औरंगाबाद: लालू यादव की नई किताब 'गोपालगंज टू रायसीना: माई पॉलिटिकल जर्नी' पर सियासत जारी है. लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने नए बयान से नई चर्चाओं को हवा दे दी है. पासवान ने कहा कि उन्होंने कभी भी लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री बनने का समर्थन नहीं किया था. वह रामसुंदर दास के पक्ष में थे.
किताब के कई प्रसंगों का विरोध
रामविलास पासवान ने औरंगाबाद के कुटुंबा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए लालू की किताब के कई प्रसंगों का विरोध किया. केंद्रीय मंत्री ने लालू यादव की किताब के उस तथ्य को गलत करार दिया है जिसमें लालू ने कहा है कि उन्होंने वीपी सिंह से मिलकर मंडल कमीशन को लागू करवाया था.
वीपी सिंह लालू को पसंद भी नहीं करते
लोजपा प्रमुख ने कहा कि तत्कालीन पीएम वीपी सिंह लालू को पसंद भी नहीं करते थे और मुख्यमंत्री बनाने पर उनसे राय मांगी थी. जिसपर रामविलास पासवान ने रामसुंदर दास को मुख्यमंत्री बनाने की सलाह दी थी. लेकिन उसके बाद देवीलाल ने लालू यादव को जोड़-तोड़ से बिहार का मुख्यमंत्री बनवाया.
शुरू नहीं होता लालू का अध्याय
लोजपा सुप्रीमो ने यहां तक कहा कि रघुनाथ झा बीच में अगर मुख्यमंत्री के लिए पार्टी के विधायकों के बीच जनमत का चुनाव नहीं लड़ते तो राम सुंदर दास का मुख्यमंत्री बनना तय था और फिर लालू यादव का अध्याय बिहार में शुरू नहीं होता.
रामविलास ने लागू किया मंडल कमीशन
लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने कहा कि उन्होंने ही तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह से मिलकर मंडल कमीशन लागू करने का दबाव बनाया था. इसमें लालू यादव का कोई योगदान नहीं है. रामविलास पासवान ने दावा किया कि दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ा वर्ग के असली नेता वे ही हैं.