बक्सर: रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होते ही किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है. पानी के अभाव में किसान धान का बिचड़ा कैसे डाले यह सोच कर दुखी हैं. एक तरफ तो किसान मौसम की मार झेल रहे हैं, दूसरी तरफ सरकारी नलकूप की ध्वस्त हालत उनकी परेशानियों को और बढ़ा रहा है.
आज भी बदहाली की मार झेल रहे किसान
जिले के नेता और सांसद हर बार आते हैं और सरकारी घोषणाओं की अंबार लगा देते हैं, मगर धरतल पर ये योजनाएं कभी उतरती नहीं दिखती है. कई पार्टियां सत्ता में आती हैं और जाती हैं मगर किसानों की दशा आज भी वही है. जिले के तालाब और नहर सूखते जा रहे हैं. सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है. किसान पानी के लिए तरस रहे हैं, मगर सरकार उनके लिए किसी भी तरह की व्यवस्था करने का नाम नहीं ले रही है.
किसानों की समस्याओं को समझने की जरूरत
किसानों के इस हालात से निबटने के लिए सरकारी व्यवस्थाओं में बदलाव लाने की जरूरत है. वायदे और घोषणाओं से निकल कर किसानों की समस्याओं को दूर करने की जरूरत है. इनकी अनदेखी से विकास की कोई भी बात बेमानी ही होगी.