औरंगाबाद: कोरोना वायरस के चेन को तोड़ने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को जरूरी बताया जा रहा है. बावजूद इसके लोग समझने को तैयार नहीं हैं. प्रशासनिक कवायदों पर बट्टा लगाते हुए लोग भीड़ लगाते नजर आ रहे हैं. जिले के ज्यादातर बैंकों में इन दिनों यही नजारा देखने को मिल रहा है. दरअसल, जनधन खाते से पैसा निकालने को लेकर लोगों में होड़ मची हुई है, नतीजतन वे सोशल डिस्टेंसिंग भूलकर एक-दूसरे से सटकर खड़े हो रहे हैं.
भले ही औरंगाबाद में कोरोना का एक भी पॉजिटिव केस न मिला हो, बावजूद इसके एहतियात काफी जरूरी है. सोशल डिस्टेंस का ख्याल नहीं रखने से कोरोना संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है. एक ओर जहां जिला-प्रशासन दिन-रात अलर्ट पर है. वहीं, दूसरी ओर आमजन लापरवाही बरत रहे हैं.
घूम-घूमकर कर रहे लोगों को जागरूक
बता दें कि जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल, एसपी दीपक वर्णवाल और डीडीसी अंशुल कुमार गांव में घूम-घूमकर लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई की अपील कर रहे हैं. इसके अलावा लॉकडाउन तोड़ने वालों को जेल भी भेजा जा रहा है. लेकिन, बैंकों में उपभोक्ता खुलेआम सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं. जिले के लगभग सभी ग्रामीण क्षेत्रों के बैंकों और ग्राहक सेवा केंद्रों में पैसे निकालने के लिए भीड़ उमड़ रही है. इस भीड़ ने हर जगह अव्यवस्था का आलम पैदा कर दिया है.
बैंक कर्मियों की जिंदगी को भी खतरा
गौरतलब है कि जन धन योजना के खाते में सरकार की ओर से राशि भेजी गई है. इस राशि को निकालने के लिए पूरे देश में आपाधापी मची हुई है. जनधन खाता के लाभार्थी न सिर्फ अपने जीवन को खतरे में डाला रहा हैं, बल्कि बैंक में कार्यरत कर्मियों की जिंदगी के साथ भी खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैं. ऐसे में स्थानीय प्रशासन को इन अव्यवस्था फैलाने वाली झुंड से कड़ाई से निपटना होगा.