बक्सर: प्रदेश में भाजपा और जदयू के बिगड़ते रिश्तों के बीच विपक्षी पार्टी के नेता खुद के लिए अवसर तलाशने में लगे हैं. साल के पहले ही दिन जदयू के नेताओं ने राजद और भाजपा के कई विधायकों के संपर्क में होने का दावा कर सभी को हैरान कर दिया. वहीं जदयू के बाद कांग्रेस के पूर्व विधायक भरत सिंह के द्वारा कांग्रेस में बड़ी टूट होने का दावा किया गया था. पार्टी के 11 विधायकों का कभी भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल होने की बात उन्होंने कही गई थी. इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार की देर शाम विराम लगा दिया. इसके बाद भी मकर संक्रांति बाद नई समीकरण के साथ, बिहार में सरकार बनाने का दावा महागठबंधन के नेताओं द्वारा लगातार किया जा रहा है.
क्या कहते हैं कांग्रेस विधायक
बीजेपी और जदयू में चल रही खींचतान पर कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने कहा कि, दोनों पार्टी के नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी का परिणाम जल्द ही दिखाई देगा. धैर्य के साथ सबको प्रतीक्षा करनी चाहिए. बीजेपी-जदयू के आपसी की लड़ाई में बिहार की जनता का काम प्रभावित हो रहा है. जिले में किसानों के धान की बिक्री अभी तक नहीं हो पायी है. यूरिया की कालाबाजारी का खेल चरम सीमा पर है. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की मनमानी पर नकेल लगाने के लिए प्रदेश के कृषि मंत्री से लिखित शिकायत करेंगे.
किसानों के लिए तैयार की गई सूची फर्जी
वहीं, कांग्रेस विधायक ने कहा कि वर्ष 2019-20 में सरकार द्वारा किसानों को अनुदान पर देने के लिए 750 क्विंटल ढैंचा और 350 क्विंटल अरहर के बीज जिला में भेजा गया था. लेकिन डीलरों की मिली भगत से विभागीय अधिकारियों ने फर्जी किसानों की सूची तैयार कर, विभाग को उपलब्ध करा दिया. बाद में पूरा बीज बाजार में बेचकर, बीज के पैसों के साथ अनुदान की राशि भी हजम कर ली.
उन्होंने कहा कि मीडिया द्वारा इसका खुलासा होने के बाद, पटना से आए हुए विभाग के वरीय अधिकारियों ने भी माना कि जो किसानों की सूची तैयार किया गया है, वह फर्जी है. इस मामले की जांच का जिम्मा तत्कालीन उपविकास आयुक्त अरविंद कुमार को दी गई. लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हुई. ऐसे में किसानों को कितना सरकारी योजना का लाभ मिल रहा है, यह सभी लोग जानते हैं.