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औरंगाबाद: चर्म रोगियों के लिए वरदान है सूरजकुंड, छठ महापर्व में यहां अर्घ्य देते हैं श्रद्धालु - औरंगाबाद में देव सूर्य मंदिर

औरंगाबाद में देव सूर्य मंदिर से थोड़ी दूर पर सुप्रसिद्ध सौर तीर्थ स्थल देव का पवित्र सूरजकुंड है. जिसे कुष्ठ निवारक के रूप में पूरी आस्था के साथ पूजा जाता है.

कुष्ठ लोगों को रोगियों के लिए वरदान बना सूरजकुंड
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Published : Oct 31, 2019, 7:29 PM IST

औरंगाबाद: जिले में देव सूर्य मंदिर से थोड़ी दूर पर सूरजकुंड स्थित है. जिसे कुष्ठ निवारक तालाब के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाता है. कुष्ठ निवारक के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं और छठ महापर्व में इसी तालाब में कार्तिक मास में श्रद्धालु अर्घ्य देने आते हैं.

aurangabad
कार्तिक मास में अर्घ्य देने आते हैं श्रद्धालु

सौर तीर्थ स्थल देव का पवित्र सूरजकुंड
बता दें कि देव सूर्य मंदिर से थोड़ी दूर पर सुप्रसिद्ध सौर तीर्थ स्थल देव का पवित्र सूरजकुंड है. जिसे कुष्ठ निवारक के रूप में पूरी आस्था के साथ पूजा जाता है. यह सूर्य पुराण में सर्वाधिक प्रचलित है. जन सूचियों के अनुसार देव मंदिर के निर्माण से पूर्व इला के बेटे राजा एल ऋषि के दिए गए श्राप से कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए थे. एक बार राजा एल आखेट खेलते-खेलते भटक गए.

चर्म रोगियों के लिए वरदान है सूरजकुंड

कुष्ठ रोग के लिए वरदान है सूरजकुंड
राजा भटकते-भटकते प्यास से व्याकुल हो गए. पानी की तलाश में वो निकल पड़े. इसके बाद उन्हें एक छोटा सा सरोवर दिखाई दिया. राजा अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी पिया और पानी से अपने शरीर के अंगों को भी धोया और पास के ही एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगे. विश्राम करने के बाद राजा ने जब अपने हाथ को देखा तो हाथ के कुष्ठ के सारे दाग गायब थे. शरीर पर भी कहीं कुष्ठ के दाग नहीं थे. इसके बाद से यह तालाब चर्म रोगियों और कुष्ठ रोग के लिए वरदान बना हुआ है.

औरंगाबाद: जिले में देव सूर्य मंदिर से थोड़ी दूर पर सूरजकुंड स्थित है. जिसे कुष्ठ निवारक तालाब के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाता है. कुष्ठ निवारक के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं और छठ महापर्व में इसी तालाब में कार्तिक मास में श्रद्धालु अर्घ्य देने आते हैं.

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कार्तिक मास में अर्घ्य देने आते हैं श्रद्धालु

सौर तीर्थ स्थल देव का पवित्र सूरजकुंड
बता दें कि देव सूर्य मंदिर से थोड़ी दूर पर सुप्रसिद्ध सौर तीर्थ स्थल देव का पवित्र सूरजकुंड है. जिसे कुष्ठ निवारक के रूप में पूरी आस्था के साथ पूजा जाता है. यह सूर्य पुराण में सर्वाधिक प्रचलित है. जन सूचियों के अनुसार देव मंदिर के निर्माण से पूर्व इला के बेटे राजा एल ऋषि के दिए गए श्राप से कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए थे. एक बार राजा एल आखेट खेलते-खेलते भटक गए.

चर्म रोगियों के लिए वरदान है सूरजकुंड

कुष्ठ रोग के लिए वरदान है सूरजकुंड
राजा भटकते-भटकते प्यास से व्याकुल हो गए. पानी की तलाश में वो निकल पड़े. इसके बाद उन्हें एक छोटा सा सरोवर दिखाई दिया. राजा अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी पिया और पानी से अपने शरीर के अंगों को भी धोया और पास के ही एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगे. विश्राम करने के बाद राजा ने जब अपने हाथ को देखा तो हाथ के कुष्ठ के सारे दाग गायब थे. शरीर पर भी कहीं कुष्ठ के दाग नहीं थे. इसके बाद से यह तालाब चर्म रोगियों और कुष्ठ रोग के लिए वरदान बना हुआ है.

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एंकर:- औरंगाबाद जिले के देव सूर्य मंदिर से थोड़ी दूरी पर स्थित है सूरजकुंड तालाब जिसे कुष्ठ निवारक तालाब के नाम से जाना जाता है इस तालाब में स्नान करने से चर्म व्याधि से ग्रसितो बीमारियां दूर हो जाती है कुष्ठ निवारक के बारे में कई किवदंतियां प्रचलित है। इसी तालाब में कार्तिक मास श्रद्धालु अर्घ देते हैं
स्पेशल रिपोर्ट संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद


Body:v.o.1. गौरतलब है कि यह है सुप्रसिद्ध सौर तीर्थ स्थल देव का पवित्र सूरजकुंड जिसे श्रद्धालुओं द्वारा कुष्ठ निवारक का लाभ के रूप में भी पूरी आस्था के साथ स्वीकार किया जाता है जिसमें सूर्य पुराण में सर्वाधिक प्रचलित है जन सूचियों के अनुसार देव मंदिर के पुनः निर्माण से पूर्व इला के पुत्र राजा एल ने जो किसी ऋषि के द्वारा दिए गए श्राप से श्वेत कुष्ठ रोग से ग्रसित थे। एक बार बान खेत करते करते राजाराम भटक गए भटकते भटकते राजा प्यास से व्याकुल हो उठे और पानी की तलाश में निकल पड़े पानी की खोज क्रम में उन्हें एक छोटा सरोवर दिखाई और वे अंजूरी से अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी को भरा और उसे पिया थके हारे राजा ने पानी से अपने शरीर के विभिन्न अंगों को भी धोया और पास के ही एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगे।


Conclusion:v.o.2. विश्राम के पश्चात राजा ने जब हाथ को देखा तो हाथ के सारे उस शब्दार्थ गायब मिले साथी राजा ने यह भी देखा उस पानी कितने अंग जिस जिस भाग कछुआ है वहां से कुष्ठ के दाग गायब थे। आज तक यह तालाब चर्म रोगियों एवं कुष्ठ रोग के लिए वरदान बना हुआ है चर्म व्याधि से ग्रसित लोग इस कुंड में स्नान कर रोग से मुक्त होते हैं।
2.बाईट:- सच्चिदानंद पाठक पुजारी देव सूरजकुंड
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