बक्सर: जिले में कृषि विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से यूरिया खाद की कालाबाजारी धड़ल्ले से जारी है. 265 रुपये की यूरिया किसानों को 500 से 600 रुपये बोरी दुकानदार बेच रहे हैं. उसके बाद भी शिकायत करने वाले किसान हो या फिर सत्ताधारी दल के नेता, उनको ही जिला के दबंग कृषि पदाधिकारी धमकी देकर लौटा देते हैं. जिसके कारण किसान अब कृषि विभाग के अधिकारियों के बजाये जनप्रतिनधियों से गुहार लगा रहे हैं.
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यूरिया की कालाबाजारी
कुछ ही दिन पहले भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता सुशील राय ने जब जिला में चल रहे यूरिया की कालाबाजारी को लेकर जिला कृषि पदाधिकारी को फोन कर सूचना दी, तो समस्या दूर करने के बजाए उन्होंने फोन न करने की नसीहत दी. साथ ही फर्जी एसीएसटी केस कर जेल भेज देने की धमकी तक दे डाली. जिसके बाद बीजेपी प्रवक्ता ने डीएम अमन समीर और बिहार सरकार के कृषि मंत्री से लिखित शिकायत की है. उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
किसानों को दी धमकी
दो दिन पहले अपनी समस्या को लेकर जिला कृषि कार्यालय में पहुंचे किसानों की समस्या को सुनने के बजाए कृषि विभाग के ही एक अधिकारी प्रियंका कुमारी ने किसानों को धमकी देना शुरू कर दी. जिसके बाद किसानों ने इसकी जानकारी जब पत्रकारों को दी तो सवाल पूछने वाले ईटीवी भारत के संवाददाता समेत एक नेशनल चैनल के रिपोर्टर और 75 साल के उम्र के उस किसान पर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए जिला कृषि पदाधिकारी ने डीएम से लेकर विभाग के प्रधान सचिव तक को पत्र लिख दिया.
किसानों की फर्जी सूची
बता दें साल 2018-19 और 2019-20 में जिला के किसानों को 90 % अनुदान पर देने के लिए राज्य सरकार के द्वारा 750 क्विंटल ढईचा घास का बीज और 350 क्विंटल अरहर का बीज जिला कृषि कार्यालय को उपलब्ध कराया गया था. लेकिन जिला कृषि कार्यालय के अधिकारियों और डीलरों की मिली भगत से पूरा का पूरा बीज किसानों की फर्जी सूची तैयार कर बाजारों में बेच दिया गया. जिसका खुलासा ईटीवी भारत के द्वारा किये जाने के बाद पटना से पहुंचे पदाधिकारियों ने जब जांच शुरू की तो, वह भी हैरान रह गए कि जिस किसान ने धान की फसल लगायी थी, उस किसान को अरहर की खेती करने वाला किसान बता दिया गया था.
कृषि समन्वयक का वीडियो वायरल
इस फर्जीवाड़ा को देख तत्कालीन उपविकास आयुक्त अरविंद कुमार को इस मामले की जांच का जिम्मा दिया गया. लेकिन 2 सालों से वह फाइल विभागों में ही दबाकर रखा गया है. कुछ ही माह पहले जिला कृषि पदाधिकारी औरल एक कृषि समन्वयक का वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा एक कृषि समन्वयक पर फर्जी बीज अनुदान का रिपोर्ट तैयार करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था.
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जब वह गलत आदेश मानने से इनकार कर दिया तो, रातों-रात उसका तबादला कर पूरे मामले की लीपापोती कर दी गई. इस खबर को ईटीवी भारत ने जब प्रमुखता से प्रकाशित किया, तो अपने से जूनियर अधिकारियों की टीम खुद पर जांच करने के लिए जिला कृषि पदाधिकारी ने बैठा दी और खुद को पाक साफ बता दिया.
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"पूरे जिला में यूरिया की किल्लत है. जब किसान अपनी समस्या को लेकर जिला कृषि पदाधिकारी के पास जा रहे हैं, तो समस्या दूर करने के बजाए कृषि पदाधिकारी बेतुका बयान दे रहे हैं. जिसको सुनकर ही लगता है कि उनका दिमाग का स्क्रू ढीला हो गया है, अगर यही हालात रहा तो, विधानसभा में इस मामले को उठाऊंगा. किसानों के लिए जो भी करना होगा करूंगा"- विश्वनाथ राम, कांग्रेस विधायक
जिला में चर्चा का विषय
बता दें जिला कृषि पाधिकारी का खौफ पूरे जिला में चर्चा का विषय बना हुआ है. पिछले महीने बक्सर दौरे पर पहुंचे प्रदेश के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह से पार्टी के कार्यकर्ताओं और किसानों ने जिला कृषि पदाधिकारी के दबंगई की लिखित शिकायत की थी. उसके बाद भी मामले को ठंढे बस्ते में डाल दिया गया. विभागीय अधिकारियों की मानें तो, सचिवालय के एक बड़े साहब के साथ काफी नजदीकी होने के कारण, कोई भी अधिकारी इनके खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम नहीं दिखाई दे रहा है.