बक्सर : 2030 तक बिहार से एड्स जैसी खतरनाक बीमारी का खात्मा हो जाएगा. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मास्टर प्लान तैयार कर रहे हैं. एचआईवी या एड्स जैसी लाइलाज बीमारी से बचाव के लिए इस साल की थीम 'Ending the HIV / AIDS Epidemic: Resilience and Impact' रखी गई है.
1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. एड्स दिवस का उद्देश्य इस बीमारी से बचाव को लेकर लोगों को जागरूक करना होता है. ऐसे में बक्सर के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. नरेश कुमार ने कहा कि वो हर बीमारी, जो हमें और हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, उसके बारे में हमें चर्चा करनी चाहिए. एड्स बीमारी भी हमें प्रभावित करती है. इससे एक व्यक्ति का जीवन ही नहीं बल्कि उससे संबंधित अन्य लोगों का भी जीवन प्रभावित होता है.
चर्चा और जागरुकता है जरूरी
डॉ. नरेश कुमार ने कहा कि राज्य एड्स नियंत्रण समिति के प्रयासों से राज्य में एड्स पर काफी हद तक काबू पाया जा चुका है. लेकिन इसकी चर्चा निरंतर होती रहनी चाहिए. ये एक लाइलाज बीमारी है, जानकारी एवं शिक्षा ही इससे बचाव का सबसे सशक्त जरिया है. सभी गर्भवती महिलाओं को नियमपूर्वक एड्स की जांच करानी चाहिए, यह सुविधा प्रखंड से लेकर जिला अस्पतालों तक निशुल्क उपलब्ध है. राज्य सरकार ने 2030 तक राज्य को पूरी तरह से एड्स से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है.
1097 हेल्पलाइन और 'हम साथी' ऐप से लें जानकारी
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने एचआईवी/एड्स हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. हेल्पलाइन नंबर 1097 से एड्स संक्रमण होने के कारणों व बचाव के बारे में जानकारी ली जा सकती है. इसके साथ ही यदि एड्स की जांच या एड्स संबंधी इलाज सुविधा की भी सूचना प्राप्त कर सकते हैं. इसके साथ ही 'हम साथी' मोबाइल ऐप डाउनलोड कर एड्स से संबंधित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. यह मोबाइल ऐप एड्स के प्रति जागरूक करने और बच्चों में मां के माध्यम से एड्स के संक्रमण को रोकने संबंधी कई जानकारियां देता है.
- HIV (एचआईवी) : Human Immunodeficiency Virus (ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस)
- AIDS (एड्स) : acquired immunodeficiency syndrome (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम)
एचआईवी संक्रमण की जानकारी है जरूरी
युवाओं में यौन शिक्षा का अभाव एचआईवी संक्रमण का सबसे बड़ा कारण है. जो असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सीरिंज या सुई का प्रयोग, संक्रमित रक्त आदि के प्रयोग के कारण होता है. ये संक्रमण संक्रमित माता से उनकी संतान को भी हो सकता है. ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह समाप्त कर देता है, जिससे पीड़ित अन्य घातक बीमारियों जैसे टीबी, कैंसर व अन्य संक्रामक बीमारियों से प्रभावित हो जाता है.
बचाव के लिए आवश्यक कदम
- एड्स से बचाव के लिए असुरक्षित यौन संबंध नहीं बनाएं.
- यौन संबंध के दौरान निरोध का इस्तेमाल करें.
- नशीली दवाइयों के लिए सुई के इस्तेमाल से दूर रहें.
- एड्स पीड़ित महिलाएं गर्भधारण से पहले चिकित्सीय सलाह लें.
- बिना जांच के या अनजान व्यक्ति से रक्त न लें.
- वहीं डिस्पोजेबल सीरिंज व सुई उपयोग में लाएं.
- दूसरों के प्रयोग में लाये गये ब्लेड आदि का इस्तेमाल ना करें.