बक्सर: बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून (Complete Prohibition Law in Bihar) लागू हुए 5 साल से ज्यादा समय हो गया है. 1 अप्रैल 2016 में सर्वसम्मति से शराबबंदी कानून लागू किया गया था. बिहार में अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों को कम करने के मकसद से प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार ने राजस्व के भारी नुकसान के बावजूद भी शराबबंदी कानून को लागू करने का फैसला लिया था, लेकिन 5 साल बाद भी शराबबंदी कानून की सफलता पर विवाद जारी है.
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बक्सर जिले के राजपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने नीतीश कुमार पर हमला किया है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी के कारण गरीबों का रोजगार छिन गया है. गरीब सड़कों पर आ गए हैं. इस कानून के तहत गिरफ्तार होने वाले शराब कारोबारियों में 70% से अधिक लोग गरीब हैं. जब बिहार की जेलों में बंद कैदियों की सूची सामने आती है, उसके बाद पता चलता है कि शराबबंदी कानून से गरीब, मजदूर और किसान बहुत परेशान हैं.
''बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दारू और बालू बंदी कर गरीबों के साथ क्रूर मजाक किया है. जिले में कहीं भी शराबबंदी कानून सफल नहीं है. शराब माफिया उत्तर प्रदेश से शराब बिहार के बक्सर में लाकर घर-घर सप्लाई करते हैं. दिन प्रतिदिन बढ़ रहे बेरोजगारों की फौज के लिए यह सबसे बड़ा रोजगार का साधन बना हुआ है.''- विश्वनाथ राम, कांग्रेस विधायक
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विधायक ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार की जनता की जो समस्या है वो उसकी बात नहीं करते हैं. उनके सामने दो ही बड़े मुद्दे हैं दारू और बालू, जिससे गरीबों का रोजगार छिन गया है. बिहार में दारू बंद नहीं है, सरेआम लोग पी रहे हैं और सरेआम लोग पकड़े जा रहे हैं. हमारे गरीब लोग शराबबंदी से परेशान हैं. सीएम नीतीश के राज में दारू खुलेआम मिल रही है. दारू बिकने के कारण जो रोजाना घटनाएं हो रही है, केवल नीतीश कुमार इसके दोषी हैं. बिहार में बालू बंदी (Sand ban in Bihar) के बाद भी तस्करी धड़ल्ले से जारी है. नीतीश कुमार समाज को नहीं पहले खुद को सुधारे.
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