बक्सर: पिछले एक सप्ताह से पूरा जिला शीतलहर की चपेट में है. कोहरा और पाला पड़ने से आलू, टमाटर, मसूर, सरसों और गेंहू की फसल खराब (Crops Damaged Due To Cold Wave In Buxar) होने लगी है. जिसको लेकर जिले के किसान परेशान हैं. किसानों की मानें तो यही हालात कुछ दिन और रहे तो 80 प्रतिशत से अधिक आलू की फसल बर्बाद हो जाएगी.
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बक्सर के किसानों की परेशानियों (Buxar Farmers Worried) को देख कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि, फसलों पर सही दवा का छिड़काव करें ताकि, बर्बादी से बचा जा सके. इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र (Agricultural Scientists Mobile Number Released In Buxar) ने मोबाइल नम्बर 7903599212 जारी किया है. इस नंबर पर कॉल कर किसान परामर्श ले सकते हैं. साथ ही जरूरत पड़ी तो, किसानों के सहयोग के लिए उनके खेतों तक वैज्ञानिक आएंगे और फसलों को बचाने का रास्ता बताएंगे.
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सब्जी उत्पादन में विशेष पहचान रखने वाले बक्सर जिले के सिमरी और डुमरांव प्रखंड के किसानों को सबसे अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन प्रखंडों के किसान सबसे अधिक आलू, टमाटर, गोभी, अरहर, मसूर, सरसों की खेती करते हैं. किसानों की मानें तो लास्ट दिसम्बर में बारिश होने के बाद लगातार शीतलहर चल रहा है, जिसके कारण फसलों को धूप नहीं मिल रही है और फसल खराब होने लगे हैं.
सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों ने बताया कि, दिसम्बर से लेकर 15 जनवरी तक आलू ,सरसों, मसूर, अरहर और टमाटर की फसल का उत्पादन पूर्ण रूप से मौसम पर निर्भर करता है. 29 दिसम्बर को पूरे जिले में बारिश हुई. उसके बाद लगातार शीतलहर चल रहा है. जिसके कारण फसलों को पाला रोग मारने लगा है. 2 साल कोरोना वैश्विक महामारी के कारण फसल खेतो में ही रह गया. इस बार उम्मीद थी कि, बाहर से व्यपारी जिले में आएंगे, उससे पहले ही शीतलहर ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.
"फसलों को पाला मार रहा है. हमलोगों को नुकसान होने का डर अभी से सताने लगा है. दवा डाल कर भी थक चुके हैं. कुछ नहीं हुआ. सरकार भी हमारे लिए कोई प्रबंध नहीं कर रही है."- किसान
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किसानों की परेशानियो को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक न्यूज़, सोशल मीडिया और फोन के माध्यम से किसानों से वार्ता कर उनकी परेशानियों का समाधान करने में लगे हुए हैं. कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉक्टर मान्धाता सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि, जिले का कोई भी किसान कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से फोन, व्हाट्सप्प या अन्य किसी भी माध्यम से संपर्क कर सकता है.
"किसान वैज्ञानिकों से परामर्श ले सकते हैं. धूप निकलते ही यह समस्या दूर हो जाएगी. तत्काल फसल को बचाने के लिए सभी वैज्ञनिकों ने अपना मोबाइल नम्बर सार्वजनिक किया है. जिले का कोई भी किसान उनसे फोन पर परामर्श ले सकता है."- डॉक्टर मान्धाता सिंह, कृषि वैज्ञानिक
गौरतलब है कि शीतलहर और कड़ाके के ठंड ने सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों की चिंता बढ़ा दी है. किसानों की मानें तो शीतलहर और कोरोना की तीसरी लहर ने फौलादी हौसला रखने वाले किसानों की भी कमर तोड़ दी है. यही हालात रहे तो, अन्नदाता दाने -दाने के लिए मोहताज हो जाएंगे.
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