बक्सर: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही बिहार की जनता ने एनडीए के पक्ष में जनादेश देकर तेजस्वी यादव को नकार दिया हो. लेकिन बक्सर जिले में महागठबंधन के नेताओं के प्रदर्शन ने एनडीए नेताओं की चिंता बढ़ा दी है. तमाम कोशिशों के बावजूद भी पिछले 10 सालों में बीजेपी ने अपने परंपरागत सीट पर भी खाता नहीं खोल पाई है. वहीं, इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू का भी पूरे जिले से सफाया हो गया है.
भीतरघात के कारण महागठबंधन की जीत
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में तत्कालीन विधायक और राज्य सरकार के पूर्व मंत्री सुखदा पांडेय के टिकट कटने से नाराज पार्टी के कार्यकर्ताओं को बीजेपी एक जुट करने में नाकाम रही. जिसके बाद पूरे जिले से बीजेपी का सफाया हो गया और महागठबंधन के नेताओं ने चारों सीट पर कब्जा कर लिया.
5 साल बाद समीकरण बदलने के बाद ये उम्मीद लगाई जा रही थी कि नीतीश कुमार की बदौलत एनडीए खाता खोल पाएगी. लेकिन इस बार भी एनडीए नेताओं के भीतरघात का लाभ उठाते हुए महागठबंधन के नेताओं ने चारों विधानसभा सीट पर कब्जा कर लिया. बीजेपी अपने परम्परागत सीट पर खाता भी नहीं खोल पाई.
क्या कहते हैं बीजेपी के नेता
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस उम्मीदवर संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से मिली करारी हार के बाद बीजेपी नेता परशुराम चतुर्वेदी ने कहा कि बक्सर विधानसभा चुनाव का असली पहलवान मैं ही हूं. मैं किस कारण चुनाव हारा ये सभी लोग जानते हैं.
![बीजेपी नेता परशुराम चतुर्वेदी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-bux-02-manthan-pkg-7203151_14112020103800_1411f_00282_67.jpg)
गौरतलब है कि इस विधानसभा चुनाव में बक्सर की चारों विधानसभा सीट पर एनडीए की हुई हार के बाद पार्टी के वरीय नेताओं ने मंथन शुरू कर दिया है. पार्टी सूत्रों की माने तो एनडीए नेताओं के भीतरघात का फायदा उठाते हुए पूरे जिले में महागठबंधन के नेताओं ने अपना परचम लहराया है. एनडीए के कई नेताओं ने भी महागठबंधन के नेताओं का खुलकर समर्थन किया है.