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देसी जुगाड़, 4 दिनों तक इंजीनियरों की मेहनत, तब जाकर उड़ा 'चिनूक'

चार दिनों से बक्सर के राजपुर प्रखण्ड के मानिकपुर हाई स्कूल में फंसे वायुसेना के भारी भरकम हेलिकॉप्टर चिनूक ने आखिरकार आज टेकऑफ किया. देखें वीडियो....

चिनूक हेलिकॉप्टर
चिनूक हेलिकॉप्टर
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Published : Aug 28, 2021, 12:14 PM IST

Updated : Aug 28, 2021, 1:16 PM IST

बक्सरः भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) का हेलिकॉप्टर चिनूक (Chinook Helicopter) में आई तकनीकी खराबी के कारण उसे बक्सर (Buxar) में इमरजेंसी लैंडिंग (Emergency Landing) करानी पड़ी थी. हालांकि खराबियों को ठीक किए जान के बाद भी हेलिकॉप्टर (Chinook Helicopter) उड़ नहीं पाया था. लेकिन लैंडिंग के चौथे दिन इंजीनियरों के काफी मशक्कत के बाद कीचड़ में फंसा चिनूक टेक ऑफ किया. इससे सेना के अधिकारियों के साथ ग्रामीणों में भी काफी खुशी की लहर है.

इसे भी पढ़ें- बक्सर में वायु सेना के हेलीकॉप्टर चिनूक की इमरजेंसी लैंडिंग

बता दें कि बुधवार शाम पांच बजे के करीब वायुसेना के भारी-भरकम हेलिकॉप्टर चिनूक में तकनीकी खराबी आने के कारण राजपुर प्रखण्ड के मानिकपुर हाई स्कूल में लैंडिंग कराई गई थी.

देखें वीडियो

वायुसेना के कई अधिकारियों को लेकर चिनूक इलाहाबाद से बिहटा जा रहा था, लेकिन बक्सर सीमा में घुसते ही डैने से चिंगारी निकलने लगी थी. इसके बाद सुविधानुसार तत्काल चिनूक की मानिकपुर हाई स्कूल के ग्राउंड में इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई. हेलिकॉप्टर में वायुसेना के 20 अधिकारी और कर्मी सफर कर रहे थे, जो सुरक्षित बाहर निकल गए थे.

इसे भी पढ़ें- ओसामा बिन लादेन को मार गिराने वाले चिनूक हेलीकॉप्टर को दुरुस्त करने बक्सर पहुंचे इंजीनियर

चिनूक को दुरुस्त करने के लिए 24 घंटे से इंजीनियरों की टीम लगी हुई थी. इधर, बरसात का मौसम होने के कारण चिनूक कीचड़ में फंस गया था, जिसे निकालने की कवायद भी जारी थी. चिनूक को निकालने के लिए कई देसी जुगाड़ भी लगाए गए, लेकिन सब असफल रहा.

ओसामा बिन लादेन को मौत के घाट उतारने वाले चिनूक को कीचड़ से निकालने के लिए वायु सेना के इंजीनियरों ने स्थानीय लोगों के सहयोग से 4 ट्रैक्टरों को लगाया. इस विशालकाय हेलीकॉप्टर को कीचड़ से खींचकर बाहर निकालने के लिए घंटों प्रयास किया गया लेकिन यह 1 इंच भी नहीं हिला.

इसे भी पढ़ें- बिहार में टला बड़ा हादसा : चिनूक हेलीकॉप्टर की आपात लैंडिंग, वायुसेना के 20 से ज्यादा अधिकारी-जवान थे सवार

इसके बाद चिनूक हेलीकॉप्टर को टेकऑफ कराने के लिए देसी हेलीकॉप्टर चेतक तमाम उपकरणों को लेकर जिले के राजपुर प्रखण्ड अंतर्गत मानिकपुर हाई स्कूल के मैदान में पहुंचा. उसके बाद भी चिनूक हेलीकॉप्टर को टेकऑफ कराने में सफलता नहीं मिली. फिर दलदल खत्म करने के लिए मैदान के घासों की कटाई की गई.

इधर, इंजीनियरों की एक टीम इसे निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रही थी. जिसके बाद हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग के चौथे दिन शनिवार को करीब साढ़े बारह बजे चिनूक ने उड़ान भरा. बता दें कि चिनूक की सुरक्षा में कैंपस में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. भारी संख्या में सुरक्षाबल इसकी सुरक्षा में चौबीसों घंटे तैनात थे. इधर, इसे देखने के लिए इलाके के लोगों की भीड़ भी जुट रही थी.

बता दें कि यह हेलीकॉप्टर ऊंचे और दुर्गम इलाके में भारी भरकम साजो-सामान ले जाने के लिए सबसे ज्यादा सक्षम माना जाता है. वर्ष 2015 में भारत ने अमेरिका से 2.5 अरब डॉलर में 22 अपाचे एवं 15 चिनूक हेलीकॉप्टर की खरीदा था. पुलवामा हमले के बाद मार्च 2019 में सबसे पहले 4 चिनूक हेलीकॉप्टर को भरतीय वायु सेना में शामिल किया गया था.

बक्सरः भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) का हेलिकॉप्टर चिनूक (Chinook Helicopter) में आई तकनीकी खराबी के कारण उसे बक्सर (Buxar) में इमरजेंसी लैंडिंग (Emergency Landing) करानी पड़ी थी. हालांकि खराबियों को ठीक किए जान के बाद भी हेलिकॉप्टर (Chinook Helicopter) उड़ नहीं पाया था. लेकिन लैंडिंग के चौथे दिन इंजीनियरों के काफी मशक्कत के बाद कीचड़ में फंसा चिनूक टेक ऑफ किया. इससे सेना के अधिकारियों के साथ ग्रामीणों में भी काफी खुशी की लहर है.

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बता दें कि बुधवार शाम पांच बजे के करीब वायुसेना के भारी-भरकम हेलिकॉप्टर चिनूक में तकनीकी खराबी आने के कारण राजपुर प्रखण्ड के मानिकपुर हाई स्कूल में लैंडिंग कराई गई थी.

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वायुसेना के कई अधिकारियों को लेकर चिनूक इलाहाबाद से बिहटा जा रहा था, लेकिन बक्सर सीमा में घुसते ही डैने से चिंगारी निकलने लगी थी. इसके बाद सुविधानुसार तत्काल चिनूक की मानिकपुर हाई स्कूल के ग्राउंड में इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई. हेलिकॉप्टर में वायुसेना के 20 अधिकारी और कर्मी सफर कर रहे थे, जो सुरक्षित बाहर निकल गए थे.

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चिनूक को दुरुस्त करने के लिए 24 घंटे से इंजीनियरों की टीम लगी हुई थी. इधर, बरसात का मौसम होने के कारण चिनूक कीचड़ में फंस गया था, जिसे निकालने की कवायद भी जारी थी. चिनूक को निकालने के लिए कई देसी जुगाड़ भी लगाए गए, लेकिन सब असफल रहा.

ओसामा बिन लादेन को मौत के घाट उतारने वाले चिनूक को कीचड़ से निकालने के लिए वायु सेना के इंजीनियरों ने स्थानीय लोगों के सहयोग से 4 ट्रैक्टरों को लगाया. इस विशालकाय हेलीकॉप्टर को कीचड़ से खींचकर बाहर निकालने के लिए घंटों प्रयास किया गया लेकिन यह 1 इंच भी नहीं हिला.

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इसके बाद चिनूक हेलीकॉप्टर को टेकऑफ कराने के लिए देसी हेलीकॉप्टर चेतक तमाम उपकरणों को लेकर जिले के राजपुर प्रखण्ड अंतर्गत मानिकपुर हाई स्कूल के मैदान में पहुंचा. उसके बाद भी चिनूक हेलीकॉप्टर को टेकऑफ कराने में सफलता नहीं मिली. फिर दलदल खत्म करने के लिए मैदान के घासों की कटाई की गई.

इधर, इंजीनियरों की एक टीम इसे निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रही थी. जिसके बाद हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग के चौथे दिन शनिवार को करीब साढ़े बारह बजे चिनूक ने उड़ान भरा. बता दें कि चिनूक की सुरक्षा में कैंपस में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. भारी संख्या में सुरक्षाबल इसकी सुरक्षा में चौबीसों घंटे तैनात थे. इधर, इसे देखने के लिए इलाके के लोगों की भीड़ भी जुट रही थी.

बता दें कि यह हेलीकॉप्टर ऊंचे और दुर्गम इलाके में भारी भरकम साजो-सामान ले जाने के लिए सबसे ज्यादा सक्षम माना जाता है. वर्ष 2015 में भारत ने अमेरिका से 2.5 अरब डॉलर में 22 अपाचे एवं 15 चिनूक हेलीकॉप्टर की खरीदा था. पुलवामा हमले के बाद मार्च 2019 में सबसे पहले 4 चिनूक हेलीकॉप्टर को भरतीय वायु सेना में शामिल किया गया था.

Last Updated : Aug 28, 2021, 1:16 PM IST
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