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औरंगाबाद: बंजर जमीन उगल रही 'सोना', सरकारी अनुदान से किसानों की बल्ले-बल्ले

कृषि विभाग के प्रधान सचिव बताते हैं कि जब 5 साल पहले गांव में इस फसल की खेती शुरू की गई थी, तब उन्हें इतने वृहद पैमाने पर सफलता की उम्मीद नहीं थी. लेकिन इस गांव के किसानों ने अपनी मेहनत से खुद की तकदीर बदली है.

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Published : Dec 30, 2019, 11:29 AM IST

गांव की बंजर मिट्टी उगल रही 'स्ट्राबेरी'
गांव की बंजर मिट्टी उगल रही 'स्ट्राबेरी'

औरंगाबाद: कहते हैं 'अगर मन में कोई सच्ची लगन हो, तो हर मुश्किल आसां हो जाती है'. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र अंबा के चिल्हकी गांव के किसानों ने, इन किसानों की मेहनत ने गांव की बंजर मिट्टी को स्ट्राबेरी उगलने को मजबूर कर दिया है.

स्ट्रॉबेरी की खेती ने चिल्हकी गांव की तकदीर बदल कर रख दी. जिस वजह से गांव न केवल जिले में बल्कि देश में चर्चा का केंद्र बन गया है. ऐसा प्रदेश में पहली बार है, जब स्ट्राबेरी का सफल उत्पादन किया गया हो. ऐसे में जीविका दीदियों की ओर से किए गए स्ट्रॉबेरी की खेती का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गांव में पहुंचे. जहां उन्होंने इस खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित किया.

पेश है एक खास रिपोर्ट
5 साल पहले शुरू हुई थी खेतीइस बाबत सफल किसान धनंजय मेहता का कहना है कि गांव में 5 साल पहले इस फल की खेती की शुरूआत हुई थी, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई थी. लेकिन हमने देश के विभिन्न राज्यों में जाकर प्रशिक्षण लेकर खेती शुरू की थी. पहले साल में थोड़ा कम मुनाफा हुआ था. लेकिन दूसरे और तीसरे साल उन्होंने वृहद पैमाने पर खेती की और काफी अच्छा मुनाफा हुआ. जिसके बाद कई किसानों ने स्ट्राबेरी की खेती शुरू की. आज यह खेती व्यवसाय का रूप ले चुकी है और दर्जनों किसानों के घरों में खुशहाली आई है.
स्ट्राबेरी की फसल
स्ट्रॉबेरी की फसल

'सरकार दे रही है 50% अनुदान'
बिहार सरकार में कृषि विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एन श्रवण कुमार बताते है कि जब 5 साल पहले गांव में इस फसल की खेती शुरू की गई थी, तब उन्हें इतने वृहद पैमाने पर सफलता की उम्मीद नहीं थी. लेकिन इस गांव के किसानों ने अपनी मेहनत से खुद की तकदीर बदली है. इस फसल के लिए एक बीघे में तीन से चार लाख की लागत आती है, जबकि उत्पादन पांच से छह लाख का होता है. फिलहाल कृषी विभाग की ओर से इस फसल की खेती के लिए 50% सरकारी अनुदान दिया जा रहा है.

नीतीश कुमार को भेंट किया गया स्ट्राबेरी
नीतीश कुमार को भेंट में दी गई स्ट्रॉबेरी

'स्टोरेज और मार्केटिंग पर किया जाएगा काम'
कृषि विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एन श्रवण कुमार बताते है कि यहां पर मुख्यमंत्री का आगमन होना है. किसान धनंजय मेहता और उनकी पत्नी नीलम देवी ने स्टोरेज और मार्केटिंग की है समस्या को बताया है. जिसके बारे में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया.

औरंगाबाद: कहते हैं 'अगर मन में कोई सच्ची लगन हो, तो हर मुश्किल आसां हो जाती है'. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र अंबा के चिल्हकी गांव के किसानों ने, इन किसानों की मेहनत ने गांव की बंजर मिट्टी को स्ट्राबेरी उगलने को मजबूर कर दिया है.

स्ट्रॉबेरी की खेती ने चिल्हकी गांव की तकदीर बदल कर रख दी. जिस वजह से गांव न केवल जिले में बल्कि देश में चर्चा का केंद्र बन गया है. ऐसा प्रदेश में पहली बार है, जब स्ट्राबेरी का सफल उत्पादन किया गया हो. ऐसे में जीविका दीदियों की ओर से किए गए स्ट्रॉबेरी की खेती का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गांव में पहुंचे. जहां उन्होंने इस खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित किया.

पेश है एक खास रिपोर्ट
5 साल पहले शुरू हुई थी खेतीइस बाबत सफल किसान धनंजय मेहता का कहना है कि गांव में 5 साल पहले इस फल की खेती की शुरूआत हुई थी, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई थी. लेकिन हमने देश के विभिन्न राज्यों में जाकर प्रशिक्षण लेकर खेती शुरू की थी. पहले साल में थोड़ा कम मुनाफा हुआ था. लेकिन दूसरे और तीसरे साल उन्होंने वृहद पैमाने पर खेती की और काफी अच्छा मुनाफा हुआ. जिसके बाद कई किसानों ने स्ट्राबेरी की खेती शुरू की. आज यह खेती व्यवसाय का रूप ले चुकी है और दर्जनों किसानों के घरों में खुशहाली आई है.
स्ट्राबेरी की फसल
स्ट्रॉबेरी की फसल

'सरकार दे रही है 50% अनुदान'
बिहार सरकार में कृषि विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एन श्रवण कुमार बताते है कि जब 5 साल पहले गांव में इस फसल की खेती शुरू की गई थी, तब उन्हें इतने वृहद पैमाने पर सफलता की उम्मीद नहीं थी. लेकिन इस गांव के किसानों ने अपनी मेहनत से खुद की तकदीर बदली है. इस फसल के लिए एक बीघे में तीन से चार लाख की लागत आती है, जबकि उत्पादन पांच से छह लाख का होता है. फिलहाल कृषी विभाग की ओर से इस फसल की खेती के लिए 50% सरकारी अनुदान दिया जा रहा है.

नीतीश कुमार को भेंट किया गया स्ट्राबेरी
नीतीश कुमार को भेंट में दी गई स्ट्रॉबेरी

'स्टोरेज और मार्केटिंग पर किया जाएगा काम'
कृषि विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एन श्रवण कुमार बताते है कि यहां पर मुख्यमंत्री का आगमन होना है. किसान धनंजय मेहता और उनकी पत्नी नीलम देवी ने स्टोरेज और मार्केटिंग की है समस्या को बताया है. जिसके बारे में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया.

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एंकर:-औरंगाबाद जिले के अति नक्सल प्रभावित अंबा चिल्हकी गांव के किसानों ने बंजर जमीन पर स्ट्रॉबेरी की शक्ल में सोना उगा रहा है। जी हां मन में लगन हो, दिल में विश्वास हो और इरादा फौलादी हो तो मुश्किल काम मायने नहीं रखते।

औरंगाबाद से स्पेशल रिपोर्ट संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद


Body:यह तस्वीर देख फिल्मी गाने के बोल याद आते हैं... मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती... मजबूत इरादे के साथ
V.O.1. बिहार के औरंगाबाद जिले के अंबा प्रखंड के चिल्हकी यह पहले ऐसा बिहार का गांव हैं ,जहां किसानों ने करीब 10 से 15 साल पहले इस फल की खेती शुरू की थी। और आज इस गांव के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती से सलाना 5 से 10 करोड़ रुपया का कारोबार कर रहे हैं।बिहार के मुखिया नीतीश कुमार जब चिल्हकी गांव पहुंचे तो सैकड़ों किसानों की उम्मीद जाग गई है, ऐसे ही किसान पति पत्नी धनंजय मेहता, एवं नीलम देवी उम्मीद भी जाग गई है कि सरकार हमें मदद करती तो कई एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर अपनी किस्मत को बदल सकते हैं।
1.बाईट:- धनंजय मेहता, किसान स्ट्रॉबेरी खेती।


Conclusion:
V.O.3 बिहार सरकार के प्रधान सचिव कृषि विभाग डॉ.एन.श्रवण कुमार ने बताया कि अपने मेहनत के बदौलत चिल्हकी किसान स्ट्रौबरी की खेती कर रहे हैं,पांच वर्ष पूर्व कई एकड़ में खेती लगाकर शुरुआत की थी। कृषि विभाग स्ट्रॉबेरी खेती पर 50% अनुदान सरकार के तरफ से दिया जा रहा है।
2.बाईट:- डाॅ .एन. श्रवण कुमार- प्रधान सचिव, कृषि विभाग, बिहार सरकार।
फाइनल वी.ओ:- अंबा के चिल्हकी गांव की यह बंजर जमीन, जहां कल तक अन्न का एक दाना तक नहीं उगता था, मगर यहां के किसानों की मेहनत और उनकी लगन, देखिए आज उसी बंजर जमीन पर स्ट्रॉबेरी की शक्ल में सोना उग रहा है।
3. पीटीसी:- संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद

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