बक्सरः भगवान राम की कर्मस्थली बिहार के बक्सर में एक बार फिर विश्व रिकार्ड बनने जा रहा है. यहां 7 नवम्बर से 15 नवम्बर तक आयोजित सनातन सांस्कृतिक समागम (Sanatan sanskrtik Samagam In Buxar) में 11 लाख दीपक जलाए जाएंगे. आज देव दीपावली (Dev Deepawali In Buxar) के मौके पर 11 लाख दीये से 250 फुट भगवान श्रीराम की प्रतिमा बनाकर उन दीयों को जलाया जाएगा. इस भव्य कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत 9 राज्यों के मुख्यमंत्री और 5 राज्यों के राज्यपाल भी शिरकत करेंगे. इस दौरान हर रोज सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगें. जिसमें भोजपुरी और हिंदी संगीत के कई बड़े कलाकार भाग लेंगे. इसके अलावा 9 नवंबर को जीयर स्वामी महाराज यज्ञ प्रारंभ करेंगे. इस दौरान 7 से 15 नवंबर तक सुबह 9 से 12 बजे तक तक श्रीमद्भागवत कथा पाठ होगा. जबकि दोपहर 3 से 6 बजे तक जगतगुरु रामानंदाचार्य रोजाना रामकथा सुनाएंगे. कार्यक्रम में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी पहुंचने की पूरी उम्मीद है. योग गुरु बाबा रामदेव सासाराम पहुंच चुके हैं. उन्होंने वहां सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन किया है. उनके साथ मंत्री मुरारी प्रसाद गौतम भी मौजूद हैं.
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11 लाख दीये से बन रही है भगवान राम की आकृति: सनातन सांस्कृतिक समागम कार्यक्रम के पहले दिन देव दीपावली मनाई जाएगी. इसे लेकर 16 हजार स्क्वायर फीट जमीन पर मिट्टी के दीयों से भगवान राम, लक्ष्मण, ऋषि विश्वामित्र, ताड़का अहिल्या देवी और भगवान वामन और राजा बलि का चित्रांकन किया जा रहा है. बताया जाता है कि 11 लाख मिट्टी के दीयों से हो रहे चित्रांकन में मिट्टी के दीये भागलपुर और सियालदह से मंगाए गए हैं. कहा जाता है कि त्रेता युग में जब राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया था तब महर्षि विश्वामित्र के आदेश पर भगवान राम और लक्ष्मण ने ताड़का, सुबाहु, मारीच, मंदोदरी आदि राक्षसों का वध कर नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए शहर के रामरेखा घाट पर उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के बाद 5 कोस की यात्रा प्रारंभ किया था. जिसे पंचकोशी परिक्रमा के नाम से आज भी जाना जाता है. अपने इस यात्रा के पहले पड़ाव में भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण, महर्षि विश्वामित्र के साथ गौतम ऋषि का आश्रम अहिरौली में पहुंचकर पत्थर रूपी अहिल्या का उद्धार किया था. तब से लेकर आज तक हर वर्ष अगहन मास में देश के कोने कोने से पर्यटक यहां आते है. अब इस ऐतिहासिक भूमी पर 11 लाख दिए से भगवान राम की आकृति को रौशन कर विश्व रिकार्ड बनाया जाएगा.
कार्यक्रम में शामिल होंगे इन राज्यों के सीएम: अहिल्या के उद्धार स्थली यानी बक्सर के अहिरौली में 7 नवम्बर से 15 नवम्बर तक होने वाले सनातन सांस्कृतिक समागम कार्यक्रम में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, असम के मुख्यमंत्री हिमन्त विश्व शर्मा, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ संभाजी शिंदे , केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, त्रिपुरा का राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस, सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत कई दिग्गज मौजूद रहेंगे.
भोजपुरी कलाकारों का लगेगा जमावड़ाः औधोगिक थाना क्षेत्र के अहिरौली में उत्तरायणी गंगा की तट पर होने वाले इस समारोह में हर दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगें. जिसमें 7 नवंबर को खेसारी लाल यादव, 8 को कैलाश खेर, 9 को अनुराधा पौडवाल, 10 को दिनेश लाल यादव निरहुआ, 11 को हंसराज रघुवंशी, 12 को मनोज तिवारी मृदुल और मैथिली ठाकुर, 13 को शारदा सिन्हा, 14 को पवन सिंह और देवी तथा 15 को रविकिशन कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे. इतना ही इस कार्यक्रम में देश के बड़े संतों का आगमन भी होगा. जीयर स्वामी के मार्गदर्शन में लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के साथ 5 तरह के यज्ञ आयोजित होंगे, जिसमें बड़े-बड़े संत भाग लेंगे. लगभग 60 एकड़ में यहां एक तरीके का टेंट सिटी का निर्माण किया जाएगा. जिस के अलग-अलग हिस्सों में यज्ञ से लेकर संत समागम के दौरान होने वाले पवित्र यज्ञ और तमाम चीजों को लेकर व्यवस्थाएं की गईं हैं.
विशेष है धार्मिक महत्वः बता दें कि देव दीपावली विश्व के सबसे प्राचीन शहर काशी की संस्कृति परम्परा है. यह दीपावली के पंद्रह दिन बाद मनाया जाता है. चूंकि बक्सर बनारस के बगल में स्थित है और यहां भी उत्तरायणी गंगा प्रवाहित होती है, इसलिए इसका धार्मिक महत्व भी विशेष माना जाता है. यही कारण है कि बक्सर को मिनी काशी भी कहा जाता है. धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी काशी के ऐतिहासिक घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा को मां गंगा की धारा के समानांतर ही प्रवाहमान होती है. माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवतागण दिवाली मनाते हैं और इसी दिन देवताओं का काशी में प्रवेश हुआ था. मान्यता यह भी है कि तीनों लोकों मे त्रिपुराशूर राक्षस का राज चलता था. देवतागणों ने भगवान शिव के समक्ष त्रिपुराशूर राक्षस से उद्धार की विनती की. जिसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन राक्षस का वध कर उसके अत्याचारों से सभी को मुक्त कराया और त्रिपुरारी कहलाया. इस बार देव दीपावली के अवसर पर बक्सर के अहिरौली में भी अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा.
30 एकड़ जमीन पर हो रहा कार्यक्रम का आयोजन: इस आयोजन के लिए श्रीराम न्यास परिषद के द्वारा 30 एकड़ भूमि किसानों से लिया गया है. इसके एवज में सभी किसानों को 40 हजार रुपए बीघा मुआवजा के रूप में भुगतान किया गया है. एक सप्ताह तक चलने वाले सनातन सांस्कृतिक समागम को लेकर प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है. 30 एकड़ के इस एरिया में लगभग 300 सीसीटीवी कैमरे के अलावा सीआरपीएफ के तीन सौ जवानों के साथ बिहार पुलिस एवं कई सुरक्षा एजंसी आने वाले भीड़ को कंट्रोल करेगी. जिसके लिए बड़ा कंट्रोल रूम, वॉच टावर, अस्थायी थाना का भी निर्माण किया गया है. यह पहला मौका होगा जब देश विदेश की नजर बक्सर में होने वाले इस आयोजन पर होगी.