं है. जो लोग बयान दे रहे हैं, उनको यह भी पता नहीं है कि कौन कार्यकर्ता जेडीयू के हैं और कौन आरजेडी के. आने वाले लोकसभा और विधानसभा में जिले की तमाम सीटों को जीतने में जेडीयू सफल होगी. पार्टी ऐसे लोगो की बातों पर कोई ध्यान नहीं देती है, जो अनर्गल बयानबाजी करते हैं.

"सभी कार्यकर्ता एक जुट है और लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हुआ है. जो लोग बयान दे रहे हैं, उनको यह भी पता नहीं है कि कौन कार्यकर्ता जेडीयू के हैं और कौन आरजेडी के. आने वाले लोकसभा और विधानसभा में जिले की तमाम सीटों को जीतने में जेडीयू सफल होगी"- अशोक यादव, वर्तमान जिलाध्यक्ष, जेडीयू

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